रंजीता ओर मनोज धामा ने अपने कई समर्थकों और सभासदो के साथ लोकदल पार्टी की ज्वाइन
विधान सभा चुनावों में भाजपा से बगावत कर रंजीता धामा ने लडा था निर्दलीय विधायकी का चुनाव
भाजपा ने रंजीता धामा और मनोज धामा को पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता के कारण पार्टी से कर दिया था निष्कासित
– जितेन्द्र सिंह वर्मा
लोनी । नगर पालिका के तीन सौ करोड़ रुपये के घोटाले के आरोपों ओर एक गैग रेप के अलावा कई मुकदमों के कारण विवादित रहे पूर्व चेयरमैन मनोज धामा और उनकी पत्नी वर्तमान चेयरमैन रंजीता धामा ने मंगलवार को लोकदल का दामन थाम लिया है। लोकदल के राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी ने गाजियाबाद के होटल में दम्पत्ति को लोकदल पार्टी ज्वाइन कराई है। मनोज धामा के कई समर्थकों और कई सभासदों ने मनोज के समर्थन में लोकदल पार्टी ज्वाइन की और भाजपा का साथ छोड दिया । रंजीता धामा ने अपने पति मनोज धामा के जेल में रहते हुये विधानसभा चुनावों में भाजपा प्रत्याशी नंदकिशोर गुर्जर के सामने निर्दलीय चुनाव लड कर लगभग 27 हजार वोट प्राप्त किये थे और चुनाव हार गई थीं। धामा के लोकदल में आने से लोनी की राजनीती की शतरंज पर बैठाए गई गयी गोटियों के समीकरण गडबडा गये हैं। भाजपा और अन्य दलों के छत्रप आगामी नगर निकाय चुनाव में अपने प्यादों को जिस तरह चुनावी मैदान में उतारने के लिये भूमिका बना रहे थे उनके होर्डिस से शहरों को पाटने की शुरूआत हो चुकी थी । उन पर घड़ो पानी पड गया है। छत्रपों को लग रहा था मनोज धामा की भाजपा से निष्कासित करने के बाद लोनी की राजनीति ने बॉर्डर क्षेत्र में वोटों पर पकड़ रखने वाले मनोज धामा का अस्तित्व खत्म हो गया । यह भी बताया जा रहा था कि मनोज धामा भाजपा में प्रदेश के संगठन के एक रसूखदार पदाधिकारी के संपर्क में रहे हे। और वे दोबारा से भाजपा ज्वाइन करना चाहते थे, लेकिन भाजपा ने उन्हें तवज्जो नही दी । इसके बाद ही उन्होंने लोकदल पार्टी को ज्वाइन किया । लोकदल ज्वाइन करने के पीछे माना जा रहा हें कि विधान सभा चुनावों में सपा और लोकदल गठबंधन के प्रत्याशी मदन भैया ने भाजपा प्रत्याशी को कड़ी टक्कर दी थी और नंदकिशोर गुर्जर बहुत ही कम अंतराल से जीत दर्ज करा पाये थे । विधान सभा चुनावों से इस बात का अंदाजा लगाया जा रहा हैं कि मुस्लिम ओर जाट वोटो की जुगलबंदी से अगर मनोज धामा राष्ट्रीय लोकदल के टिकट से चेयरमैन का चुनाव लडते है, तो वे जीत हासिल कर सकते है। लेकिन अगर समाजवादी पार्टी का गठबंधन नहीं हुआ तो यह सपना भी चकनाचूर हो सकता है क्योंकि मनोज धामा के पीछे मुकदमों की बहुत बडी फेहरिस्त हैं और वे एक रेप केस में फिलहाल जमानत पर है।