राजनीति में नई चर्चाएं तेज : बिहार चुनाव के एक महीने बाद प्रियंका–प्रशांत किशोर की मुलाकात…कांग्रेस में वापसी या नई रणनीति?

Prashant Kishor Priyanka Gandhi meeting: कांग्रेस से वर्षों पुराने मतभेदों के बाद चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर और कांग्रेस के बीच एक बार फिर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. बिहार विधानसभा चुनाव के करीब एक महीने बाद प्रशांत किशोर ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाकात की है. यह मुलाकात इसलिए भी अहम मानी जा रही है क्योंकि जन सुराज पार्टी के गठन और कांग्रेस से तल्ख अलगाव के बाद यह दोनों पक्षों के बीच पहली प्रत्यक्ष राजनीतिक बातचीत मानी जा रही है. 

हालांकि, कांग्रेस और प्रशांत किशोर, दोनों खेमों के सूत्रों ने इस मुलाकात के महत्व को कम करके बताया है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इसे नजरअंदाज नहीं किया जा रहा. खासतौर पर इसलिए, क्योंकि हाल ही में संपन्न बिहार चुनावों में जन सुराज पार्टी ने महागठबंधन. जिसमें कांग्रेस एक प्रमुख घटक है, और भाजपा दोनों के खिलाफ चुनाव लड़ा था. 

बिहार विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत सकी जन सुराज पार्टी

बिहार विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर की चुनावी एंट्री बेहद निराशाजनक रही. जन सुराज पार्टी एक भी सीट जीतने में नाकाम रही और पार्टी के 238 में से 236 उम्मीदवारों (करीब 99.16%) की जमानत जब्त हो गई. कांग्रेस का प्रदर्शन भी कमजोर रहा. 61 सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद पार्टी महज 6 सीटें जीत सकी, जबकि 2020 में उसके खाते में 19 सीटें थीं. 

इस चुनावी नतीजे के दौरान प्रशांत किशोर लगातार कांग्रेस नेतृत्व पर भी सवाल उठाते रहे. उन्होंने बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) और राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ अभियान को गैर-प्रासंगिक मुद्दा बताया था, जिससे कांग्रेस और किशोर के बीच दूरी और बढ़ गई थी.

गांधी परिवार और प्रशांत किशोर का पुराना रिश्ता

प्रशांत किशोर और गांधी परिवार का रिश्ता नया नहीं है. 2021 में जेडीयू से निष्कासन के बाद किशोर ने कांग्रेस को पुनर्जीवित करने के लिए गांधी भाई-बहनों से संपर्क किया था. इसके बाद 2022 में कांग्रेस और प्रशांत किशोर के बीच औपचारिक बातचीत भी हुई. अप्रैल 2022 में सोनिया गांधी के 10, जनपथ स्थित आवास पर एक अहम बैठक हुई थी, जिसमें राहुल गांधी और प्रियंका गांधी सहित कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे. इस बैठक में प्रशांत किशोर ने पार्टी के पुनर्गठन और चुनावी रणनीति को लेकर विस्तृत प्रेजेंटेशन दिया था. उस समय किशोर कांग्रेस में शामिल होने के लिए भी तैयार थे. 

इसके बाद सोनिया गांधी ने पार्टी की चुनौतियों से निपटने के लिए एक ‘एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप 2024’ (EAG) का गठन किया और प्रशांत किशोर को इसमें शामिल होने का प्रस्ताव दिया. हालांकि, किशोर ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया. उनका कहना था कि उन्हें केवल एक समिति का हिस्सा नहीं, बल्कि पार्टी में व्यापक बदलाव के लिए स्वतंत्र भूमिका चाहिए. 

कांग्रेस ने तब एक आधिकारिक बयान में कहा था कि पार्टी ने प्रशांत किशोर को परिभाषित जिम्मेदारी के साथ EAG में शामिल होने का न्योता दिया था, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया. इसके जवाब में प्रशांत किशोर ने भी तीखा बयान जारी करते हुए कहा था कि कांग्रेस को बाहरी सलाहकार से ज्यादा मजबूत नेतृत्व और सामूहिक इच्छाशक्ति की जरूरत है, ताकि पार्टी के गहरे संरचनात्मक संकट से उबरा जा सके.

क्या बदलेगा सियासी समीकरण?

अब, तीन साल बाद प्रियंका गांधी से हुई यह मुलाकात कई सवाल खड़े कर रही है. क्या कांग्रेस और प्रशांत किशोर के बीच फिर से संवाद की शुरुआत हो रही है? या यह केवल एक औपचारिक मुलाकात थी? बिहार चुनावों में करारी हार के बाद और लोकसभा चुनावों के राजनीतिक समीकरणों के बीच यह बैठक आने वाले दिनों में कांग्रेस और प्रशांत किशोर, दोनों की रणनीति को किस दिशा में ले जाएगी, इस पर सियासी नजरें टिकी हुई हैं.

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