दैनिक भास्कर ब्यूरो
पीलीभीत। अफसरों की लापरवाही के चलते लोगों को न्याय मिलना मुश्किल हो गया है। एक मामले में तो अधिकारी डीएम का आदेश दबाकर बैठे हुए है और फरियादी भटकने को मजबूर है। जिलाधिकारी ने 15 दिन में जांच रिपोर्ट देने का आदेश किया था। लेकिन नौ माह होने के बाद भी मामले को जिला उद्यान अधिकारी व जेई दबाकर बैठ गए है।
पिछले वर्ष 16 दिसंबर 2022 को जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार को शपथ पत्र युक्त शिकायती पत्र मिलने पर ग्राम पंचायत चांदूपुर की जांच को अधिकारी नामित किये गए थे। डीएम ने 15 दिन में भुगतान, निधि की धनराशि गबन के मामले में रिपोर्ट मांगी थी। उनके बाद ग्रामीण शिवकुमार ने ग्राम पंचायत में घोटाला की शिकायत तत्कालीन उपजिलाधिकारी शिखा शुक्ला से की थीं। उपजिलाधिकारी के अनुमोदन पर नायब तहसीलदार अक्षय कुमार कानूनगो लालाराम भारती ने मौके पर जांच की। शिवकुमार की शिकायत सही पाई गई। शिकायत सत्य पाए जाने के उपरांत जांच आख्या जिले को भेजी गई।
जिला पंचायत राज अधिकारी ने जिला स्तरीय जांच कराने के लिए जिला उद्यान अधिकारी को नामित किया। इस मामले की जांच दिसंबर में सौंपी गई। जिला उद्यान अधिकारी ने जुलाई तक सात माह तक जांच नहीं की, भ्रष्टाचार करने वालों को अभय दान दिया गया। शिवकुमार ने उपजिलाधिकारी आशुतोष गुप्ता से पुनः कार्रवाई को गुहार लगाई। उपजिलाधिकारी ने पुनः तहसीलदार हेमराज बोनाल को मौके पर भेजकर जांच कराई गई। जांच आख्या 659 गत 26 अगस्त को मुख्य विकास अधिकारी को भेजी गई। उपजिलाधिकारी की जांच आख्या व शिकायती पत्र के आधार पर पुनः जिला पंचायत राज अधिकारी कार्यालय ने जांच को जिला उद्यान अधिकारी व अवर अभियंता ग्रामीण अभियंत्रण सेवा विभाग विकास खण्ड पूरनपुर को नामित किया।
जिला पंचायत राज अधिकारी कार्यालय से 23 अगस्त को जारी पत्रांक 3055/2023-24 में 15 दिन में जांच आख्या उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। लेकिन जिला उद्यान अधिकारी ने एक माह समय बीत जाने के बावजूद जांच रिपोर्ट नहीं सौंपी। अधिकारियों की लापरवाही से जांच फाइलों घूम रही है। सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार पर सख्त हैं। लेकिन जिला उद्यान अधिकारी की लापरवाही में कोई कमी नहीं है।