लंदन। रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग के दौरान पाकिस्तान ने दो अमेरिकी कंपनियों की मदद से यूक्रेन को 36.3 करोड़ डॉलर के तोप के गोले बेचे। इसके अलावा खास तरह की राइफलों में इस्तेमाल की जाने वाली बुलेट्स भी बेची गईं। यह गोले ब्रिटिश आर्मी के कार्गो प्लेन के जरिए यूक्रेन के करीबी देशों तक पहुंचाए। BBC उर्दू ने इस डील के सबूत पेश किए हैं। यह पहली बार नहीं है, जब पाकिस्तान पर इस तरह के आरोप लगे हैं। हालांकि, पाकिस्तान सरकार ने हमेशा इन्हें खारिज किया है। इस बार सबूत सामने आए तो उसने कोई सफाई नहीं दी।
जनरल बाजवा के ब्रिटेन दौरे पर फैसला हुआ
रिपोर्ट के मुताबिक- 12 अगस्त 2022 को पाकिस्तान के तब के आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा ब्रिटिश रॉयल मिलिट्री अकेडमी की पासिंग आउट परेड में शामिल हुए थे। तब उन्होंने कहा था- ब्रिटेन और पाकिस्तान के रिश्ते ऐतिहासिक ऊंचाइयों को छू रहे हैं। इसके कुछ दिन बाद ब्रिटिश एयरफोर्स का एक कार्गो एयरक्राफ्ट रावलपिंडी के नूर खान एयरबेस पर उतरा। इसके बाद यही कार्गो प्लेन चार बार और इसी एयरबेस पर उतरा और हर बार जब लौटा तो उसमें तोप के गोले थे।
खास बात यह है कि यह कार्गो एयरक्राफ्ट रावलपिंडी से उड़कर सायप्रस के अक्रोतिरी और रोमानिया के थेन्सी में लैंड हुआ। ये दोनों ही यूक्रेन के पड़ोसी देश हैं और दोनों ही देशों में ब्रिटेन के मिलिट्री बेस हैं। जाहिर है इन कार्गो एयरक्राफ्ट में मौजूद तोप के गोले और बुलेट्स इन्ही दो मिलिट्री बेस पर उतारे गए। पाकिस्तान ने पहले आईं रिपोर्ट्स को खारिज कर दिया था। इस बार उसकी तरफ से कोई रिएक्शन नहीं आया है।
इस डील में 3 प्लेयर
रिपोर्ट को आसान भाषा में समझें तो साफ हो जाता है कि डील में तीन देश शामिल हैं। पाकिस्तान, ब्रिटेन और अमेरिका। अब इनका रोल भी समझिए। अमेरिका की दो कंपनियों (ग्लोबल मिलिट्री और नॉर्थरोप ग्रुममैन) से पाकिस्तान ने 155mm तोप के गोले बनाने का कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया। अगस्त 2022 में ग्लोबल मिलिट्री ने 232 लाख डॉलर और नॉर्थरोप ग्रुममैन ने 131 लाख डॉलर पाकिस्तान को दिए। कुल मिलाकर करीब 36.3 करोड़ डॉलर में यह डील हुई थी।
जब यह ऑर्डर तैयार हो गया तो इसे ब्रिटिश एयरफोर्स के कार्गो प्लेन (C-17 ग्लोब मास्टर) से रोमानिया और सायप्रस पहुंचाया गया। वहां से ये यूक्रेन भेजे गए। 17 अगस्त 2022 को यह डील साइन हुई और अक्टूबर 2023 में एक्सपायर हो गई। ग्लोब मास्टर एक बार में 45 हजार किलोग्राम वजन ले जा सकता है और इतने वजन के साथ भी वो 35 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक- पाकिस्तान भले ही इस रिपोर्ट पर कुछ कहने से बच रहा हो, लेकिन इसी साल अप्रैल में यूक्रेन के एक जनरल ने मीडिया के सामने कहा था कि उनके सैनिक पाकिस्तान में बने हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
यूक्रेन में इन गोलों की डिमांड क्यों
दरअसल, यूक्रेन के पास अमेरिका में बनी हॉवित्जर कैटेगरी की तोपें और स्पेशल राइफल हैं। तोपों में 155mm के शेल्स यानी गोलों का इस्तेमाल होता है। इसी साल यूक्रेन की संसद को बताया गया था कि जंग के दौरान फौज 6 से 8 हजार राउंड फायर कर रही है। दूसरी तरफ, रूस हर रोज करीब 40 हजार राउंड फायर कर रहा है। जुलाई 2023 में यूएस डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस की रिपोर्ट में कहा गया कि अमेरिका ने यूक्रेन को अब तक 20 लाख 155mm शेल्स के राउंड दिए हैं। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक- अमेरिका 2022 में हर महीने करीब 30 हजार राउंड इसी कैटेगरी के शेल्स तैयार कर रहा था। हालांकि, यूक्रेन जंग शुरू होने के बाद यह डिमांड बढ़ गई।