कोरोना वायरस के एक नए वैरिएंट ने दुनिया भर के हेल्थ एक्सपर्ट्स को चिंता में डाल दिया है। इस वैरिएंट का नाम है डेल्टाक्रॉन। ये डेल्टा और ओमिक्रॉन से मिलकर बना एक हाइब्रिड स्ट्रेन है, जिसे सबसे पहले साइप्रस के रिसर्चर्स ने पिछले महीने खोजा था। उस समय तो वैज्ञानिकों ने इसे लैब में हुई एक तकनीकी गलती समझा था, लेकिन अब ब्रिटेन में इसके कुछ मामले सामने आए हैं।
डेल्टाक्रॉन पर ब्रिटेन की हेल्थ एजेंसी की नजर
फिलहाल ब्रिटेन की UK हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी (UKHSA) इस वैरिएंट पर नजर बनाए हुए है। उसके अनुसार, कोरोना के इस स्ट्रेन की जांच की जा रही है। यह वैरिएंट कितना संक्रामक है और इसके लक्षण क्या हैं, इस बारे में एजेंसी की तरफ से कोई जानकारी नहीं दी गई है।
जहां डेल्टा वैरिएंट पूरे विश्व में बेहद जानलेवा साबित हो चुका है, वहीं ओमिक्रॉन के संक्रमण फैलने की रफ्तार अब तक मिले सभी वैरिएंट्स से कई गुना ज्यादा है। हाल ही में भारत ने ओमिक्रॉन की मार झेली है। इन दोनों ही वैरिएंट्स को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने ‘वैरिएंट ऑफ कंसर्न’ घोषित किया है।
कैसे हुई डेल्टाक्रॉन की खोज?
इस स्ट्रेन को यूनिवर्सिटी ऑफ साइप्रस के रिसर्चर्स ने 7 जनवरी को रिपोर्ट किया था। उन्होंने ही इसका नाम ‘डेल्टाक्रॉन’ रखा। लैबोरेटरी ऑफ बायोटेक्नोलॉजी एंड मॉलिक्यूलर वायरोलॉजी के हेड और बायोलॉजिकल साइंसेज के प्रोफेसर लियोनडिओस कोस्त्रिकिस के नेतृत्व वाली टीम ने इसकी खोज की है।
उस वक्त साइप्रस में डेल्टाक्रॉन के 25 मामले सामने आए थे। प्रोफेसर कोस्त्रिकिस के मुताबिक, साइप्रस में जिन 25 लोगों में नया स्ट्रेन पाया गया था, उनमें से 11 लोग कोरोना पॉजिटिव होने के बाद हॉस्पिटल में भर्ती हुए थे। बाकी के 14 लोग ऐसे थो जो कोविड पॉजिटिव थे, लेकिन हॉस्पिटल में भर्ती नहीं थे।
इस खोज की आलोचना क्यों हुई?
एक महीने पहले दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने ये तर्क दिया था कि ओमिक्रॉन इतनी जल्दी किसी दूसरे वैरिएंट से मिलकर नया वैरिएंट नहीं बना सकता है। लंदन स्थित इंपीरियल कॉलेज के वायरोलॉजिस्ट टॉम पीकॉक ने कहा था कि डेल्टाक्रॉन “लैब में हुई तकनीकी गलती” है, न कि एक नया स्ट्रेन।
इसके जवाब में प्रोफेसर कोस्त्रिकिस ने डेल्टाक्रॉन के “लैब एरर” होने के दावे को खारिज किया था। उन्होंने कहा था कि डेल्टाक्रॉन के सैंपल्स की एक से ज्यादा देशों में जीनोम सीक्वेसिंग की गई है और ग्लोबल डेटाबेस में इजराइल से जमा किए गए कम से कम एक सीक्वेंस में डेल्टाक्रॉन के जेनेटिक गुण नजर आए थे।
डेल्टाक्रॉन कितना खतरनाक हो सकता है?
इस वैरिएंट पर स्टडी शुरुआती स्टेज में है। ब्रिटेन के डॉ. पॉल हंटर ने डेली मेल से बात करते हुए बताया कि डेल्टाक्रॉन से हमें ज्यादा खतरा नहीं होना चाहिए, क्योंकि अधिकतर लोगों को वैक्सीन और बूस्टर डोज लग चुके हैं। ब्रिटेन में डेल्टा और ओमिक्रॉन के खिलाफ पहले से ही इम्यूनिटी विकसित है। फिलहाल इस वैरिएंट को लेकर चिंता करने वाली कोई बात नहीं है।