नई दिल्ली । जल संरक्षण पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात में कुओं या बाबड़ियों के संरक्षण के लिए ‘जल मंदिर’ योजना जैसे प्रयासों की चर्चा करने के साथ ही पूरे भारत में ‘अमृत सरोवर’ बनाने का आग्रह किया। उन्होंने गुजरात का उदाहरण देते हुए कहा कि लोगों ने बावड़ियों को पुनर्जीवित किया जिससे न केवल जल संरक्षण में मदद मिली बल्कि भूजल स्तर में भी वृद्धि हुई है।
प्रधानमंत्री ने रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम की 87वीं कड़ी में जल संरक्षण के संकल्प को दोहराते हुए कहा कि पानी की एक-एक बूंद बचाने के लिए हम जो भी कुछ कर सकते हैं, वो हमें जरूर करना चाहिए। इसके साथ ही हमें पानी के पुनर्चक्रण पर ध्यान देने की जरूरत है। घर में इस्तेमाल किया हुआ पानी गमलों और बागवानी में काम आ सकता है। थोड़े से प्रयास से आप अपने घर में ऐसी व्यवस्थाएं बना सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने स्वच्छता अभियान में बच्चों की भूमिका की सराहना करते हुए जल संरक्षण के लिए भी उनसे आगे आकर जल योद्धा बनने का आह्वान किया। जल संरक्षण को अपने जीवन का मिशन बनाने वाले चेन्नई के अरुण कृष्णमूर्ति का जिक्र करते हुए बताया कि वह इलाके में तालाबों और झीलों को साफ करने का अभियान चला रहे हैं। उन्होंने 150 से ज्यादा तालाबों-झीलों की साफ-सफाई की जिम्मेदारी उठाई और उसे सफलता के साथ पूरा किया। इसी तरह, महाराष्ट्र के रोहन काले सैकड़ों सीढ़ी वाले पुराने कुओं के संरक्षण की मुहिम चला रहे हैं।
उन्होंने कहा कि गुजरात में, लोगों ने बावड़ियों को पुनर्जीवित किया जिससे न केवल जल संरक्षण में मदद मिली बल्कि भूजल स्तर में भी वृद्धि हुई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह ऐसे राज्य से आते हैं जहां पानी की हमेशा बहुत कमी रही है। गुजरात में इन सीढ़ी वाले पुराने कुओं को वाव कहते हैं। इन कुओं या बावड़ियों के संरक्षण के लिए ‘जल मंदिर योजना’ ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई। पूरे गुजरात में अनेकों बावड़ियों को पुनर्जीवित किया गया। इससे इन इलाकों में वाटर लेवेल को बढ़ाने में भी काफी मदद मिली। ऐसे ही अभियान आप भी स्थानीय स्तर पर चला सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव में हमारे देश के हर जिले में कम से कम 75 अमृत सरोवर बनाए जा सकते हैं। कुछ पुराने सरोवरों को सुधारा जा सकता है, कुछ नए सरोवर बनाए जा सकते हैं।