भास्कर ब्यूरो
पीलीभीत। कृषक गोष्ठी में उप निदेशक कृषि ने किसानों को जागरूक करते हुए बताया कि किसान खेतो में फसल अवशेष को न जलाकर प्राकृतिक खाद की तरह उपयोग करें, उन्होंने कहा कि अवशेष जलाने से वायु प्रदूषण बढ़ता है।
किसान फसल अवशेष प्रबंधन पर ध्यान देकर डी -कंपोजर का प्रयोग कर सकते है। एक शीशी डी – कम्पोजर मे दो किलो बेसन एवं दो किलो गुड़ मिलाकर प्रयोग करने से 15-20 दिन मंे फसल अवशेष सड जाते है। मलचर चलाकर फसल अवशेष के छोटे छोटे टुकड़े कराकर खेत में ही सड़ाकर काम में लिया जा सकता है।
गोष्ठी में जिला गन्ना अधिकारी खुशी राम भार्गव ने बताया कि वर्तमान में रेड रॉट की समस्या काफी गंभीर है, खेतों में अनावशायक रूप से रसायनिक दवाओं का छिड़काव न करें। इस बीमारी से बचाव के लिए स्वस्थ एवं रोग रहित बीज की बुवाई करना आवश्यक है। रेड रॉट से ग्रस्त खेत में 2 या 3 वर्ष तक गन्ने की बुवाई वर्जित है।
इफको के जिला प्रबंधक बृजवीर ने गन्ना किसानों को नैनो यूरिया (तरल) एवम नैनो डीएपी के प्रयोग के बारे में विस्तार से बताया। पूरे जनपद में नैनो यूरिया (तरल) एवम नैनो डी.ए.पी. के प्रयोग एवं इससे होने वाले लाभ से किसानों को अवगत कराने के लिए किसानों के फार्म पर प्रदर्शनी लगाने की बात कही। गोष्ठी मे राम भद्र द्विवेदी ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक पीलीभीत, सचिव पीलीभीत, ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक मझोला ने किसानांे को समसामयिक जानकारी दी।