पांच मौत के बाद रेलवे कॉलोनी में फैली दहशत, मकान खाली करने लगे लोग

लखनऊ। रेलवे पुलिस फोर्स पांच मौत के बाद जग गई है। कंडम घोषित किये जा चुके मकानों को खाली करने का अभियान शुरू हो गया है। सोमवार को कनौसी रेलवे कॉलोनी में पहुंची है। लेकिन महज औपचारिकता करके लौट गई। फिलहाल लोग खुद ही अपने जर्जर हो चुके मकान खाली कर रहे हैं।

रेलवे के दो अधिकारियों ने मौखिक रूप से इस कॉलोनी में मकान खाली कराने के लिए ऐलान किया

रेलवे इंजीनियरिंग विभाग के मुताबिक 700 से ज्यादा कंडम मकान हैं। वहीं करीब इतने ही मकान तोड़े भी जा चुके हैं। इंजीनियरिंग विभाग आरपीएफ के साथ समन्वय कर कंडम घोषित हो चुके मकानों में अवैध रुप से रह रहे लोगों के खिलाफ अभियान भी चला रही है। इन लोगों को यहां से हटाया जा रहा है।

इंजीनियरिंग विभाग के मुताबिक आरडीएसओ के पास शांतिपुरम कॉलोनी से मकानों को तोड़ने का अभियान शुरू किया जा रहा है। यहां पर करीब 100 मकान हैं, जो अभी तोड़े जाने हैं। इसके अलावा फतेहअली कॉलोनी के 98 और मुनव्वर बाग रेलवे कॉलोनी के भी मकान तोड़े जाने हैं।

अवैध कब्जों को खाली कराने में पसीने छूटने तय

रेलवे के कंडम मकानों में रह रहे लोगों से मकान खाली करवाने में आरपीएफ के पसीने छूटने तय हैं। क्योंकि खाली कराने के लिए कई बार अभियान चलाए गये। लेकिन सफलता नहीं मिली। अवैध रुप से रह रहे परिवारों की महिलाएं सामने आ जाती हैं। ऐसे में आरपीएफ को स्थानीय प्रशासन की मदद भी लेनी होग।

सत्यापन में अफसरों पर लटक सकती है तलवार

कंडम मकानों को अवैध रुप से किराये पर देने के पीछे एक पूरा सिंडिकेट लगा हुआ है। इसमें रेलवे के कई आला अफसरों की संलिप्तता भी सामने आने की संभावना है। बिना संलिप्तता के कंडम मकानों में बिजली और पानी का कनेक्शन नहीं हो सकता है। क्योंकि कंडम घोषित करने के बाद इंजीनियरिंग विभाग इसको खाली कराने के लिए आरपीएफ को लिस्ट भेजता है। नियमानुसार तीन महीने के अंदर मकान खाली हो जाने चाहिए। साथ ही बिजली विभाग तीन महीने बाद कनेक्शन काट देता है। लेकिन, चार साल से घोषित कंडम मकानों में अब भी बिजली और पानी की सप्लाई धड़ल्ले से हो रही है। यह रेलवे अधिकारियों की संलिप्तता के बिना संभव ही नहीं है।

यूनियनों की भी भूमिका

रेल कर्मचारियों की यूनियनों की भूमिका संदिग्ध है। खाली हो चुके मकानों में अवैध रुप से रह रहे लोगों को यूनियनें भी शह देती हैं। आलम यह है कि अफसरों को आवंटित होने वाले टाइप-5 जैसे मकानों में अवैध गोशाला तक चल रहीं हैं। रेलवे अस्पताल के सामने ट्रिंमिंग रोड पर बनी अफसरों वाले मकानों में टाइप-5 का एल-31 मकान खाली है। यहां नार्दर्न रेलवे मेन्स यूनियन की सिकलाइन शाखा को बोर्ड भी लगा है, जिस पर पदाधिकारियों के नाम हैं। यानि कि इसको यूनियन ने आवंटित करा लिया है। हालांकि यहां पर बिजली कनेक्शन नहीं है। इसमें गौशाला बना दी गई है। सुबह शाम डेयरी संचालक यहां पर गायों और भैंसों के दूध का कारोबार करता है।

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