
बरेली। 14 अप्रैल को जब देशभर में संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाई जा रही थी, तब उत्तर प्रदेश के पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह ने आंवला विधानसभा क्षेत्र में एक जनसभा के मंच से विपक्षी दलों को जमकर ललकारा। श्रद्धांजलि के माहौल में भी उन्होंने विपक्ष के राजनीतिक पाखंड को उजागर करने से परहेज नहीं किया। मंच से सीधे शब्दों में धर्मपाल सिंह ने विपक्ष को आइना दिखा दिया कि बाबा साहेब के सिद्धांतों का सच्चा पालन करने वाला अगर कोई दल है, तो वह सिर्फ और सिर्फ भारतीय जनता पार्टी है।
कार्यक्रम की शुरुआत बाबा साहेब की प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुई, लेकिन माहौल तब गरमा गया जब मंत्री धर्मपाल सिंह ने माइक संभाला। उन्होंने न सिर्फ भाजपा की विचारधारा को अंबेडकरवादी सोच के साथ जोड़ते हुए मजबूती से रखा, बल्कि विपक्ष पर झूठे आरोपों और भ्रम फैलाने की साजिशें रचने का खुला आरोप भी जड़ा। उन्होंने साफ कहा – “विपक्ष को यह अच्छा नहीं लग रहा कि भारतीय जनता पार्टी बाबा साहेब की सोच को लेकर गांव-गांव, गली-गली जा रही है। उन्हें लगता है कि यह काम सिर्फ उनका था। अब जब भाजपा यह जिम्मेदारी उठा रही है तो वे बेचैन हो गए हैं।
मंत्री जी कहा “यह बयान महज़ राजनीतिक कटाक्ष नहीं था, बल्कि विपक्ष की उस खोखली राजनीति पर करारा प्रहार था जो वर्षों से केवल दलित हितों की राजनीति कर, वोटबैंक साधने का खेल खेलती आई है। धर्मपाल सिंह ने यह भी जोड़ा कि भाजपा संविधान को बदलने का कोई इरादा नहीं रखती। उन्होंने कहा – “हमारे ऊपर आरोप लगाया जाता है कि भाजपा संविधान बदल देगी। यह बेबुनियाद और घटिया मानसिकता का परिचायक है। हम संविधान को नहीं बदलेंगे, बल्कि उसे और प्रभावशाली तरीके से लागू करेंगे ताकि समाज के अंतिम व्यक्ति तक न्याय पहुंचे।
“यह बात अपने आप में विपक्ष की बौखलाहट का जवाब है। दरअसल, भाजपा की ओर से जब भी अंबेडकर को लेकर कोई सार्थक पहल होती है, विपक्ष उसमें राजनीति सूंघने लगता है, क्योंकि वर्षों से दलित समाज को सिर्फ एक ‘वोट बैंक’ समझने की मानसिकता रखने वाले दलों को यह रास नहीं आता कि कोई और उनकी ‘बपौती’ को छीन रहा है।धर्मपाल सिंह ने हाल ही में पारित वक्फ संशोधन बिल का भी जिक्र किया।
उन्होंने स्पष्ट किया कि यह बिल संविधान के दायरे में रहकर पूरी प्रक्रिया और बहस के बाद पारित हुआ है, और यही इस बात का प्रमाण है कि भाजपा हर निर्णय को संवैधानिक प्रक्रिया के तहत ही लागू कर रही है। यह बिल उन राजनीतिक दलों के मुंह पर तमाचा है, जो धर्मनिरपेक्षता की आड़ में वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग करते रहे हैं। भाजपा ने यह दिखा दिया कि संविधान का नाम लेकर सिर्फ भाषणबाज़ी नहीं, बल्कि ज़मीनी स्तर पर न्याय का संतुलन स्थापित करना उसका उद्देश्य है।