पीलीभीत। गुरूवार को पीलीभीत व शाहजहांपुर गन्ना विकास संस्थान की संयुक्त गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सहफसली खेती के बारे में उन्नत जानकारी प्रदान की, इसके साथ ही किसानों का मार्गदर्शन किया गया।
उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद शाहजहांपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ आर.डी. तिवारी ने किसानो को भूमि की उर्वरता बनाये रखने के लिए जीवांश पदार्थों के संरक्षण के बारे में जानकारी दी। मृदा में कम होते जीवांश का प्रभाव फसलों के वृद्धि पर भी पड़ता है। इसके लिए फसल अवशेष प्रबंधन करना आवश्यक है। फसल अवशेष जलाने पर मृदा का जैविक संतुलन बिगड़ जाता है, जिसका प्रभाव फसल उत्पादन पर पड़ता है।
सहायक निदेशक पी. के. कपिल ने फसल कटाई के बाद पेड़ी प्रबन्धन को कई उपाय बताए। उन्होंने नई प्रजातियों के गन्ना बीज को भी बीज शोधन के बाद ही बुआई करने की सलाह दी। जिला गन्ना अधिकारी खुशी राम भार्गव ने सहफसली खेती में दलहन, तिलहन के अलावा हरी सब्जियों एवं मसाले वाली फसलों को भी फसल चक्र में स्थान देने के लाभ बताए।
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ अरुण सिंह ने पशुपालन का खेती में उपयोगिता एवं गोपालन से होने वाले लाभ के बारे में चर्चा की। आपने जीवामृत, घनामृत एवं बीजामृत बनाने एवम प्रयोग की विधि बताई। चीनी पीलीभीत के महा प्रबन्धक गन्ना के वी शर्मा ने गन्ने की उत्पादकता बढ़ाने में कृषकों का सहयोग करने का आश्वासन दिया। गोष्ठी में रमेश चंद्र शर्मा, धर्मपाल, श्यामाचरण, सत्यप्रकाश, राजकुमार आदि मौजूद रहे।
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