भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में मतदान के दौरान किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति और उपद्रव से निपटने के लिए पुलिस ने इस बार तीन मिनट का रिस्पांस प्लान तैयार किया है। घटना-दुर्घटना की सूचना मिलते ही पुलिस तीन मिनट के अंदर मौके पर पहुंच जाएगी। शहरी पोलिंग बूथ में किसी भी तरह के उपद्रव या गड़बड़ी की सूचना पर पुलिस फोर्स सिर्फ शिकायत मिलने के तीन मिनट के अंदर घटना स्थल पर पहुंच जाएगी। पुलिस प्लानिंग में रिस्पांस टाइम का खास ख्याल रखा गया है। हालात पर तत्काल काबू पाने के लिए लोकल पुलिसकर्मी और मोबाइल वाहन मतदान केंद्रों के आसपास तैनात रहेंगे।
मध्यप्रदेश में इस बार विधानसभा चुनाव के लिए 65 हजार से ज्यादा पोलिंग बूथ बनाए गए हैं। शहरी क्षेत्र की तुलना में ग्रामीण इलाकों में ज्यादा मतदान केंद्र हैं। इनमें से दस हजार से ज्यादा बूथ संवेदनशील हैं। 2013 के चुनाव की तुलना में इस बार पोलिंग बूथ की सुरक्षा के ज्याद पुख्ता और बेहतर इंतजाम किए गए हैं। किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए स्थानीय थानों के पुलिस बल को मतदान केंद्रों और उसके आसपास तैनात किया गया है। पोलिंग बूथों में पैरामिलिट्री फोर्स भी तैनात रहेगा।
शहरी क्षेत्र में अगर कोई घटना या फिर दुर्घटना होती है, तो उसकी सूचना पर पुलिस फोर्स के महज तीन मिनट में मौके पर पहुंचने का प्लान है। सौ मीटर के दायरे में पुलिस मोबाइल और मजिस्ट्रेट मोबाइल वाहन तैनात रहेंगे। शांतिपूर्ण मतदान के लिए थाने से लेकर सीएसपी, एएसपी और क्यूआरटी मोबाइल वैन तैनात किए जाएंगे। एफआरबी के साथ वेपंस मोबाइल का भी मूवमेंट रहेगा। पुलिस का अतिरिक्त फोर्स भी मुख्यालय में तैनात किया गया है, लेकिन फील्ड में रहने वाले पुलिस फोर्स के मूवमेंट की इस तरह से व्यवस्था की गयी है ताकि घटना की सूचना पर महज तीन मिनट पर पुलिस पोलिंग बूथ या किसी दूसरे स्थान पर पहुंच सके।
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चुनाव में करोड़पति उम्मीदवारों की भरमार, मगर सबसे ज्यादा भाजपा में
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार करोड़पति उम्मीदवारों की भरमार है। मध्यप्रदेश इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्मस यानि की एडीआर की रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है। चुनाव में ताल ठोक रहे प्रत्याशियों में कई ऐसे चेहरे भी शामिल हैं, जिनकी संपत्ति करोड़ों में है। सबसे ज्यादा करोड़पति उम्मीदवार भाजपा से हैं, जबकि सबसे कम करोड़पति उम्मीदवार सपा में शामिल हैं। चुनावी मैदान में मौजूद 2716 उम्मीदवारों में से 656 उम्मीदवार यानी 24 प्रतिशत करोड़पति हैं, जबकि साल 2013 के विधानसभा चुनावों में 2494 उम्मीदवारों में से 472 उम्मीदवार यानि की 19 फीसदी प्रत्याशी करोड़पति थे। इस बार करोड़पति प्रत्याशियों की संख्या कहीं ज्यादा है।
इस बार चुनाव में ऐसे भी चेहरे कम नही हैं, जिन्होंने अपनी संपत्ति की जानकारी नही दी है। 165 प्रत्याशी यानि की 63 फीसदी उम्मीदवार ऐसे हैं, जिन्होंने आयकर विवरण की जानकारी नही दी है। इनमें से 544 यानि की 20 फीसदी उम्मीदवारों ने अपना पैन विवरण घोषित नहीं किया है।
भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला, परंपरागत सीटों तक पहुंची चुनावी लड़ाई
मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों के लिए मतदान कल 28 नवम्बर को होगा। इस बार भाजपा और कांग्रेस के लिए हर सीट मायने रखती है। यह चुनावी लड़ाई उन परंपरागत गढ़ों तक पहुंच गई है जिस पर एक दूसरे के खिलाफ जीत दर्ज करने से न केवल बढ़त बनेगी बल्कि 2019 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मनोबल भी बढ़ेगा।
इंदौर में भाजपा ने राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के पुत्र आकाश को चुनाव मैदान में उतारा है। हालांकि यह क्षेत्र विजयवर्गीय का एक मजबूत गढ़ माना जाता है लेकिन कांग्रेस ने अश्विन जोशी को टिकट देकर इस गढ़ में चुनौती दी है। अश्विन जोशी ने 2003 में उस समय जीत दर्ज की थी जब अधिकतम सीटें भाजपा को मिली थी। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के गढ़ राघोगढ़ में उनके पुत्र जयवर्धन सिंह कांग्रेस उम्मीदवार हैं और भाजपा ने भूपेन्द्र सिंह रघुवंशी को चुनाव मैदान में उतारा है।
निकटवर्ती चाचौड़ा सीट पर कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह को खड़ा किया है, जबकि भाजपा ने मौजूदा विधायक ममता मीणा को टिकट दिया है। ऐसे में इन सीटों पर मुकाबला और भी दिलचस्प बन गया है। अब देखना यह है कि कौन-कौन से उम्मीदवारों का भाग्य चमकेगा और जनता किसकी झोली में जीत का आशीर्वाद डालती है।