लम्बी दूरी की मिसाइल 200 किलो वारहेड के साथ 110-130 किमी. तक कर सकेगी हमला
हिंद महासागर में नौसेना की भूमिका महत्वपूर्ण, भविष्य में समुद्री मिसाइलों का अहम रोल होगा
नई दिल्ली। शॉर्ट रेंज की नेवल एंटी-शिप मिसाइल का सफल परीक्षण होने के बाद अब रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने इस मिसाइल की रेंज बढ़ाने पर काम शुरू किया है। लम्बी दूरी की नेवल एंटी-शिप मिसाइल की रेंज 110 से 130 किमी. होगी और इसमें 200 किलो का वारहेड होगा। नई मिसाइल भारतीय नौसेना की आक्रामक क्षमता को और ज्यादा मजबूत करेगी। हिंद महासागर में नौसेना की भूमिका महत्वपूर्ण होने के नाते भारत की समुद्री मिसाइलों का भविष्य में अहम रोल होगा।
डीआरडीओ और भारतीय नौसेना ने 18 मई को चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) में सीकिंग 42बी हेलीकॉप्टर से स्वदेशी रूप से विकसित एंटी-शिप मिसाइल का पहला उड़ान परीक्षण किया। फिलहाल इसकी रेंज 55 किमी. है और यह नेवी की समुद्री ईगल मिसाइलों को बदलने के लिए तैयार है। इसे एमएच-60आर हेलीकॉप्टरों पर होस्ट किया जाएगा। यह 100 किलो वजन का हथियार लेकर 0.8 मैक सब-सोनिक गति से यात्रा कर सकता है। भारतीय नौसेना की एंटी-शिप मिसाइल का हेलीकॉप्टर से परीक्षण करने के लिए स्वदेशी रूप से विकसित लॉन्चर का इस्तेमाल किया गया।
यह भारतीय नौसेना के लिए पहली स्वदेशी हवा से लॉन्च की गई छोटी दूरी की एंटी-शिप मिसाइल प्रणाली है। नौसेना ने कहा कि मिसाइल परीक्षण ने समुद्री स्किमिंग प्रक्षेपवक्र का प्रदर्शन किया और सटीकता के साथ निर्धारित लक्ष्य तक पहुंचकर नियंत्रण, मार्गदर्शन और मिशन एल्गोरिदम को मान्य किया। मिसाइल मार्गदर्शन प्रणाली में अत्याधुनिक नेविगेशन प्रणाली और एकीकृत एवियोनिक्स शामिल हैं। डीआरडीओ ने इस मिसाइल की रेंज 110 से 130 किमी. तक करने पर काम शुरू किया है। हेलीकॉप्टर से लॉन्च होने वाली मिसाइल में 200 किलो का वारहेड होगा। इसे समुद्र में एक जहाज पर किनारे से दागकर दुश्मन के बड़े जहाज को निष्क्रिय किया जा सकता है।
भारत 2008 से हिंद महासागर में अपनी उपस्थिति बढ़ाकर चीन पर सफाई से नजर रख रहा है। संयुक्त राज्य अमेरिका से लेकर जापान और ऑस्ट्रेलिया तक हिंद महासागर में चीन के बढ़ते दावे पर चिंता बढ़ रही है। चीन की नौसैनिक शक्ति में काफी वृद्धि हुई है क्योंकि वह नए जहाजों, पनडुब्बियों और मिसाइलों का निर्माण कर रहा है। बड़े समुद्री बुनियादी ढांचे, विशेष रूप से गहरे पानी के बंदरगाहों में चीन का निवेश अधिक चिंताजनक है। इसके बावजूद समुद्री रणनीति और देश की भौगोलिक स्थिति के चलते हिंद महासागर में भारतीय नौसेना की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है।