पीलीभीत। जनपद में उम्मीदवारों को लेकर भारतीय जनता पार्टी गहन मंथन कर रही है। लेकिन सारे सवालों के हल एक प्रत्याशी के नाम पर समाप्त हो रहे हैं। बहेड़ी पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र से विरासत में मिले रिश्तो को निभाने के लिए वरुण गांधी का नाम उभर कर सामने आता है। पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी की राजनीतिक विरासत को वरुण गांधी वर्ष 2009 से लगातार संभाल रहे हैं। इस लिए पीलीभीत को मेनका और वरुण गांधी का गढ़ भी कहा जाता है, मेनका संजय गांधी ने राजनीतिक इतिहास में पीलीभीत को निर्दलीय भी जीता है।
वर्ष 2009 से राजनीतिक विरासत में वरुण गांधी ने भारतीय जनता पार्टी से उम्मीदवारी की और सांसद चुने गए। उसके बाद वर्ष 2014 में पीलीभीत से पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका संजय गांधी चुनाव मैदान में भाजपा के सिंबल पर विजय रहीं और एक बार फिर वर्ष 2019 में वरुण गांधी ने पीलीभीत से भाजपा से उम्मीदवारी करते हुए जीत हासिल की। विगत वर्षों से यह सिलसिला लगातार जारी है और बहेड़ी पीलीभीत लोकसभा सीट पर किसी दूसरे राजनीतिक दल की दाल नहीं गली। 2024 के सामान्य लोकसभा निर्वाचन में भारतीय जनता पार्टी से उम्मीदवारी को लेकर एक दर्जन से अधिक लोगों के नाम की सूची है। लेकिन चुनाव जीतने की बात करें तो भाजपा के लिए गहन मंथन से उभर कर संकट को समाप्त करने के लिए वरुण गांधी का नाम एकमात्र विकल्प है। सांसद वरुण गांधी के साथ उनके अपने समर्थकों के अलावा बड़ी संख्या में मुस्लिम वोटर एक साथ नजर आते दिखाई दे रहे हैं तो दूसरी ओर भाजपा का वोट बैंक जीत को पक्का करने का संकेत देता है। वरुण गांधी के नाम के साथ सिख समाज का बहुमत भी भारतीय जनता पार्टी को मिलता दिखाई दे रहा है। सीधे तौर पर बात की जाए तो भाजपा के वोट बैंक के साथ मुस्लिम मतदाताओं को साधने और सिख मतदाता को मिलाकर वरुण गांधी के अपने समर्थकों का सामंजस्य सिर्फ और सिर्फ वरुण गांधी के नाम के साथ फिट बैठता है। फिलहाल भाजपा हाई कमान पीलीभीत में उम्मीदवार के नाम पर मंथन कर रही है। जनपद से लंबी चौड़ी लिस्ट में एक मजबूत उम्मीदवार वरुण गांधी है।
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जनपद में चलती है वरुण और मेनका गांधी के नाम की आंधी
बहेड़ी पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र की बात करें तो पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका संजय गांधी और वरुण के नाम पर समर्थकों का सैलाब उमड़ता है और मेनका गांधी के नाम की आंधी चलती है। पीलीभीत की राजनीति इस बात की गवाह है कि उन्होंने जनपद में निर्दलीय चुनाव लड़ा और अच्छे मतों से जीत हासिल की। इसलिए अन्य कोई राजनीतिक दल अभी तक पीलीभीत में उम्मीदवार जिताने में कामयाब नहीं हुआ। वर्ष 1989 जनता दल के टिकट पर जीत हासिल करने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका संजय गांधी पीलीभीत की सांसद निर्वाचित हुईं थीं और उसके बाद 1996 से लगातार पीलीभीत में जीत का परचम लहराया है।
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पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र में एक तीर से कई निशाने साध सकती है भाजपा
जनपद में भारतीय जनता पार्टी मंथन के दौरान एक तीर से कई निशाने लगा सकती है और उसके लिए वरुण गांधी का नाम विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। जिले में वरुण गांधी के अपने समर्थक हैं और मुस्लिम मतदाताओं में पहुंच, इसके अलावा सिख वोटरों को रिझाने में गांधी परिवार हमेशा से आगे रहा है। बंगाली बस्तियों की बात करें तो वरुण गांधी के नाम के झंडे लगाए जाते हैं। भाजपा अगर उनके नाम पर मोहर लगती है तो रिजर्व वोट के साथ वरुण गांधी 2024 के चुनाव को फतेह कर सकते हैं।
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बहेड़ी पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र में चार सीटों पर भाजपा के विधायक और पांचवी पर सपा का कब्जा
बहेड़ी पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभाएं आती हैं। पांच विधानसभा सीटों में समाजवादी पार्टी के पास बहेड़ी सीट है और भाजपा के पास पीलीभीत की चारों सीटों पर अपने विधायक हैं। लोकसभा क्षेत्र बहेड़ी पीलीभीत में इस बार करीब 20 लाख मतदाता होंगे और मिली जुली आबादी में कोई नया चेहरा भाजपा के लिए नुकसान का कारण बन सकता है।