मुम्बई । भारतीय रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) ने गुरुवार को ब्याज दरों में कटौती करने का फैसला लिया है। तीन जून से छह जून तक चली एमपीसी की बैठक में रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की गई है। रेपो रेट की दर मौजूदा 6 फीसदी से घटकर 5.75 फीसदी कर दी गई है। हालांकि केन्द्रीय बैंक ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की दर को घटाकर सरकार को झटका दिया है। बेरोजगारी और मंहगाई के मोर्चे पर भी सरकार को ठोस कदम उठाने की नसीहत दी है।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की मौद्रिक समीक्षा बैठक में 0.25 बेस प्वाइंट की कटौती की गई है। मौजूदा सरकार के दूसरे कार्यकाल में यह पहली मौद्रिक समीक्षा बैठक थी। आरबीआई की पिछली दो बैठकों में भी एमपीसी सदस्यों ने रेपो रेट में क्रमश: 0.25 फीसदी की कटौती करने का फैसला किया था। जून में लगातार तीसरी बार केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट घटाया है। रिजर्व बैंक के इतिहास में पहली बार हुआ है जब आरबीआई गवर्नर की नियुक्ति के बाद लगातार तीसरी बार रेपो रेट में कमी आई है। पिछले साल दिसम्बर महीने में आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल के इस्तीफे के बाद शक्तिकांता दास को सरकार ने गवर्नर नियुक्त किया था।
उल्लेखनीय है कि 30 मई को जारी आंकड़ों के मुताबिक देश की जीडीपी की ग्रोथ घटकर 5 साल के निचले स्तर पर आ गई है। इसके साथ ही निवेश में कमी आई है। ऑटो सेक्टर की डिमांड कम होने से जीडीपी में कमी आई है। आरबीआई ने अप्रैल 2019 के द्वि-मासिक मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद सीपीआई मुद्रास्फीति की अनुमानित दर वित्त वर्ष 2018-19 के आखिरी तिमाही के लिए 2.4 फीसदी का अनुमान लगाया है। जबकि वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही के लिए 2.9-3.0 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी तिमाही के लिए 3.5-3.8 प्रतिशत का अनुमान लगाया है।
आरबीआई ने संभावना जताई है कि कंजम्पशन घटने से देश की अर्थव्यवस्था की ग्रोथ धीमी हो सकती है। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2020 के लिए जीडीपी ग्रोथ घटाकर 7.1 फीसदी कर दिया है। अपने पिछले पॉलिसी रिव्यू में आरबीआई ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट 7.4 फीसदी से घटाकर 7.2 फीसदी कर दिया था। मुद्रास्फीति (इनफ्लेशन) के मामले में आरबीआई ने कहा है कि इस बार सरकार को राहत है। महंगाई दर 4 फीसदी मीडियम टर्म टारगेट के नीचे है।
लोन की कुल राशि |
30,00,000 रुपये |
लोन चुकाने का समय |
20 साल |
मौजूदा ब्याज दर |
8.6 पर्सेंट |
ईएमआई |
26,225 रुपये |
नई ब्याज दर |
8.35 फीसदी |
नई ईएमआई |
25,751 रुपये |
ईएमआई में कुल राहत |
474 रुपये मासिक |
इसके साथ केंद्रीय बैंक ने स्मॉल फाइनेंस सेक्टर की बैंकों के लिए अगस्त 2019 तक नए दिशा निर्देश जारी करने की बात कही है। आरबीआई मुख्यालय में आयोजित तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में एमपीसी के सभी सदस्य डॉ. चेतन घाटे, डॉ. पामी दुआ, डॉ. रवींद्र एच. ढोलकिया, डॉ. माइकल देवव्रत पात्रा, डॉ. विरल वी. आचार्य और गवर्नर शक्तिकांता दास मौजूद थे। सर्वसम्मति से पॉलिसी रेपो दर को 25 बेसिस पॉइंट कम करने फैसला किया गया।
ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करने वालों को तोहफा
इसके अलावा ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करने वालों को भी आरबीआई की बैठक से खुशखबरी मिली है। दरअसल, रिजर्व बैंक ने RTGS और NEFT लेनदेन पर लगाए गए शुल्क को हटा दिया है. इसका मतलब यह हुआ कि अब RTGS और NEFT के जरिए ट्रांजेक्शन करने वाले लोगों को किसी भी तरह का एक्स्ट्रा चार्ज नहीं देना होगा।
क्या है RTGS और NEFT
रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS) सिस्टम के तहत मनी ट्रांसफर का काम तुरंत होता है. आरटीजीएस का उपयोग मुख्यत: बड़ी राशि को ट्रांसफर करने के लिए होता है। इसके तहत न्यूनतम 2 लाख रुपये भेजे जा सकते हैं और अधिकतम राशि भेजने की कोई सीमा नहीं है. अलग-अलग बैंकों का आरटीजीएस चार्ज अमाउंट के हिसाब से अलग-अलग होता है.वहीं नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT) में ट्रांसफर के लिए न्यूनतम और अधिकतम पैसे की सीमा नहीं है. यह चार्ज भी अमाउंट के हिसाब से बढ़ता जाता है।
ATM ट्रांजेक्शन चार्ज पर भी जल्द फैसला संभव
RBI की ओर से एटीएम ट्रांजेक्शन चार्ज को लेकर भी बड़े फैसले लेने के संकेत दिए गए हैं। केंद्रीय बैंक ने बैठक में एक समिति का गठन करने का निर्णय लिया है। इस समिति के जरिए ATM शुल्क से जुड़े मामलों की समीक्षा की जाएगी। यह समिति अपनी पहली बैठक के दो महीने के भीतर अपनी सिफारिशें आरबीआई को बताएगी।