नयी दिल्ली, . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आकाशवाणी को संचार का सबसे सशक्त माध्यम बताते हुए कहा है कि इसका एहसास उन्हें दो दशक पहले उस समय हुआ जब वह हिमाचल प्रदेश के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)के कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहे थे।
मोदी ने रविवार को आकाशवाणी पर ‘मन की बात ’कार्यक्रम में कहा कि रेडिया कितना ताकतवर है और इसकी पहुंच समाज के किस कोने तक है इसका एहसास उन्हें वर्ष 1998 में हुआ जब वह हिमाचल प्रदेश के सुदूरवर्ती इलाके में भाजपा के कार्यकर्ता के रूप में काम रहे थे। उन्होंने कहा “मैं आपको एक किस्सा सुनाना चाहता हूँ। ये 1998 की बात है, मैं भाजपा के संगठन के कार्यकर्ता के रूप में हिमाचल में काम करता था। मई का महीना था और मैं शाम के समय यात्रा करता हुआ किसी और स्थान पर जा रहा था। हिमाचल की पहाड़ियों में शाम को ठंड तो हो ही जाती है, तो रास्ते में एक ढाबे पर चाय के लिये रुका और मैंने चाय के लिए आर्डर किया। वह बहुत छोटा-सा ढाबा था,एक ही व्यक्ति चाय बना रहा था और बेच भी था। दुकान के ऊपर कपड़ा भी नहीं था ऐसे ही सड़क के किनारे पर छोटा-सा ठेला लगा के खड़ा था।”
प्रधानमंत्री ने 1998 में अपनी हिमाचल यात्रा के दौरान हुए अनुभवों का स्मरण करते हुए कहा की रेडियो जन मन से जुड़ा हुआ है और रेडियो की बड़ी ताकत है. PM on #MannKiBaat #MannKiBaat50 pic.twitter.com/1tMkfrApBN
— Akashvani आकाशवाणी (@AkashvaniAIR) November 25, 2018
मोदी ने कहा कि चाय के लिए बोलने ही उस व्यक्ति ने अपने पास रखे शीशे के बर्तन से लड्डू निकाला और कहने लगा “साहब, चाय बाद में, लड्डू खाइए। मुँह मीठा कीजिये।
मैं भी हैरान हो गया और उससे पूछा कि क्या बात है ? घर में कोई शादी-वादी का कोई प्रसंग-वसंग है क्या! उसने कहा नहीं-नहीं भाई साहब, आपको मालूम नहीं क्या? अरे बहुत बड़ी खुशी की बात है। वह ऐसा उछल रहा था, ऐसा उमंग से भरा हुआ था, तो मैंने कहा क्या हुआ! उसने कहा कि अरे, आज भारत ने बम फोड़ दिया है। मैंने कहा कि भारत ने बम फोड़ दिया है! मैं कुछ समझा नहीं! तो उसने कहा- देखिये साहब, रेडियो सुनिये। रेडियो पर उसी की चर्चा चल रही थी।
वह परमाणु परीक्षण का दिन था और उस समय हमारे प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने मीडिया के सामने आकर घोषणा की थी। इसने यह घोषणा रेडियो पर सुनी थी और नाच रहा था और मुझे बड़ा ही आश्चर्य हुआ कि इस जंगल के सुनसान इलाके में, बर्फीली पहाड़ियों के बीच, एक सामान्य इंसान जो चाय का ठेला लगाकर अपना काम कर रहा है और दिन-भर रेडियो सुनता रहता होगा और उस रेडियो की ख़बर का उसके मन पर इतना असर था, इतना प्रभाव था और तब से मेरे मन में एक बात घर कर गयी थी कि रेडियो जन-जन से जुड़ा हुआ है और रेडियो की बहुत बड़ी ताकत है। संचार की पहुंच और उसकी गहराई, शायद रेडियो की बराबरी कोई नहीं कर सकता ये उस समय से मेरे मन में भरा पड़ा है और उसकी ताकत का मैं अंदाज करता था।”
मोदी ने कहा “जब मैं प्रधानमंत्री बना तो सबसे ताकतवर माध्यम की तरफ़ मेरा ध्यान जाना बहुत स्वाभाविक था और जब मैंने मई 2014 में एक ‘प्रधान-सेवक’ के रूप में कार्यभार संभाला तो मेरे मन में इच्छा थी कि देश की एकता, हमारे भव्य इतिहास, उसका शौर्य, भारत की विविधताएँ, हमारी सांस्कृतिक विविधताएँ, हमारे समाज के रग-रग में समायी हुई अच्छाइयाँ, लोगों का पुरुषार्थ, जज़्बा, त्याग, तपस्या इन सारी बातों को, भारत की यह कहानी, जन-जन तक पहुँचनी चाहिये। देश के दूर-सुदूर गावों से लेकर महानगरों तक, किसानों से लेकर के युवा पेशेवरों तक और बस उसी में से ये ‘मन की बात’ की यात्रा प्रारंभ हो गयी।”
मन की बात में पीएम मोदी ने कहा-
- अगले वर्ष 2019 में हम गुरु नानक देव जी का 550वाँ प्रकाश-पर्व मनाने जा रहे हैं। उन्होंने सदा ही पूरी मानवता के कल्याण के लिए सोचा। उन्होंने समाज को हमेशा सत्य, कर्म, सेवा, करुणा और सौहार्द का मार्ग दिखाया। गुरु नानक जी से जुड़े पवित्र स्थलों के मार्ग पर एक ट्रेन भी चलाई जायेगी. भारत सरकार ने करतारपुर कॉरीडोर बनाने का एक बड़ा महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, ताकि हमारे देश के यात्री आसानी से पाकिस्तान के करतारपुर में गुरु नानक देव जी के पवित्र स्थल पर दर्शन कर सकें।
- लोकतंत्र बाबा साहब के स्वभाव में रचा-बसा था, वो कहते थे कि भारत के लोकतांत्रिक मूल्य कहीं बाहर से नहीं आए हैं। संविधान सभा में उन्होंने एक बहुत भावुक अपील की थी कि इतने संघर्ष के बाद मिली स्वतंत्रता की रक्षा हमें अपने खून की आखिरी बूँद तक करनी है।
- संविधान सभा के बारे में बात करते हुए उस महापुरुष का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता जो संविधान सभा के केंद्र में रहे। ये महापुरुष थे पूजनीय डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर.6 दिसम्बर को उनका महा-परिनिर्वाण दिवस है। मैं सभी देशवासियों की ओर से बाबा साहब को नमन् करता हूँ।
- संविधान सभा देश की महान प्रतिभाओं का संगम थी,उनमें से हर कोई अपने देश को एक ऐसा संविधान देने के लिए प्रतिबद्ध था जिससे भारत के लोग सशक्त हों, ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति भी समर्थ बने. हमारे संविधान में खास बात यही है कि इसमें अधिकार और कर्तव्य के बारे में विस्तार से वर्णन किया गया है।
- कल ‘संविधान दिवस’ है, यह उन महान विभूतियों को याद करने का दिन है जिन्होंने हमारा संविधान बनाया. 26 नवम्बर, 1949 को हमारे संविधान को अपनाया गया था. संविधान ड्राफ्ट करने के इस ऐतिहासिक कार्य को पूरा करने में संविधान सभा को 2 वर्ष, 11 महीने और 17 दिन लगे।
- आज के युवाओं की यह खूबी है कि वो ऐसा कुछ भी नहीं करेंगे जिस पर स्वयं उन्हें विश्वास न हो और जब वो किसी चीज़ पर विश्वास करते हैं तो फिर उसके लिए सब कुछ छोड़-छाड़ कर उसके पीछे लग जाते हैं।
- देश के अधिकतर जिलों में मैं गया हूँ और देश के दूर-दराज जिलों में मैंने काफी समय बिताया है, इसके कारण जब मैं पत्र पढ़ता हूँ तो मैं उस स्थान और सन्दर्भ से relate कर पाता हूँ. सच पूछिए तो #MannKiBaat में आवाज़ मेरी है, लेकिन उदाहरण, भाव और शक्ति मेरे देशवासियों की ही है।
- भारत जैसे देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए जन-सामान्य की प्रतिभाएँ पुरुषार्थ को उचित स्थान मिले, यह हम सबका एक सामूहिक दायित्व है और ‘मन की बात’ इस दिशा में एक नम्र और छोटा सा प्रयास है।
- मन की बात’ सरकारी बात नहीं – यह समाज की बात है. ‘मन की बात’ एक महत्वाकांक्षी भारत की बात है। भारत का मूल-प्राण राजनीति नहीं है, भारत का मूल-प्राण समाजनीति और समाज-शक्ति है।
- कब किसी की इतनी ताक़त होगी कि #selfiewithdaughter की मुहिम हरियाणा के एक छोटे से गाँव से शुरू होकर पूरे देश में ही नहीं, विदेशों में भी फैल जाए.समाज का हर वर्ग, सेलेब्रिटी सब जुड़कर साथ आएं और समाज में सोच-परिवर्तन की एक नयी भाषा में, जिसे आज की पीढ़ी समझती हो, ऐसी अलख जगा जाये।
- हर ‘मन की बात’ से पहले आने वाले पत्रों, ऑनलाइन कमेंट्स फोन कॉल्स इनमें श्रोताओं की अपेक्षाएँ साफ़ होती हैं.मोदी आएगा और चला जाएगा, लेकिन यह देश अटल रहेगा, हमारी संस्कृति अमर रहेगी. 130 करोड़ देशवासियों की छोटी-छोटी यह कहानियाँ हमेशा जीवित रहेंगी।
- मुझे यह देखकर के खुशी हुई कि ‘मन की बात’ के कारण रेडियो,और अधिक लोकप्रिय हो रहा है. लेकिन यह केवल रेडियो ही नहीं है बल्कि TV,FM रेडियो, मोबाइल, इन्टरनेट, फ़ेसबुक लाइव के साथ-साथ NarendraModiApp के माध्यम से भी ‘मन की बात’ में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रहे हैं।
- हर महीने लाखों की संख्या में पत्रों को पढ़ते, फोन कॉल्स सुनते, एप और MyGov पर कमेंट देखते और इन सबको एक सूत्र में पिरोकर के, हल्की-फुल्की बातें करते-करते 50-एपिसोड का ये सफ़र हम सबने मिलकर तय किया है। जिन लोगों के बीच सर्वे किया गया है, उनमें से औसतन 70% नियमित रूप से ‘मन की बात’ सुनने वाले लोग हैं।
- मई 2014 में जब मैंने एक ‘प्रधान-सेवक’ के रूप में कार्यभार संभाला तो मेरे मन में इच्छा थी कि देश की एकता, भव्य इतिहास, उसका शौर्य, भारत की विविधताएँ हमारे समाज के रग-रग में समायी हुई अच्छाइयाँ, पुरुषार्थ, जज़्बा, त्याग, तपस्या इन सारी बातों को,जन-जन तक पहुँचाना चाहिये।
आपको बता दें कि कुछ दिनों पहले ही कार्यक्रम से जुड़े विभिन्न पहलुओं, लोगों की सहभागिता, विभिन्न विषयों एवं कार्यक्रमों के बारे में लोगों की राय जानने के लिए ‘मन की बात’ सर्वे कराया गया। प्रधानमंत्री ने अपने ट्वीट में कहा था कि मन की बात के 50 एपिसोड पूरे हो रहे हैं। ‘मैं आपसे आग्रह करता हूं कि इस कार्यक्रम के बारे में हो रहे सर्वेक्षण में हिस्सा लें। आपके विचार बहुत उपयोगी होंगे।’