दैनिक भास्कर ब्यूरो
पीलीभीत। विगत कई बरसों से ऑडिट रिपोर्ट में खेल करते आ रहे अधिकारियों पर कार्रवाई शुरू होने से हड़कम्प मचा है। आयुक्त ग्राम्य विकास उत्तर प्रदेश के सख्त रवैया के चलते जिला विकास अधिकारी ने खंड विकास अधिकारियों के साथ आंकिक का वेतन रोक दिया है। इसके अलावा एक सप्ताह के अंदर रिपोर्ट मांगी है। ब्लॉक स्तर पर होने वाले विकास कार्यों की ऑडिट रिपोर्ट में बड़ा घोटाला सामने आ सकता है। जनपद के सातों विकास खंडों में विगत वर्ष 2010- 11 से 2015-16 में हुए विकास कार्यों की ऑडिट रिपोर्ट पर अधिकारी फंसते दिखाई दे रहे हैं।
वित्तीय वर्ष 2010-16 तक के विकास कार्यों के ऑडिट में फंसा मामला
बता दें कि आयुक्त ग्राम्य विकास उत्तर प्रदेश शासन से लगातार पत्राचार के बाद भी अधिकारियों ने लेखा रिपोर्ट उपलब्ध नहीं कराई। पूरे मामले पर आयुक्त ग्राम्य विकास ने गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए रोष प्रकट किया, इसके बाद जिला विकास अधिकारी हवलदार सिंह ने जनपद के सातों विकास खंड में कार्रवाई का लेटर जारी कर दिया है। इतना ही नहीं सभी बीडीओ व आंकिक का अगस्त माह के वेतन पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही सभी अकाउंटेंट और अधिकारियों में खलबली मची हुई है। जिला विकास अधिकारी हवलदार सिंह की ओर से की गई कार्रवाई में विकासखंड पूरनपुर, बीसलपुर, बिलसंडा, अमरिया, बरखेड़ा, ललौली खेड़ा, मरौरी के बीडीओ व अकाउंटेंट शामिल है।
कई अधिकारी बदले, पर नहीं भेजी लेखा रिपोर्ट
वर्ष 2010-11 से 2015-16 की लेखा रिपोर्ट के लिए शासन की शक्ति के बाद अब अधिकारियों पर कार्रवाई की तलवार लटकी हुई है। इससे पहले लेखा रिपोर्ट उपलब्ध कराने के आदेशों को लगातार नजरअंदाज किया गया और इस बीच कई अधिकारी बदले। लेकिन आयुक्त ग्राम विकास उत्तर प्रदेश शासन को ऑडिट आख्या प्रस्तुत नहीं की गई। ब्लॉक स्तर पर क्षेत्र पंचायत निधि, सांसद निधि और विधायक निधि से होने वाले करोड़ों रुपए के विकास कार्यों की ऑडिट रिपोर्ट पर लगातार खाना पूरी होने के बाद अब मामला विभाग में ही फंसता दिखाई दे रहा है।