One Nation One Election : क्‍या हैं वन नेशन और वन इलेक्शन के फायदे और नुकसान?

‘एक देश, एक चुनाव’ का आइडिया देश में एक साथ चुनाव कराए जाने से है । इसका मतलब यह है कि पूरे भारत में लोकसभा चुनाव और सभी राज्यों में विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे। दोनों चुनावों के लिए संभवतः वोटिंग भी साथ या फिर आस-पास होगी। वर्तमान में लोकसभा और राज्य विधानसभा के चुनाव सरकार 5 साल का कार्यकाल पूरा होने या फिर विभिन्न कारणों से विधायिका के भंग हो जाने पर अलग-अलग कराए जाते हैं।

वन नेशन-वन इलेक्शन या एक देश-एक चुनाव का मतलब हुआ कि पूरे देश में एक साथ ही लोकसभा और विधानसभा के चुनाव हों। आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही होते थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गईं। उसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई।

केंद्र सरकार ने बनाई कमेटी

एक देश-एक चुनाव’ पर केंद्र सरकार ने कमेटी बना दी है। जानकारी के मुताबिक, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को इसका अध्यक्ष बनाया गया है। आज इसका नोटिफिकेशन जारी हो सकता है। केंद्र सरकार ने 18 सितंबर से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है। संभव है कि एक देश एक चुनाव पर सरकार बिल भी ला सकती है। केंद्र की बनाई कमेटी एक देश एक चुनाव के कानूनी पहलुओं पर गौर करेगी। साथ ही इसके लिए आम लोगों से भी राय लेगी। इस बीच, भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा कोविंद से मिलने उनके आवास पर पहुंचे। हालांकि, इस मुलाकात की वजह सामने नहीं आई है।

सरकार की इस पहल पर लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि आखिर एक देश एक चुनाव की सरकार को अचानक जरूरत क्यों पड़ गई। वहीं कांग्रेस नेता और छत्तीसगढ़ के डिप्टी CM टीएस सिंहदेव ने कहा- व्यक्तिगत तौर पर मैं एक देश एक चुनाव का स्वागत करता हूं। यह नया नहीं, पुराना ही आइडिया है। इस बीच, संसदीय कार्य मंत्री, प्रह्लाद जोशी ने कहा, ‘अभी तो समिति बनी है, इतना घबराने की बात क्या है? समिति की रिपोर्ट आएगी, फिर पब्लिक डोमेन में चर्चा होगी। संसद में चर्चा होगी। बस समिति बनाई गई है, इसका अर्थ यह नहीं है कि यह कल से ही हो जाएगा।’

वन नेशन-वन इलेक्शन के समर्थन में मोदी

मई 2014 में जब केंद्र में मोदी सरकार आई, तो कुछ समय बाद ही एक देश और एक चुनाव को लेकर बहस शुरू हो गई। मोदी कई बार वन नेशन-वन इलेक्शन की वकालत कर चुके हैं। संविधान दिवस के मौके पर एक बार प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- आज एक देश-एक चुनाव सिर्फ बहस का मुद्दा नहीं रहा। ये भारत की जरूरत है। इसलिए इस मसले पर गहन विचार-विमर्श और अध्ययन किया जाना चाहिए।

एक साथ चुनाव होने के जानिए फायदे

देश में एक साथ चुनाव कराए जाने के समर्थन में सबसे मजबूत तर्क अलग-अलग चुनावों में खर्च होने वाली भारी-भरकम राशि में कटौती करना है। एक न्यूज के मुताबिक 2019 लोकसभा चुनाव में 60,000 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। इसमें चुनाव लड़ने वाले राजनीतिक दलों का खर्च और केंद्रीय चुनाव आयोग की तरफ से खर्च की गई रकम शामिल है। एक साथ चुनाव के समर्थन में एक तर्क दिया जाता है कि इससे प्रशासनिक व्यवस्था सुचारू होगी। चुनाव के दौरान अधिकारी चुनाव ड्यूटी में लगे होते हैं। इससे सामान्य प्रशासनिक काम प्रभावित होते हैं।

आखिर भाजपा के लिये क्यों खास है वन नेशन, वन इलेक्शन

प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी के दूसरे नेता कई मौकों पर देश में एक साथ चुनाव की चर्चा कर चुके हैं। 2014 में तो ये बीजेपी के चुनावी घोषणा पत्र का हिस्सा भी रह चुका है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, बीजेपी के चुनावी घोषणा पत्र के पेज नंबर 14 में लिखा गया था, “बीजेपी अपराधियों को खत्म करने के लिए चुनाव सुधार शुरू करने के लिए प्रतिबद्ध है। बीजेपी अन्य दलों के साथ परामर्श के माध्यम से विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ कराने की पद्धति विकसित करने की कोशिश करेगी। ” घोषणा पत्र के मुताबिक, इससे चुनाव खर्चों को कम करने के अलावा राज्य सरकारों के लिए स्थिरता सुनिश्चित होगी।

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