
भास्कर समाचार सेवा
मेरठ। हिसावदा गांव में जन्मे श्री सत्पल मालिक ने अपनी पढ़ाई मेरठ कॉलेज से की तथा मेरठ कॉलेज की छात्र राजनीति से अपने राजनैतिक पारी की शुरुआत की।वे छात्र राजनीति में मेरठ कॉलेज के छात्र अध्यक्ष रहे। उन्होंने अपने राजनीतिक पारी की शुरुआत भारतीय क्रांति दल पार्टी से की उसके बाद उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ,जनता दल,लोक दल व समाजवादी पार्टी से भी चुनाव लड़ा और फिर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया और फिर पीछे मुड़कर नही देखा। मालिक भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे। 1980 से 1989 तक उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद रहे ।अलीगढ़ सीट से जनता दल से 1989 से 1991 तक लोकसभा संसद के पद पर रहे । 2017 में बिहार के राज्यपाल के रूप मे शपथ ग्रहण की।2018 में जम्मू कश्मीर के राज्यपाल बने और उन्ही के कार्यकाल में धारा 370 हटाई गई। इसके बाद 2018 में ओड़िशा के राज्यपाल बने।2019 में गोआ का राज्यपाल नियुक्त किया गया।2020 में मेघालय का राज्यपाल नियुक्त किया गया और वर्तमान मे मेघालय के राज्यपाल हैं।मेरठ बार एसोसिएशन में वर्तमान में अध्यक्ष श्री गजेन्द्र पल सिंह भी उन्ही कर पैतृक गांव से हैं।श्री मालिक के सम्मान मैं बैगपाइपर बैंड बार एसोसिएशन मैं बजवाया गया।श्री मालिक को अधिवक्ताओ ने फूल मालाओं से लाद दिया।श्री मालिक ने भी मेरठ के अधिवक्ताओ की जमकर तारीफ की ।हाइकोर्ट बेंच की मांग पर कहा कि पहले भी अधिवक्ताओ की लड़ाई में खड़ा रहा हूं और रिटायरमेंट के बाद सक्रिय राजनीति करोंग। व बेंच आंदोलन की लड़ाई में अधिवक्ताओ का साथ देंगे।भाजपा में होकर सरकार में रहकर भी श्री मालिक सरकार के खिलाफ बोलने से नही कतराते पिछले दिनों प्रधानमंत्री के विरुद्ध बोलने पर काफी चर्चाओ में रहे और कहते हैं के जब मोदी कहेंगे तो राज्यपाल पद से इस्तीफा देने में देरी नही करेंगे। किसानों द्वारा लालकिले पर झंडा फरहाने पर कहा कि लालकिले पर झंडा किसी पार्टी का नही था बल्कि निशान ए साहिब फरहाना कोई गलत कृत्य नही इन्ही के पुरखो ने उसी लालकिले पर अपने शीश कटाये हैं उनका इतना तो हक हैं ही। उन्होंने अधिवक्ताओं को कहा के देश बर्बादी की तरफ जा रहा हैं लोगो को धर्म के नाम पर नही बल्कि महंगाई,बेरोजगरी के खिलाफ लड़ना चाहिए यहां पैट्रोल डीजल पड़ोसी मुल्को से भी महंगा हैं जिसकी कोई वजह नही हैं।इसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया।