कई कारोबारियों ने बनाई रिटायरमेंट की प्लानिंग, बच्चों को दे सकते हैं अपनी जिम्मेदारी

मुंबई। भारत के कई बड़े टायकून्स आने वाले सालों में अपने बच्चों को कारोबारी जिम्मेदारी देकर रिटायर हो सकते हैं। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी (66) अपने एक या बाकी बच्चों को 2029 तक बिजनेस का एग्जीक्यूटिव कंट्रोल सौंप देंगे।

L&T के एएम नायक (81), HDFC के दीपक पारेख (78) और कोटक महिंद्रा बैंक के उदय कोटक (64) भी अगले कुछ साल में रिटायर हो सकते हैं। ये सभी रतन टाटा (85), आदि गोदरेज (81), अजीम प्रेमजी (78) और शिव नाडर (78) के रिटायरमेंट क्लब में शामिल हो जाएंगे। इन सभी को रिटायर हुए 10 साल से ज्यादा वक्त हो गया है।

अपनी जिम्मेदारियों में कटौती करेंगे बिजनेस टायकून्स

रिपोर्ट के मुताबिक, डॉ. प्रताप रेड्डी (रेड्डीज लेबोरेट्रीज), आरसी भार्गव, नुस्ली वाडिया (मफतलाल), बाबा कल्याणी, हर्ष मारीवाला, वेणु श्रीनिवासन, किरण मजूमदार-शॉ, पवन मुंजाल, अनिल अग्रवाल, आनंद महिंद्रा, नंदन नीलेकणि, अजय पीरामल, दिलीप संघवी और सुनील मित्तल या तो पूरी तरह रिटायर हो जाएंगे या फिर प्रबंधन जिम्मदारियों में कटौती करेंगे। इनमें रेड्डी 91 और भार्गव 89 साल के हैं, बाकी सबकी उम्र 60 से 70 साल के बीच है।

नई पीढ़ी को तगड़ा कॉम्पिटिशन फेस करना होगा

कई बिजनेस लीडर्स लार्जर दैन लाइफ जीने का उदाहरण खड़ा किया है। इनमें से कई अपने बिजनेस के संस्थापक रहे और कड़ी मेहनत से उसे खड़ा किया। भले ही उनके पास संसाधनों की कमी रही, लेकिन ग्लोबलाइजेशन के बाद के दौर में वे उभरकर सामने आए। उनके उत्तराधिकारियों को एक बनी बनाई कंपनी मिलेगी, लेकिन दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुके भारत में उन्हें खासी प्रतिस्पर्धा देखने को मिलेगी।

पुराने कारोबारी दिग्गजों ने कई मुश्किलें झेलीं हैं। मसलन एशियन क्राइसिस, डॉट कॉम बबल, ग्लोबलाइजेशन, 2008 का वित्तीय संकट और टेक्नोलॉजी में आया जबरदस्त बूम। कुछ को छोड़ दें तो ज्यादातर कारोबारी परिवारों के बच्चों को इस माहौल में अपनी काबिलियत साबित करनी होगी।

भारतीय कंपनियों के लिए उत्तराधिकारी तय करने की राह मुश्किल होगी

एक्सपर्ट कहते हैं कि यह दशक भारत की जानी-मानी कंपनियों के लीडरशिप में जनरेशन चेंज के लिए जाना जाएगा। लेकिन, यह आसान नहीं होगा। इसकी झलक पिछले कुछ घटनाक्रमों में दिखी है। जैसे टाटा समूह में, नेतृत्व करने के लिए गैर-टाटा का चयन सफल नहीं रहा। वहीं इंफोसिस में बाहरी लीडर का प्रोजेक्शन विफल रहा, जिससे बोर्ड में तख्तापलट हुआ और नीलेकणि की वापसी हुई। महिंद्रा ग्रुप में एग्जीक्यूटिव लीडरशिप में बाहरी व्यक्ति को लाने का प्रोसेस धीरे-धीरे और पूरी प्लानिंग के साथ किया गया।

एशियन पेंट्स, मैरिको और गोदरेज में एग्जीक्यूटिव पदों पर परिवार का व्यक्ति और बाहरी प्रोफेशनल का मिक्स रहा। बजाज, अपोलो और भारत फोर्स में दूसरी और तीसरी पीढ़ी के परिवार के सदस्य प्रबंधन की कमान संभाले हुए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स से संकेत मिलता है कि सिपला जैसी अन्य कंपनियों में उत्तराधिकारी बाहर जाना चाह सकते हैं।

मुकेश अंबानी क्यों संभलकर जिम्मेदारियां दे रहे

मुकेश अंबानी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन और MD के पद पर रहते हुए तीन दशक में कंपनी को 5 हजार 500 करोड़ रुपए से 74 हजार 430 करोड़ रुपए की कंपनी बना दिया है। माना जाता है कि रिलायंस हमेशा प्रोजेक्ट मोड में रहती है। हाल ही में रिलायंस ने न्यू एनर्जी बिजनेस को ईंधन देकर उसकी रफ्तार बढ़ाने की तैयारी की है, साथ ही चीन को पीछे छोड़ने की योजना बनाई है। ऐसे में मुकेश अंबानी के पद पर रहे बिना यह काम मुश्किल लग रहा है। विश्लेषक मानते हैं कि दुनियाभर में उत्तराधिकार सौंपने के नतीजों की भविष्यवाणी मुश्किल है। उत्तराधिकारी उम्मीद पर खरे उतरेंगे, यह दावा करना मुश्किल है।

मुकेश अंबानी के लिए उत्तराधिकार के संभावित नुकसान बहुत वास्तविक हैं। उनके पिता धीरूभाई ने कोई वसीयत नहीं छोड़ी थी और उनका निधन हो गया। इसके बाद मुकेश का अपने भाई अनिल के साथ संपत्ति विवाद हुआ। शायद यही एक वजह है कि वे एक स्पष्ट और व्यवस्थित उत्तराधिकार योजना तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं।

रिलायंस के नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर बने ईशा, आकाश और अनंत; नीता अंबानी अब बोर्ड का हिस्सा नहीं

ईशा, आकाश और अनंत अंबानी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) के नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर बन गए हैं। शेयरहोल्डर्स की मंजूरी के बाद RIL के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर ने सोमवार यानी 28 अगस्त को मुकेश अंबानी के तीनों बच्चों को नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अपॉइंट किया। इसके साथ ही नीता अंबानी के इस्तीफे को भी बोर्ड ने एक्सेप्ट कर लिया है।

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