तेजी से बढ़ रहा है नॉइज पॉल्यूशन, जानिए क्या है सॉल्यूशन

दुनिया में ध्वनि प्रदूषण (नॉइज पॉल्यूशन) तेजी से बढ़ रहा है। इसी वजह से इंसानों, जानवरों और यहां तक कि पौधों को भी काफी नुकसान पहुंच रहा है। बड़े शहरों से लेकर सुदूर इलाके तक, सभी ध्वनि प्रदूषण की चपेट में आ रहे हैं। इससे ईकोसिस्टम तक प्रभावित हो रहा है।

शोर-शराबे से दिल की बीमारी का खतरा

ज्यादा शोर की वजह से मेटाबॉलिज्म से जुड़े रोग, हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। यहां तक कि हार्ट अटैक का भी खतरा रहता है। तेज और लगातार होने वाले शोर की वजह से यूरोप में हर साल 48,000 लोग दिल की बीमारी से प्रभावित हो रहे हैं और करीब 12,000 लोगों की असमय मौत हो रही है।

जर्मन संघीय पर्यावरण एजेंसी (यूबीए) के शोर विशेषज्ञ थॉमस माइक कहते हैं, ‘अगर कोई फ्लैट या घर मुख्य सड़क पर है, तो कम किराया देना पड़ता है। इसका मतलब यह है कि जिन लोगों की आय कम है, उनके शोर-शराबे वाली जगहों पर रहने की संभावना अधिक है।’

पक्षियों ने ऊंची आवाज में बात करना शुरू किया

शोर से जानवर भी इससे प्रभावित हो रहे हैं। अध्ययन में पाया गया है कि शोर की वजह से सभी जानवरों की प्रजातियों के व्यवहार में बदलाव आ रहे हैं। ध्वनि प्रदूषण की वजह से सबसे ज्यादा समस्या पक्षियों को हो रही है। पक्षी ऊंची आवाज में गा रहे हैं या ऊंची आवाज निकाल रहे हैं, ताकि अपने साथियों से बातचीत कर सकें।

यूरोप, जापान या ब्रिटेन के शहरों में रहने वाले टिट पक्षी, जंगलों में रहने वाले टिट की तुलना में तेज आवाज में गाते हैं। सड़क किनारे के कीड़ों, टिड्डों, और मेढकों की आवाज में भी बदलाव देखे गए हैं

न्यूयॉर्क समेत सभी बड़े शहरों में शोर मानकों से ज्यादा

लंदन से लेकर ढाका तक और बार्सिलोना से लेकर बर्लिन तक, शहरों में ज्यादा शोर हो रहा है। न्यूयॉर्क में सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करने वाले 90% लोग सामान्य सीमा से काफी ज्यादा शोर का सामना कर रहे हैं। इससे सुनने की क्षमता खत्म हो सकती है।

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