पीलीभीत। साहिबे कमाल सरबंसदानी दशमेत पिता गुरु गोविन्द सिंह महाराज के साहिबजादों व माता गुजर कौर का हर वर्ष की तरह शहीदी जोड़ मेला बहुत ही श्रद्दाभाव से मनाया गया। दूरदराज से आई संगत ने फूलों से सजे सिंहासन पर विराजमान गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष मत्था टेक कर पुण्य लाभ अर्जित किया।
बिलसंडा क्षेत्र के गाँव शीतलपुर के गुरुद्वारा में साहिब श्री सिंह गुरु सिंह सभा में साहिबजादों के शहीदी पर्व के उपलक्ष्य में 1 जनवरी को अखण्ड पाठ साहिब प्रारम्भ किया गया।
जिसका भोग आज बुधवार को डालने के उपरांत खुले पंडाल में दीवान सजाए गए। सरबंसदानी गुरु गोविन्द सिंह महाराज के बड़े साहिबजादे बाबा अजीत सिंह बाबा जुझार सिंह चमकौर की जंग में हो रहे जुल्म की लड़ाई लड़ते शहीद हो गए थे। छोटे साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह व बाबा फतेह सिंह को उस समय औरंगजेब की जालिम सरकार ने सरहंद में तरह तरह के यातनाए देकर जिंदा दीवार में चुनवा कर शहीद कर दिया था। सिख समाज इस शहीदी पर्व को बड़ी श्रद्धा भाव से मनाता है। प्रोग्राम की शुरुआत रागी जत्था तरसेम सिंह ने कीर्तन के साथ की।
पंजाब से चलकर आए ढाडी जत्था जगजीत सिंह जलवा ने शहीद हुए चार साहिबजादों का इतिहास बड़े जोश के साथ सुनाया और उन्होंने कहा कि जिस उम्र में बच्चे ठीक से बोलना भी नहीं सीख पाते उस उम्र में गुरु गोबिंद सिंह के छोटे साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह उम्र 9 साल व बाबा फतेह सिंह उम्र 7 साल को जिंदा ही दीवार में चिनवाकर शहीद कर दिया गया। मौके की सरकार ने उन्हें इस्लाम कबूल करने के लिए तरह तरह के लालच दिए लेकिन साहिबजादों ने मौत को कबूल किया लेकिन इस्लाम धर्म कबूल नहीं किया। प्रोग्राम के दौरान छोटे छोटे बच्चों ने भी कविता के माध्यम से साहिबजादों को श्रद्धांजलि अर्पित की। साहिबजादों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए बीसलपुर से समाजसेवी नितिन पाठक भी गुरुद्वारा पहुंचे।
कड़कड़ाती ठंड में भी छोटे छोटे बच्चे, महिलाएं व बुजुर्ग लोग भी गुरूद्वारा साहिब में साहिबजादों का इतिहास सुनने के लिए पहुँचे। मंच का संचालन गुरुद्वारा साहिब के हेड ग्रन्थी विक्रमजीत सिंह ने किया। विक्रमजीत सिंह ने छह पौड़ी आनंद साहिब का पाठ करने के उपरांत अरदास कर प्रोग्राम की समाप्ति की। प्रोग्राम के दौरान गुरु का अटूट लंगर पूरे दिन चलता रहा। इस मौके पर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान अवतार सिंह, अंग्रेज सिंह, गुरविंदर सिंह फौजी, सतवीर सिंह, गुरसेवक सिंह, गुरदेव सिंह, संदीप सिंह, हरविंदर सिंह आदि सिख संगत मौजूद रही।