दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को दिल्ली हाईकोर्ट में पेश किया गया. दोपहर ढाई बजे उनकी कोर्ट में पेशी होने के बाद सुनवाई शुरू हुई. उन्हें ईडी ने सोमवार को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया. ED की ओर से तुषार मेहता ने सत्येन्द्र जैन की 14 दिनों की हिरासत की मांग की गई थी. इसके बाद कोर्ट ने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को नौ जून तक के लिए ED की कस्टडी भेज दिया।
मेहता ने कहा कि कैश दिल्ली में दिया गया. ये कैश कोलकाता में हवाला के जरिये एंट्री ऑपरेटर्स तक पहुंचा. ये एंट्री ऑपरेटर्स कंपनियों में शेयर खरीद कर निवेश करते थे. ये फर्जी कंपनियां थीं. इन फर्जी कंपनियों में निवेश कर काले धन को सफेद बनाया जा रहा था. इन पैसों से जमीनें खरीदी गईं. प्रयास नामक एनजीओ के जरिये कृषि भूमि की खरीदी गई. कोर्ट ने तुषार मेहता से पूछा कि क्या आप 2015-17 के लेनदेन की बात कर रहे हैं, तब मेहता ने कहा कि हां, ईडी ने उन्हें जांच के लिए बुलाया, लेकिन उन्होंने जांच में सहयोग नहीं किया।
मेहता ने कहा कि अगर सत्येन्द्र जैन को बाहर रखा गया तो साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ होने की संभावना है. इससे मनी लाउंड्रिंग के पूरे चक्र का पता नहीं चल पाएगा. कोर्ट ने मेहता से पूछा कि आप 14 दिनों की रिमांड क्यों मांग रहे हैं, तब मेहता ने कहा कि हमें ये पता लगाना है कि पैसा किसी और का लगा था कि नहीं. इस पैसे से किसको लाभ हुआ. ये मामला केवल 4.81 करोड़ का ही नहीं है।
सत्येन्द्र जैन की ओर से वरिष्ठ वकील एन हरिहरन ने कहा कि सत्येन्द्र जैन जांच में लगातार सहयोग कर रहे हैं. हरिहरन ने कहा कि ईडी जो दलीलें दे रहा है वो 2017 में दाखिल चार्जशीट का दोहराव मात्र है. उस केस में एक इंच आगे नहीं बढ़ा गया है. 5-6 बार सत्येन्द्र जैन को बुलाया गया और वे जांच में शामिल हुए. हरिहरन ने कहा कि सह-आरोपी कुछ भी कर सकता है उसके लिए आरोपी जिम्मेदार नहीं है. सीबीआई जांच में भी आय के स्रोत का पता नहीं लगाया गया. इस बात का कोई सबूत नहीं है कि आरोपी का पैसा हवाला के जरिये गया. सत्येन्द्र जैन के घर पर दो बार छापा डाला गया. उनका बैंक खाता सीज किया गया।
वकील एन हरिहरन के कहा कि सत्येन्द्र जैन ने मंत्री बनने के बाद सभी कंपनियों से इस्तीफा दे दिया था. ईडी के पास जांच करने के लिए सबकुछ है. उसके बावजूद वे 14 दिन की हिरासत क्यों मांग रहे हैं. ईडी कह रही है कि सत्येन्द्र जैन जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं, लेकिन ये केवल गुनाह जबरन कबूल करवाना चाहते हैं।