
- चार विश्वविद्यालय का उप कुलपति रह चुका है आरोपी, कॉलेज व रिसोर्ट का भी मालिक है
गाजियाबाद। थाना कौशांबी पुलिस ने गुरुवार को एक ऐसे नटवरलाल को गिरफ्तार किया है जो फर्जी तरीके से खुद को ओमान का हाई कमिश्नर बताकर सरकारी प्रोटोकॉल तथा अन्य सुख सुविधा हासिल कर रहा था। आरोपी चार विश्वविद्यालय का उप कुलपति रह चुका है और एक एनजीओ का सदस्य भी है। पुलिस ने उसके कब्जे से आईडी कार्ड, 42 विजिटिंग कार्ड, 01 लाल नीली बत्ती, 01 प्लेट नम्बर एच आर 26 सीएन 0088 व 01 नीले रंग की प्लेट नम्बर 88 सीडी 01 लगी हुई काले रंग की मर्सिडीज कार बरामद की है । ओमान सरकार ने भी कहा कि इस नाम का काेई व्यक्ति हाई कमिश्नर नहीं है।
चार विश्वविद्यालय का उप कुलपति रह चुका है आरोपी –
डीसीपी ट्रांस हिंडन निमिष दशरथ पाटिल ने एक प्रेस वार्ता में बताया कि गिरफ्तार नटवरलाल का नाम नरेन्द्र सिंह राणा है जो मूल रूप से जनपद आगरा (उप्र) का निवासी है तथा वर्तमान में 13, नेशनल पार्क रोड, लाजपत नगर 4 थाना अमर कॉलोनी, दिल्ली में रहता है। आरोपी वर्ष 1982 – 2015 तक आगरा यूनिवर्सिटी, आगरा में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत रहा तथा आगरा में उसका कृष्णा कॉलेज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी नाम का एक काॅलेज तथा राजस्थान में एक रिर्जोट भी है । 2015 में आगरा में प्रोफेसर के पद से रिटायर होने के बाद वर्ष 2015 – 2018 तक पर्यावरण मंत्रालय में अप्रेजल अथोरिटी में काम किया। वर्ष 2018 – 2020 तक कुमांऊ यूनिवर्सिटी, नैनीताल (उत्तराखण्ड), वर्ष 2020 – 2021 तक अल्मोड़ा रेजिडेन्सियल यूनिवर्सिटी (उत्तराखण्ड), वर्ष 2021 – 2022 तक मेवाड़ यूनिवर्सिटी (राजस्थान) तथा वर्ष 2022 – 2024 तक जयपुर टेक्निकल यूनिवर्सिटी (जयपुर) में वाइस चांसलर के रूप में कार्यरत रहा ।
उन्होंने बताया कि आरोपी वर्ष 2024 में इंडिया जीसीसी ट्रेड कौंसिल नामक एनजीओ –
का सदस्य बना। इस एनजीओ का काम भारत का गल्फ देशों में व्यापार बढ़ाना है। बाद में वह एनजीओ का ओमान देश से व्यापार बढ़ाने के लिए ट्रेड कमिश्नर बन गया और इसी का फायदा उठाकर वह खुद को ओमान देश का हाई कमिश्नर बताकर फायदा उठाने लगा । आरोपी अपनी निजी गाड़ी एचआर26 सीएन 0088 का नम्बर प्लेट बदलकर डिप्लोमेट्स द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली नीली रंग की नम्बर प्लेट जिसका नम्बर 88 सीडी 01 लगाकर इस्तेमाल करने लगा ।
फरीदाबाद,मथुरा समेत कई जिलों में प्राप्त कर चुका है वीआईपी प्रोटोकाॅल –
आरोपी कृष्ण शेखर राणा खुद को ओमान देश का हाई कमिश्नर बताकर वीआईपी प्रोटोकॉल प्राप्त करने के लिए ओमान देश की एम्बेसी का एक फर्जी लेटर जिलाधिकारी गाजियाबाद के लिए भेजा गया । अभियुक्त द्वारा पूर्व में भी खुद को ओमान देश का हाई कमिश्नर बताकर मथुरा, फरीदाबाद (हरियाणा) में वीआईपी प्रोटोकॉल प्राप्त किया गया । फरवरी 2025 में दिल्ली के एक होटल में आयोजित एक कार्यक्रम में खुद को ओमान देश का हाई कमिश्नर बताकर चीफ गेस्ट के रूप में सम्मिलित रहा था । ऐसा कई सार्वजनिक कार्यक्रमों में भी खुद को ओमान देश का हाई कमिश्नर बताकर वीआईपी प्रोटोकॉल प्राप्त कर गलत इस्तेमाल किया गया है
एक संदिग्ध डॉक्यूमेंट के कारण पकड़ में आया आरोपी –
श्री पाटिल ने बताया कि उसने गाजियाबाद में भी एक फर्जी लेटर भेज कर प्रोटोकॉल की डिमांड की थी। साथ ही एक संदिग्ध डॉक्यूमेंट भी लगा दिया जिसकी पुलिस ने जांच की तो मामला संदिग्ध होने पर उससे पूछताछ की। इसके बाद पूरा मामला खुलता चला गया।
थाना कौशाम्बी पर व अशोक तौमर, चौकी प्रभारी यूपी गेट थाना कौशाम्बी ने आरोपी के खिलाफ धारा 319(2),318(4),336(3) बीएनएस में अभियोग पंजीकृत कराया ।
वीआईपी सुरक्षा एवं सुविधाएं प्राप्त करने के लिए किया फर्जीवाड़ा –
पुलिस को पूछताछ में राणा ने बताया कि ओमान देश का हाई कमिश्नर बताने से मुझे वीआईपी सुरक्षा एवं सुविधाएं आसानी से मिल जाती हैं, इस कारण ही मैंने अपनी प्राइवेट कार पर विदेशी राजनयिकों के लिए प्रयोग में लायी जाने वाली नीली नम्बर प्लेट को फर्जी तैयार कर अपनी कार पर आगे व पीछे लगा लिया और साथ ही कार के ऊपर लाल व नीली बत्ती, कार के आगे व पीछे के शीशे पर ओमान देश का फ्लैग स्टीकर, कार के अगले शीशे पर वर्ल्ड ह्यूमन राइट प्रोटेक्शन कमीशन का लाल रंग का स्टीकर भी लगाया है ।
मैंने व मेरे निजी सचिव देव कुमार ने लोगों को फर्जी तरीके से ओमान देश के हाई कमिश्नर का पद बताना शुरू किया । स्वीकार किया गया कि वह ओमान देश के हाई कमिश्नर के पद पर नियुक्त नहीं है । वह केवल गलत तरीके से सुरक्षा व प्रोटोकॉल प्राप्त करने के उद्देश्य से ऐसा कूटरचित जाली दस्तावेज तैयार कर जहाँ भी वीआईपी सुरक्षा एवं सुविधा चाहिए होती थी, उस जिले के जिलाधिकारी को भेजता था ।