OMG-2 में दिखाए संदेश का असर पड़ना शुरू हो गया है। कुछ स्कूलों ने इसे अमल किया है। मुंबई के करीब उल्हासनगर में एक एजुकेशन सोसाइटी ने निर्णय लिया है कि वे अपने स्कूलों में इस साल से सेक्स एजुकेशन का सिलेबस शामिल करने जा रहे हैं। कुछ दिन पहले वहां की सिंधू एजुकेशन सोसाइटी ने फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग रखी थी। इस स्क्रीनिंग में 15 स्कूलों के प्रिंसिपल, 184 टीचर्स और वहां के लोकल MLA को बुलाया गया था। फिल्म के डायरेक्टर अमित राय भी इनवाइटेड थे। वहां सभी ने फिल्म की तारीफ की। इस मौके पर अमित राय ने कहा कि उनका फिल्म बनाने का मकसद पूरा हो गया है।
फिल्म में दिया संदेश बड़े पैमाने पर लोगों तक पहुंचा
डायरेक्टर अमित राय ने कहा- मुझे खुशी है कि फिल्म में दिखाए सब्जेक्ट को गंभीरता पूर्वक लिया जा रहा है। यह एक ऐसा मोमेंट है, जिसे मैं हमेशा संजोकर रखना चाहता हूं। मुझे खुशी है कि फिल्म न सिर्फ कमर्शियली अच्छा प्रदर्शन कर रही है, बल्कि हमारा संदेश बड़े पैमाने पर लोगों तक पहुंच गया है।
इसकी वजह से हम अपने चारों तरफ बदलाव होते देख रहे हैं। इससे अधिक संतुष्टि क्या हो सकती है।
स्कूलों में सेक्स एजुकेशन का शामिल होना OMG-2 मेकर्स के लिए बड़ी जीत
स्कूलों में सेक्स एजुकेशन का शामिल होना OMG-2 मेकर्स के लिए एक बड़ी जीत है। एजुकेशन सोसाइटी इस फिल्म से इतनी प्रभावित हुई कि उन्होंने इसे अपने सिलेबस में ही शामिल कर लिया। इस फैसले से यह तो साफ है कि देश अब अपनी शिक्षा प्रणाली में बदलाव करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
सेंसर बोर्ड एक तरफ फिल्म को A सर्टिफिकेट दे रही है, दूसरी तरफ इसे समाज का हर वर्ग बना किसी हिचकिचाहट के पसंद कर रहा है।
पहले सेक्स एजुकेशन का अर्थ समझिए
सेक्स एजुकेशन में हेल्दी रिलेशनशिप के बारे में बताया जाता है। किशोरों को फिजिकल, इमोशनल और मेंटल हेल्थ की जानकारी दी जाती है। उनके शरीर में हो रहे बदलावों के बारे में बताया जाता है, ताकि बच्चे भटकें नहीं, साथ ही जानकारी हासिल करने के लिए कोई गलत रास्ता न पकड़ें। सेक्स एजुकेशन में यह नहीं सिखाया जाता कि बच्चा कैसे पैदा करने हैं या फिर आनंद कैसे उठाना है। सेक्स एजुकेशन का मतलब सिर्फ रिप्रोडक्टिव एजुकेशन भी नहीं है। भारत में 10 से 19 साल बीच 25 करोड़ से ज्यादा यूथ हैं। इन्हें स्कूल में पढ़ाई के दौरान ही सेक्स एजुकेशन देना बेहद जरूरी है। इस उम्र में बच्चे बहुत कुछ जानने का प्रयास करते हैं। वे खुद भी अपनी सेक्शुअलिटी को एक्सप्लोर करना चाहते हैं। अगर उन्हें सही जानकारी न मिले, तो वह पोर्न साइट्स, इंटरनेट और ऐसी दूसरी जगहों से जानकारी हासिल करने की कोशिश करते हैं। वहां रिलेशनशिप और शरीर के बारे में गलत जानकारियां होती हैं। यह बातें उन्हें उकसाने का काम करती हैं।
टारगेट ऑडियंस ही फिल्म नहीं देख पाई
फिल्म के एक्टर अक्षय कुमार और पंकज त्रिपाठी भी चाहते थे कि यह फिल्म 13 से 17 साल के बच्चों को दिखाई जाए। सेंसर बोर्ड ने जब फिल्म को A सर्टिफिकेट दिया तो फिल्म से जुड़े लोगों ने निराशा जाहिर की थी। उनका कहना है कि फिल्म का जो मेन टारगेट ऑडियंस है, वही इसे नहीं देख पा रहा है।