मैनपुरी। जिला निर्वाचन अधिकारी अविनाश कृष्ण सिंह ने लोकसभा उप निर्वाचन-22 का निर्वाचन लड़ रहे उम्मीदवारों, राजनैतिक दलों से कहा कि सभी भारत निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित आदर्श आचार संहिता का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करें, ऐसा कोई कृत्य न करें जिससे आचार संहिता का उल्लंघन हो। उन्होने कहा कि विभिन्न वर्गो के बीच धर्म, जाति, समुदाय एवं भाषा के अधार पर वैमनस्य बढ़ाना या प्रयास करना लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अन्तर्गत संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है और इसमें 03 वर्ष तक की सजा का प्राविधान है।
झूठा शपथ पत्र देना या प्रत्याशी द्वारा शपथ पत्र में सूचना छिपाने पर 06 माह, मतदान के 48 घण्टे के दौरान जनसभा करने पर 02 वर्ष, किसी जनसभा में गड़बड़ी फैलाना, इसके लिए दूसरों को उकसाने पर 06 माह, बिना प्रकाशक के नाम के पम्पलेट, पोस्टर छापने पर 06 माह, अधिकारी, क्लर्क, एजेण्ट द्वारा मतदान की गोपनीयता भंग करने पर 03 माह, चुनाव से जुड़े किसी कर्मचारी द्वारा किसी प्रत्याशी के हित में कार्य करने पर 06 माह की सजा का प्राविधान है।
उन्होने कहा कि रिश्वत, परितोषण देना, किसी व्यक्ति को निर्वाचन अधिकार का प्रयोग करने के लिए परितोषण देने या निर्वाचन अधिकार के प्रयोग के लिए उत्प्रेरित करने या उत्पे्ररित करने का प्रत्यन करना रिश्वत की परिधि में आता है, इसे 171 ड (ई) के तहत असंज्ञेय, जमानती अपराध माना गया है, जिसके अन्तर्गत 01 वर्ष का कारावास, जुर्माना अथवा दोनो का प्राविधान किया गया है, निर्वाचन अधिकार के निर्वाध प्रयोग में स्वेच्छा हस्तक्षेप करना, प्रयत्न करना या असम्यक असर डालने के लिए दण्ड-171 ग(सी), 171 च(एफ) में असंज्ञेय, जमानती अपराध की श्रेणी में रखा गया है जिसमें 01 वर्ष का कारावास अथवा जुर्माना अथवा दोनों का प्राविधान किया गया है।
किसी अन्य व्यक्ति के नाम चाहे वह जीवित हो या मृत, या किसी कल्पित नाम से मतपत्र के लिए आवेदन करना, मत देना या ऐसे निर्वाचन जिसमें एक बार मत देने के पश्चात् उसी निर्वाचन में अपने नाम से मतपत्र के लिए आवेदन करना, मतदान को दुष्पे्ररित करना या प्रयत्न करने को धारा-171 घ(डी) के अधीन असंज्ञेय जमानती अपराध माना गया है, जिसके तहत 01 वर्ष का कारावास अथवा जुर्माना अथवा दोनों का प्राविधान किया गया है।
जिला निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय अखण्डता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले लांछन, प्राख्यान करना धारा-153 ख(1) क, ख, ग के अधीन अजमानती अपराध है, जिसका उल्लघंन करने पर 03 वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों, धर्म, मूलवंश, जन्म स्थान, निवास स्थान, भाषा इत्यादि के आधारों पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता का सम्प्रवर्तन और सौहार्द्र बने रहने पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले कार्य करने को धारा-153 क(1) क, ख, ग के तहत सज्ञेंय अजमानती अपराध मानते हुये
03 वर्ष तक के लिए कारावास या जुर्माना या दोनो, पूजा के स्थान आदि में किया गया मिथ्या कथन, जन श्रुति आदि इस आशय से कि जन-सामान्य घृणा या शत्रुता या वैमनस्य पैदा करने पर धारा-505-(3) के तहत संज्ञेय अजमानती के अन्तर्गत 05 वर्ष तक का कारावास व जुर्माने का प्राविधान है।