
इस वर्ष मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को पड़ रहा है। एक माह से रुके हुए मांगलिक कार्य भी इसी दिन से प्रारम्भ हो जाएंगे। इस अवसर पर तीर्थराज प्रयाग में चल रहे माघ मेले में करीब 80 लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है।
दरअसल मकर संक्रांति का पर्व पूर्व में प्रत्येक साल 14 जनवरी को पड़ता था, लेकिन वर्ष 2015 से लगभग हर साल इस त्यौहार की तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति रहती है। श्रद्धालु 14 और 15 जनवरी के विवाद में उलझे रहते हैं। ज्योर्तिविदों का कहना है कि यह स्थिति वर्ष 2030 तक बनी रहेगी।
ज्योतिषाचार्य डॉ. ओमप्रकाशाचार्य ने बताया कि इस साल 14 जनवरी की आधी रात के बाद दो बजकर आठ मिनट पर सूर्य का मकर राशि में प्रवेश हो रहा है। वास्तव में जब सूर्य का मकर राशि में गोचर होता तो उसे ही मकर संक्रांति कहा जाता है। डॉ. ओमप्रकाशाचार्य कहते हैं कि भगवान सूर्य सूर्योदय से पहले जिस दिन मकर राशि में प्रवेश करते हैं, उसी दिन मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। चंूकि इस वर्ष यह संयोग 15 जनवरी को हो रहा है, इसलिए इस बार मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी दिन बुधवार को मनाया जाएगा और पूरे दिन स्नान, दान और अन्य अनुष्ठानों के लिए शुभकर रहेगा। ज्योतिषाचार्य के अनुसार मकर संक्रांति से ही सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाते हैं। साथ ही सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही एक मास से चले आ रहे खरमास का समापन हो जाता है। इसीलिए मकर संक्रांति के दिन से शादी-विवाह समेत अन्य मांगलिक कार्य प्रारम्भ हो जाते हैं।
उन्होंने बताया कि मकर संक्राति के अवसर पर नदियों और सरोवरों में स्नान के साथ सूर्य को अर्घय देने और दान किया जाता है। इस पर्व पर गुड़, तिल और खिचड़ी के दान का विशेष महत्व है। उत्तर प्रदेश और पड़ोसी राज्य बिहार के कुछ क्षेत्रों में मकर संक्रांति को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। मकर संक्रांति प्रयागराज में विशेष श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। वहां संगम की रेती पर पौष पूर्णिमा के दिन शुरु हुए माघ मेले का यह प्रमुख स्नान पर्व होता है। मेला प्रशासन का दावा है कि इस साल मकर संक्रांति पर करीब 80 लाख श्रद्धालु गंगा, यमुना और अंतःसलिला सरस्वती के पवित्र संगम में आस्था की डुबकी लगायेंगे। प्रयागराज में कल्पवास का विशेष महत्व है, जो पौष पूर्णिमा से माघी पूर्णिमा तक अनवरत चलता है। लेकिन, कुछ श्रद्धालु मकर संक्रांति के दिन से ही वहां कल्पवास का अनुष्ठान प्रारम्भ करते हैं।
माघ मेला के प्रमुख स्नान पर्व
1-मकर संक्रांति – 15 जनवरी – अनुमानित भीड़- 80 लाख
2-मौनी अमावस्या – 24 जनवरी -अनुमानित भीड़-225 लाख
3-बसंत पंचमी-30 जनवरी – अनुमानित भीड़-75 लाख
4-माघी पूर्णिमा- 09 फरवरी -अनुमानित भीड़- 75 लाख
5-महाशिवरात्रि- 21 फरवरी- अनुमानित भीड़- 15 लाख
जानें मकर संक्रांति का मुहूर्त, पूजा विधि और अन्य खास बातें-
मकर संक्रांति के दिन सुबह किसी नदी, तालाब शुद्ध जलाशय में स्नान करें। इसके बाद नए या साफ वस्त्र पहनकर सूर्य देवता की पूजा करें। चाहें तो पास के मंदिर भी जा सकते हैं। इसके बाद ब्राह्मणों, गरीबों को दान करें।
इस दिन दान में आटा, दाल, चावल, खिचड़ी और तिल के लड्डू विशेष रूप से लोगों को दिए जाते हैं। इसके बाद घर में प्रसाद ग्रहण करने से पहले आग में थोड़ी सा गुड़ और तिल डालें और अग्नि देवता को प्रणाम करें।
मकर संक्रांति पूजा मंत्र
ऊं सूर्याय नम: ऊं आदित्याय नम: ऊं सप्तार्चिषे नम:
आज के दिन से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में आ जाते हैं। उत्तरायण में सूर्य रहने के समय को शुभ समय माना जाता है और मांगलिक कार्य आसानी से किए जाते हैं। चूंकि पृथ्वी दो गोलार्धों में बंटी हुई है ऐसे में जब सूर्य का झुकाव दाक्षिणी गोलार्ध की ओर होता है तो इस स्थिति को दक्षिणायन कहते हैं और सूर्य जब उत्तरी गोलार्ध की ओर झुका होता है तो सूर्य की इस स्थिति को उत्तरायण कहते हैं। इसके साथ ही 12 राशियां होती हैं जिनमें सूर्य पूरे साल एक-एक माह के लिए रहते हैं। सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे मकर संक्रांति कहते हैं।















