उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन में बिजली इंजीनियरों और कर्मचारियों के भविष्य निधि घोटाले में बड़ी कार्रवाई करते हुए आर्थिक अपराध अनुसंधान (ईओडब्ल्यू) की टीम ने मंगलवार को पूर्व एमडी अयोध्या प्रसाद मिश्रा को गिरफ्तार किया है। मामले की जांच कर रहे ईओडब्ल्यू के अधिकारी एपी मिश्रा से पूछताछ कर रहे हैं। प्रदेश सरकार इस मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश कर चुकी है। इस घोटाले में अब तक यह तीसरी गिरफ्तारी है।
योगी सरकार के गठन से ठीक पहले डीएचएफएल में कराया निवेश
ईओडब्ल्यू की टीम डीआईजी हीरालाल के नेतृत्व में अलीगंज में एपी मिश्रा के आवास पर पहुंची और उन्हें अपने साथ ले गई। एके मिश्रा अखिलेश सरकार के करीबी थे और इन्हें सपा के दौरान इन्हें तीन बार सेवा विस्तार मिला था। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद जब सूबे में भाजपा सरकार बनना तय हो गया तब योगी सरकार के शपथ ग्रहण से ठीक पहले 17 मार्च को एपी मिश्रा के दबाव में डीएचएफएल में निवेश की पहली किश्त जारी कर दी गई थी। इसके बाद 19 मार्च को सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के बाद 22 मार्च को मिश्रा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
पहले से ही मानी जा रही थी संदिग्ध भूमिका
भविष्य निधि घोटाला सामने आने के बाद से ही मिश्रा का जांच के दायरे में आना तय माना जा रहा था। ईओडब्ल्यू की टीम ने सोमवार को पावर सेक्टर इम्पलाइज ट्रस्ट का कार्यालय खंगालने के साथ कई अहम दस्तावेज अपने कब्जे में लिए। इसमें बोर्ड के निर्णय और डीएचएफएल को ट्रांसफर किए गए फंड से सम्बन्धित दस्तावेज भी शामिल हैं। सोमवार रात से ही पुलिस की विशेष टीम मिश्रा के आवास पर नजर बनाये हुए थी। अखिलेश सरकार में पावर कारपोरेशन में मिश्रा का दबदबा था। उन्होंने अखिलेश यादव पर किताब भी लिखी थी। जिसका अखिलेश ने अपने सरकारी आवास पांच कालीदास मार्ग पर विमोचन भी किया था। मिश्रा के रसूख का इस बात से भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि आमतौर पर यूपीपीसीएल के प्रबंध निदेशक पद पर आईएएस अधिकारी की तैनाती होती है, लेकिन सपा सरकार में एपी मिश्रा इस पर काबिज रहे। वह पूर्वांचल व मध्यांचल के भी एमडी रहे। सेवानिवृत होने के बाद भी सरकार की उन पर कृपादृष्टि बनी रही।
घोटाले में पहले हो चुकी हैं दो गिरफ्तारी
इस मामले में तत्कालीन सचिव ट्रस्ट प्रवीण कुमार गुप्ता एवं तत्कालीन निदेशक वित्त सुधांशु द्विवेदी को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। प्रवीण कुमार गुप्ता के पास सीपीएफ ट्रस्ट एवं जीपीएफ ट्रस्ट, दोनों का कार्यभार था। उन्होंने तत्कालीन निदेशक वित्त सुधांशु द्विवेदी से अनुमोदन लेने के बाद नियमों को दरकिनार कर कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई की धनराशि दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल) की सावधि जमा में विनियोजित की।
डीएचएफएल में फंसे हुए हैं 1600 करोड़
विद्युत् कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे के मुताबिक मार्च 2017 से दिसम्बर 2018 के बीच डीएचएफएल में 2631 करोड़ रुपये जमा किये गए और मार्च 2017 से आज तक पॉवर सेक्टर इम्प्लॉइज ट्रस्ट की एक भी बैठक नहीं हुई। इसी से पता चल जाता है कि यह बहुत सुनियोजित और गंभीर घोटाला है। अभी भी 1600 करोड़ रुपये से अधिक की राशि डीएचएफएल में फंसी हुई है। यूपी स्टेट पॉवर सेक्टर एम्प्लॉई ट्रस्ट के बोर्ड ऑफ ट्रस्टी ने सरप्लस कर्मचारी निधि को डीएचएफएल की सावधि जमा योजना में मार्च 2017 से दिसम्बर 2018 तक जमा कर दिया। इस बीच मुंबई उच्च न्यायालय ने कई संदिग्ध कंपनियों और सौदों से उसके जुड़े होने की सूचना के मद्देनजर डीएचएफएल के भुगतान पर रोक लगा दी।
सरकार ने कड़े रुख के बाद अपर्णा यू. को हटाया
भविष्य निधि घोटाला में हर स्तर पर गड़बड़ी और लापरवाही सामने आ रही है। इस मामले में सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए अपर्णा यू. को उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन की मौजूदा प्रबंध निदेशक और सचिव ऊर्जा के पद से हटा दिया है। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटे आईएएस एम. देवराज को यूपी पावर कारपोरेशन का नया एमडी बनाया गया है। अपर्णा यू. के पास उप्र जल विद्युत उत्पादन कारपोरेशन के एमडी का भी चार्ज था। उन्हें इस पद से भी हटा दिया गया है। इसका चार्ज भी एम. देवराज को सौंपा गया है। अपर्णा को सचिव सिंचाई एवं जल संसाधन बनाया गया है। सूत्रों के मुताबिक घोटाले में जल्द ही उप्र पावर कारपोरेशन के चेयरमैन और प्रमुख सचिव ऊर्जा आलोक कुमार भी हटाए जा सकते हैं। वे ट्रस्ट के चेयरमैन हैं।
बिजली कर्मचारी कर रहे प्रदर्शन
प्रदेश के बिजली कर्मचारी भविष्य निधि घोटाले के विरोध में मंगलवार को विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके तहत शक्ति भवन मुख्यालय सहित सभी जिला व परियोजना मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। इसके अलावा उन्होंने 18 नवम्बर से दो दिवसीय कार्य बहिष्कार करने का फैसला किया है। संघर्ष समिति के मुताबिक पावर कारपोरेशन प्रबन्धन ने स्वयं स्वीकार किया है कि ट्रस्ट द्वारा लागू गाइडलाइन्स का पालन नहीं किया जा रहा है तथा फण्ड के निवेश की गाइडलाइन्स का उल्लंघन किया जा रहा है और 99 प्रतिशत से अधिक धनराशि केवल तीन हाउसिंग फाइनेन्स कम्पनियों में निवेशित कर दी गई, जिसमें 65 प्रतिशत से अधिक केवल दीवान हाउसिंग फाइनेन्स लिमिटेड में निवेशित की गयी है। प्रबन्धन ने यह स्वीकार किया कि तीनों हाउसिंग फाइनेन्स कम्पनियां अनुसूचित बैंकिग की परिभाषा में नहीं आती हैं और इनमें किया गया निवेश नियम विरुद्ध व असुरक्षित है।
ढुलमुल रवैये से नहीं निकलने वाला कोई ठोस परिणाम: मायावती
इस मामले को लेकर विपक्ष सरकार पर लगातार हमलावर हैं। सपा और कांग्रेस के बाद बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने मंगलवार को योगी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि यूपी के हजारों बिजली इंजीनियरों, कर्मचारियों की कमाई के भविष्य निधि (पीएफ) में जमा 2200 करोड़ से अधिक धन निजी कम्पनी में निवेश के महाघोटाले को भी बीजेपी सरकार रोक नहीं पाई तो अब आरोप-प्रत्यारोप से क्या होगा। सरकार सबसे पहले कर्मचारियों का हित व उनकी क्षतिपूर्ति सुनिश्चित करे।
उन्होंने कहा कि इस पीएफ महाघोटाले में यूपी सरकार की पहले घोर नाकामी व अब ढुलमुल रवैये से कोई ठोस परिणाम निकलने वाला नहीं है बल्कि सीबीआई जांच के साथ-साथ इस मामले में लापरवाही बरतने वाले सभी बड़े ओहदे पर बैठे लोगों के खिलाफ तत्काल सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है जिसका जनता को इंतजार है।
अखिलेश यादव के आरोपों पर पलटवार करते हुए ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा दावा कर चुके हैं कि भविष्य निधि घोटाले की नींव तो वर्ष 2014 में ही पड़ गई थी। 21 अप्रैल 2014 को हुई पावर कारपोरेशन ट्रस्ट बोर्ड की बैठक में यह निर्णय किया गया था कि बैंक से इतर अधिक ब्याज देने वाली संस्थाओं में भी निवेश किया जा सकता है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने मामला संज्ञान में आते ही बड़ी कार्रवाई की है। श्रीकांत शर्मा ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू पर भी मनगढ़ंत आरोप लगाने पर माफी मांगने को कहा है उन्होंने कहा कि अगर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष तथ्यों से परे अपने आरोपों पर माफी नहीं मांगते हैं तो वह आपराधिक मानहानि का मुकदमा झेलने को तैयार रहें।