जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर सियासी पारा चढ़ने लगा है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पीडीपी ने कांग्रेस के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाने की पहल की है। इसके लिए कांग्रेस की प्लानिंग ग्रुप की आज दिल्ली में बैठक होने वाली है। इस बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, अम्बिका सोनी, कर्ण सिंह और पी. चिदंबरम शामिल होंगे। गुलाम नबी आजाद फिलहाल दिल्ली में नहीं हैं, इसलिए इस बैठक में उनके शामिल होने की संभावना नहीं है।
इसके अलावा मंगलवार को कांग्रेस विधायकों की श्रीनगर में बैठक भी होने वाली है, जिसमें राजनीतिक घटनाक्रम पर चर्चा होगी। बता दें कि राज्य में सरकार बनाने के लिए 44 विधायकों की जरूरत है। पीडीपी के पास 28 विधायक हैं जबकि कांग्रेस के पास 12 विधायक हैं। हालांकि इसके बाद भी दोनों पार्टियों को राज्य में सरकार बनाने के लिए 4 विधायकों की दरकार होगी। कांग्रेस का मानना है कि 3 निर्दलीय विधायक और 1-1 सीपीआईएम-जेकेडीऍफ के विधायक है, जो सरकार बनाने के पक्ष में हैं। उन्हें भरोसा है कि ये विधायक सरकार बनाने में उनकी मदद करेंगे।
गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी ने जम्मू-कश्मीर में महबूबा सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला कर सबका चौंका दिया था। इसके बाद मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद से अभी राज्य में राज्यपाल शासन लागू है।
भाजपा ने पीडीपी पर लगाया था विश्वासघात का आरोप
भाजपा ने इस गठबंधन के टूटने की वजह पीडीपी का विश्वासघात बताया था। भाजपा का कहना था कि जम्मू-कश्मीर का संतुलित विकास किया जाना था। कश्मीर की तरह जम्मू और लद्दाख का विकास होना था, लेकिन यह नहीं हुआ। कश्मीर में शांति बनाए रखने के प्रयास और आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाने के बजाय कानून व्यवस्था पर सवाल उठने लगे। सेना के जवान की हत्या कर दी गई। पत्रकार की हत्या हो गई। ऐसे में गठबंधन तोड़कर सरकार से बाहर निकलने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था।
वहीं, महबूबा मुफ्ती ने भी भारतीय जनता पार्टी के इस बयान पर पलटवार किया था और कहा था कि पुराने सहयोगी गलत आरोप लगा रहे हैं। हमारी सरकार ने सरकार ने जम्मू और लद्दाख से कभी भेदभाव नहीं किया है। ऐसे आरोपों की वास्तविकता का कोई आधार नहीं है।
कांग्रेस ने भी भाजपा-पीडीपी गठबंधन टूटने के बाद चुटकी लेते हुए कहा था कि बेमेल गठबंधन फेल हो गया है। अच्छा ही हुआ कि ये बेमेल जोड़ी टूट गई, क्योंकि आतंकवाद की घटनाएं व सीमा पर पाकिस्तानी गोलीबारी इतनी बढ़ गई थी कि पूरे जम्मू-कश्मीर का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया था।