पाकिस्तान हुआ कंगाल : अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अब हुई ये स्थिति

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपए की कीमत अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है। इसकी स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। इंटरबैंक बाजार में पाकिस्तानी रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर 188.35 रुपए पर आ गया है।

शुरुआती कारोबार में डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया 82 पैसे कमजोर हुआ। इसके चलते इंटरबैंक मार्केट में इस समय ये188.35 रुपए पर कारोबार कर रहा है। इसके पहले इंटरबैंक में डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपए की कीमत 187.53 रुपए रही थी। करेंसी डीलर्स के मुताबिक, एक्सचेंज रेट दबाव में है क्योंकि अमेरिकी डॉलर स्थानीय मुद्रा के मुकाबले लगातार मजबूत हो रहा है। करेंसी डीलर्स ने बताया कि ओपन मार्केट में 1 डॉलर की कीमत 189 रुपए से ज्यादा पर पहुंच गई है।

जानिए क्या है करेंसी डीलर्स का कहना

पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, करेंसी डीलर्स का मानना है कि IMF के प्रोग्राम में देरी, अन्य देशों से आर्थिक सहायता नहीं मिलने, विदेशी मुद्रा भंडार के तेजी से घटने और व्यापार में हो रहे घाटे के कारण घरेलू मुद्रा दबाव में है। दरअसल, इमरान खान सरकार की वजह से IMF ने 6 अरब डॉलर के राहत पैकेज को रोक दिया था। लोन देने के लिए 5 शर्तों की फेहरिस्त थमा दी थी। IMF ने पाकिस्तान से फ्यूल और बिजली सब्सिडी वापस लेने के लिए कहा था। अब नई सरकार सब्सिडी हटाने से परहेज कर रही है। इस वजह से IMF प्रोग्राम की बहाली नहीं हो सकी है।

पाक की हालत हुई बद से बत्तर

पाकिस्तान लगातार आर्थिक संकट से गुजर रहा है। इस बीच चालू खाता घाटा (CAD) जनवरी 2022 के महीने में 2.56 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंच गया। CAD किसी भी देश के विदेशी खर्च और आय के बीच का अंतर होता है। वहीं, स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (SBP) का विदेशी मुद्रा भंडार 23 अप्रैल तक 328 अरब डॉलर से कम होकर 10.558 अरब डॉलर हो गया।

पाकिस्तान में फिर छाई भुखमरी

आर्थिक और राजनीतिक मोर्चे पर जूझ रहे पाकिस्तान के सामने अब भुखमरी का संकट खड़ा हो गया है। दरअसल, देश में गेहूं के उत्पादन में भारी कमी होने की आशंका दर्ज की गई। पाकिस्तान की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस साल गेहूं का प्रोडक्शन अपने लक्ष्य से करीब 30 लाख टन कम होने का अनुमान जताया गया। गेहूं के प्रोडक्शन में कमी का कारण क्षेत्र में पानी और उर्वरक की कमी और सर्पोटिंग रेट की घोषणा में देरी है। इसके अलावा तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और देश में हीटवेव, प्रोडक्शन में कमी की वजह बताई जा रही है।

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