गजरौला,पीलीभीत। पूरे विश्व में कछुओं के बचाव के लिए 23 मई को कछुआ दिवस मनाया जाता है। जनपद पीलीभीत में कई स्थानों पर बड़ी संख्या में कछुआ पाये जातें हैं जिसमें गोमती नदी के उद्गम सरोवर में भी बहुतायत संख्या में यह है। यहां पहुंचने वाले श्रद्धालु एवं पर्यटक इन कछुओं को देख कर रोमांचित होते हैं।
जल और थल में वास करने वाले, जलीय परितंत्र को साफ रखने वाले कछुआ भी प्रकृति के सच्चे हितैषी है। कई बार इनका भी जीवन खतरे में पड़ जाता है। इनके बचाव को लेकर 23 मई को कछुआ दिवस मनाया जाता है। जनपद के माधोटांडा में आदि गंगा मां गोमती नदी के उद्गम तीर्थ स्थल के गोमत सरोवर में कछुआ भी पाए जाते हैं। इतना ही नहीं यह कछुए दुर्लभ प्रजाति के हैं।
इन कछुओं को किसी भी प्रकार की हानि न हो इसलिए इनका संरक्षण गोमती सेवक करते रहते हैं। प्रतिदिन सैकड़ो की संख्या में गोमती उद्गम तीर्थ स्थल पर श्रद्धालु एवं पर्यटक पूजा अर्चना एवं गोमती की नैसर्गिक सुंदरता को देखने के लिए पहुंचते हैं। श्रद्धालु एवं पर्यटक झील के किनारे पूजा अर्चना करने के लिए पहुंचते हैं तब अनायास ही कछुए उनके पास पहुंच कर आकर्षित करते हैं ।गोमती नदी में 12 से 15 प्रजातियो के कछुए पाए जाते पर कुछ प्रजातियां खत्म हो गई। मौजूदा समय में 10 प्रकार के प्रजाति के कछुए ही गोमती नदी में हैं।
नदी के जल को दूषित होने से बचाते हैं कछुआ
कछुआ जलीय परितंत्र को साफ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जल में सढ़ी वनस्पति खाकर पानी को निर्मल रखने में बड़े सहायक है। इससे जल दूषित नहीं होता। जल के बिना मानव जीवन नहीं , इसलिए जल प्रदूषित ना हो इसके लिए कछुओं का संरक्षण भी बेहद जरूरी है।