पीलीभीत। टाइगर रिजर्व में घूमने के लिए भले ही देश-विदेश से सैलानी पहुंच रहे हैं, लेकिन पीलीभीत का वन विभाग शासन स्तर से हुए मनमाने आदेशों से परेशान है। आरक्षित वन क्षेत्र में एसडीओ से लेकर डीएफओ तक का तबादला हो चुका है और एक माह गुजर जाने के बाद किसी भी अधिकारी की तैनाती नहीं हुई है।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व अति संवेदनशील वन क्षेत्र में आता है और वर्तमान की स्थिति में वन्य जीव के हमले लगातार बढ़ रहे हैं। आए दिन आरक्षित वन क्षेत्र से निकलकर टाइगर किसान और मजदूरों को निवाला बन रहा है वहीं दूसरी ओर जनवरी में शासन स्तर से हुए तबादलों के बाद वन विभाग में अवस्थाएं फैल चुकी हैं। विगत 2 जनवरी को उपनिदेशक नवीन खंडेलवाल का सीतापुर सामाजिक वानिकी के लिए तबादला हो गया था। गुरुवार को सीतापुर पहुंचे डीएफओ नवीन खंडेलवाल ने चार्ज संभाल लिया है, लेकिन पीलीभीत टाइगर रिजर्व के लिए किसी की तैनाती नहीं हुई। नवीन खंडेलवाल के तबादले के साथ ही मुख्यालय पर मौजूद दीक्षा भंडारी को उपनिदेशक के रूप में तनाती दी गई थी। लेकिन दीक्षा भंडारी ने पीलीभीत का चार्ज ग्रहण नहीं किया। टाइगर रिजर्व में तीन एसडीओ पद है।
जिनमें से एक करीब 10 सालों से रिक्त चल रहा है। उसके बाद एसडीओ पूरनपुर मयंक पांडे का सोनभद्र तबादला कर दिया गया और माला रेंज के एसडीओ दिलीप तिवारी का चित्रकूट ट्रांसफर हुआ है। इसके बाद अव्यवस्थाओं के चलते पीलीभीत वन विभाग में अधिकारियों की तैनाती नहीं की गई। दूसरी और सोनभद्र और चित्रकूट के चार्ज के साथ एसडीओ को पीलीभीत का चार्ज भी थोपा गया है। ऐसी अव्यवस्थाओं के बीच ना तो जंगल में जीव जंतु सुरक्षित होंगे और ना ही खेत खलिहान पहुंच रहे किसान मजदूर। वन विभाग में अधिकारियों के तबादले होने से अवस्थाएं हावी हो रही है।