अहमदाबाद। गुजरात के केवड़िया कालोनी में बुधवार को सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा का लोकार्पण भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी करेंगे। इसे विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा का खिताब सिर्फ तीन साल तक ही मिल पायेगा क्योंकि इसके बाद महाराष्ट्र के अरब सागर में बन रहे छत्रपति शिवाजी के स्मारक को सबसे ऊंचा होने का खिताब मिल जाएगा।
गुजरात सरकार ने यह स्टेच्यू ऑफ़ यूनिटी बनाने में 3 हजार करोड़ रुपये खर्च किये हैं जबकि महाराष्ट्र सरकार छत्रपति शिवाजी मेमोरियल बनाने में लगभग 3800 करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है।छत्रपति शिवाजी महाराज मेमोरियल की ऊंचाई 190 मीटर तय की गयी है जबकि स्टेच्यू ऑफ यूनिटी की ऊंचाई 182 मीटर रखी गयी है। देश की इन दोनों बहुचर्चित प्रतिमाओं को बनाने का जिम्मा लार्सन एंड टुब्रो कंपनी को दिया गया है।
प्रधानमंत्री मंगलवार की रात 9.30 बजे गुजरात के अहमदाबाद एयरपोर्ट पहुंचेंगे जहां से सड़क मार्ग द्वारा गांधीनगर राजभवन जाकर रात्रि विश्राम करेंगे। 31 अक्टूबर को सुबह हेलिकाप्टर से 8.55 बजे केवड़िया जाने के लिए रवाना होंगे। सुबह 9.30 बजे पीएम वेली ऑफ़ फ्लावर्स पहुंचेंगे। सुबह 10 से दोपहर 12 बजे तक स्टेच्यू ऑफ़ यूनिटी के लोकार्पण कार्यक्रम में उपस्थित रहेंगे। दोपहर 12.50 बजे हेलिकाप्टर द्वारा वड़ोदरा जाने के लिए रवाना हो जाएंगे। 12.55 बजे वड़ोदरा से प्लेन द्वारा दिल्ली के लिए रवाना हो जाएंगे।
महाराष्ट्र राज्य सरकार द्वारा शिव स्मारक की ऊंचाई 190 मीटर से बढ़ाकर 210 मीटर करने का प्रस्ताव केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के पास भेजा है। अगर यह प्रस्ताव का स्वीकार हो जाता है तो यह स्मारक दुनिया का सबसे ऊंचा स्मारक बन जाएगा। अभी चीन के सियुआन प्रांत के लुशान काउंटी में भगवान बुद्ध का स्प्रिंग टेम्पल सबसे ऊंचा है जिसकी ऊंचाई 208 मीटर है। इस मंदिर का कार्य वर्ष 2008 में पूर्ण हो चुका था। इसकी मूलतः ऊंचाई 153 मीटर थी पर जिस पर्वत पर यह टेम्पल बनाया गया उस पर चौतरफा प्लेटफार्म बनाने के कारण उसकी ऊंचाई 208 मीटर हो गयी है। महाराष्ट्र के शिव स्मारक समिति के चेयरमेन विनायक मेटे ने बताया कि हम शिव स्मारक को ज्यादा ऊंचा देखना चाहते हैं।