
– बीते ढाई महीने में नहीं दर्ज हुई कोई नई एफआईआर
– एसआईटी के पास पहुंची थीं 50 से ज्यादा शिकायतें
– कमजोर साक्ष्य के कारण कदम आगे बढ़ाने से परहेज
– आगे क्या होगा… के सवाल पर अफसरों ने साधी चुप्पी
– क्या वाकई ऑपरेशन महाकाल हुआ टायं टायं फिस्स…
भास्कर ब्यूरो
कानपुर। अदालत के हुक्म पर प्रज्ञा त्रिवेदी के दफन मुकदमे की पुनः विवेचना से इतर बीते ढाई महीने में अखिलेश दुबे अथवा साकेत दरबार के किसी शागिर्द के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई है। चर्चा है कि, आठ सदस्यों वाली एसआईटी को अखिलेश दुबे के खिलाफ शिकायतों में कोई दमदार सबूत नहीं मिला है। ऐसे में सिर्फ वाह-वाही लूटने के लिए पुलिस अधिकारियों को कोई कदम उठाने से सख्त परहेज है। दरअसल, एसआईटी को आदेश है कि, किसी शिकायती मामले में अखिलेश दुबे से सीधे जुड़ाव का साक्ष्य मिलने के बाद ही एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। ऐसे में कयास है कि ऑपरेशन महाकाल टायं-टायं फिस्स हो चुका है। अलबत्ता एसआईटी की गतिविधियों के बारे में कोई भी सदस्य कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं है। उधर, अखिलेश दुबे के खिलाफ मोर्चाबंद कुनबे ने साकेत दरबार को राहत की संभावित चर्चा के दरमियान, मुख्यमंत्री दरबार में गुहार लगाने का फैसला किया है।
बगैर साक्ष्य आगे नहीं बढ़ने की नसीहत
13 अगस्त को ग्वालटोली थाने में वक्फ की जमीन पर कब्जेदारी के आरोप में अखिलेश दुबे समेत आठ लोगों के खिलाफ एफआईआर के बाद ऑपरेशन महाकाल की दिशा दक्षिण शहर से घूमकर पूर्वी और पश्चिमी शहर की तरफ घूम गई। भूतपूर्व अपर शासकीय अधिवक्ता अवध बिहारी यादव को जेल भेजा गया, जबकि भूमाफिया गजेंद्र नेगी के खिलाफ दनादन एफआईआर लिखी गईं। इसी दरमियान, शिकायतों की संख्या बढ़ी तो एसआईटी का पुनर्गठन किया गया, लेकिन ढाई महीने का अवधि में अखिलेश दुबे के खिलाफ कोई नई एफआईआर दर्ज नहीं हुई। सवाल पूछने पर पिन ड्राप साइलेंस की स्थिति बन जाती है। पुख्ता सूत्रों के मुताबिक, राजधानी की नसीहत के आधार पर एसआईटी को स्पष्ट कहा गया है कि, किसी भी शिकायत की जांच के दौरान अखिलेश दुबे की संलिप्तता के सीधे और मजबूत सबूत मिलने के बाद ही एफआईआर की संस्तुति होनी चाहिए। सूत्रों पर भरोसा करें तो एसआईटी को अखिलेश दुबे के खिलाफ प्राप्त 52 शिकायतों में किसी भी मामले में सीधी संलिप्तता के साक्ष्य नहीं मिले हैं। इसी नाते अब शायद ही साकेत दरबार के मुखिया अथवा किसी शागिर्द के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज होगी।
नाइंसाफी के आरोपों पर एसआईटी का पुनर्गठन
गौरतलब है कि, ऑपरेशन महाकाल को अंजाम तक पहुंचाने के लिए डीसीपी-मुख्यालय एस.एम. कासिम आबिदी की अगुवाई में एसआईटी का गठन किया गया था। टीम में एडीसीपी क्राइम, एडीसीपी सेंट्रल और एडीसीपी एलआईयू शामिल थे। प्रारंभिक जांच के बाद बर्रा, किदवईनगर, कोतवाली, ग्वालटोली और कल्याणपुर थाने में अखिलेश दुबे तथा साथियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी। एसआईटी की जांच में तीन क्षेत्राधिकारी, एक इंस्पेक्टर, केडीए के पूर्व व वर्तमान कर्मचारी की संलिप्तता पाई गई तो सभी को बयान के लिए तलब किया गया था। इसी दरमियान, एसआईटी पर इकतरफा कार्रवाई का आरोप मढ़ा गया। मुख्यमंत्री दरबार में शिकायत दर्ज हुई कि, ठोस साक्ष्य उपलब्ध नहीं होने के बावजूद, पुराने फर्जी मामलों में फंसाया गया है। आरोप और शिकायतों की संख्या बढ़ने के कारण 27 अगस्त को एसआईटी का पुनर्गठन करते हुए डीसीपी पूर्वी सत्यजीत गुप्ता को अध्यक्ष बनाया गया था। एडीसीपी दक्षिण योगेश कुमार, एडीसीपी मुख्यालय डॉ. अर्चना सिंह, एसीपी चकेरी अभिषेक कुमार पाण्डेय, एसीपी कैंट आकांक्षा पाण्डेय, एसीपी कर्नलगंज अमित चौरसिया, एसीपी बाबूपुरवा दिलीप कुमार सिंह और एसीपी स्वरूपनगर इंद्रप्रकाश सिंह बतौर सदस्य शामिल किये गये थे।
उम्मीदों के साथ मुख्यमंत्री से मिलेगा कुनबा
ढाई महीने से साकेत दरबार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने से मुकदमा और शिकायत दर्ज कराने वाले सशंकित हैं। गली-नुक्कड़ पर चर्चा है कि, अब ऑपरेशन महाकाल की तपिश ठंडी पड़ गई है। तमाम कयासों-आशंकाओं के साथ अखिलेश दुबे के खिलाफ मोर्चाबंद चेहरों ने मुख्यमंत्री के सामने गुहार लगाने का फैसला किया है। झंडाबरदार रवि सतीजा कहते हैं कि, नए पुलिस कमिश्नर रघुवीर लाल की निष्पक्षता और निर्भीकता में कोई संदेह नहीं है, शत फीसदी यकीन है कि, माफियाओं और अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। रवि सतीजा ने कहाकि, अलबत्ता राजधानी में बैठे कुछेक अफसर और राजनेता इंसाफ की लड़ाई में माफिया के पक्ष में दबाव बनाने में जुटे हैं। ऐसे लोगों के चेहरों को बेनकाब करने के लिए मुख्यमंत्री से मुलाकात का समय मांगा है। जल्द ही सभी पीड़ितों को लेकर शहर के कानून-व्यवस्था के साथ राजनीतिक माहौल का सच मुख्यमंत्री के सामने रखा जाएगा।










