भास्कर समाचार सेवा
मुरादनगर ।आयुध निर्माणी फैक्ट्री गांव धेदा के सामने स्थित भारतीय स्टेट बैंक में अधिकारियों की लापरवाही से सीनियर सिटीजन की दुर्दशा हो रही है। जिसके कारण उन्हें परेशानी का सामना करना पडता है। जिन्हें सरकार ने हर जगह प्राथमिकता देने के निर्देश दिए हैं वहीं यहां तैनात बैंक कर्मी अपने पेंशन लेने वाले उपभोक्ताओं को परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि यहां बुजुर्गों की दुर्गति हो रही है ।चलने फिरने में असमर्थ लोगों को भी बैंक के धक्के खिलवाए जा रहे हैं वह भी अपने जिंदा होने के सर्टिफिकेट देने के लिए जबकि बैंक का यह नियम भी है कि यदि बुजुर्ग उपभोक्ता किसी कारण से बैंक की शाखा में नहीं पहुंच पाते हैं तो बैंक कर्मचारी उपभोक्ता के घर जाकर भी यह संतुष्टि कर सकता है कि संबंधित पेंशनर जिंदा है या फिर दुनिया से उठ गया। हालांकि पेंशनरों के खाते अन्य बैंकों में भी हैं लेकिन वहां उपभोक्ताओं को ऐसी किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता। वहीं यहां तैनात कर्मचारी ग्राहकों से ज्यादा मोबाइल पर बातें करते हुए ज्यादा दिखाई देते हैं। पूछने पर कोई बैंक कर्मी सही जवाब देने के लिए तैयार नहीं होते कोई कर्मचारी उपभोक्ता को खिड़की नंबर 1, तो कोई तीन ,एक से दूसरी खिड़की पर चक्कर कटवाते रहते हैं। आयुध निर्माणी स्थित भारतीय स्टेट बैंक की शाखा में आयुध निर्माणी तथा अन्य सरकारी कर्मचारियों के खाते हैं जिनमें पेंशन खाते भी हैं। पेंशनर को प्रतिवर्ष अपने जीवित होने के प्रमाण स्वरूप बैंक में जाकर फार्म भर कर देना होता है लेकिन कुछ बुजुर्गों की आयु ज्यादा होने के कारण उंगलियों के निशान स्पष्ट नहीं रहे हैं वहीं जिन उपभोक्ताओं की आंखों के ऑपरेशन हो गए हैं उनमें भी कंप्यूटर ठीक से पकड़ नहीं कर पाता और अपने खाते में जमा पैसे को लेने के लिए ही बुजुर्गों को बैंक के चक्कर लगाने पड रहे हैं ।लेकिन बैंक कर्मचारी उनकी समस्या का समाधान करने के स्थान पर उन्हें रटा रटाया जवाब दे रहे हैं कि तुम्हारे अंगुलियों के निशान कंप्यूटर नहीं पकड़ रहा है और न ही आंखों से उपभोक्ता की पहचान हो पा रही है ।लेकिन बैंक वाले ऐसे बुजुर्गों को भी परेशान कर रहे हैं जो अधिक आयु के कारण चल नहीं सकते और उन्हें दूसरों के सहारे बैंक तक पहुंचना पड़ता है बैंक कर्मचारियों द्वारा ग्राहकों के साथ अभद्र व्यवहार किया जाना आम बात है। यदि बैंक में कोई भी काम पड़ जाए 3, 4, खिड़कियों पर घंटों तक लाइन में लगने के बाद काम हो पाता है जिसमें घंटों का समय लग जाता है। बैंक में कहां क्या कार्य होगा यह बताने के लिए कोई नहीं है किसी भी कर्मचारी से पूछने पर वह अगली खिड़की पर जाओ कहकर उपभोक्ता को अगला रास्ता बता देते हैं। बैंक कर्मियों की इस मनमानी के खिलाफ उपभोक्ता बैंक के आंचलिक कार्यालय के अधिकारियों से मिलने की तैयारी कर रहे हैं ।3 ,दिन से बैंक से पेंशन खाते से रुपए निकालने के लिए चक्कर काट रहे सीनियर सिटीजन ने बताया कि बैंक वाले अंगूठे का निशान साफ न होना तथा आंखों के ऑपरेशन के कारण पुतलियों का मिलान भी नहीं होना बता रहे हैं ।इस समस्या से निपटने का कोई रास्ता न बता कर यह जवाब दे रहे हैं कि इस समस्या से निपटने का हमारे पास कोई रास्ता नहीं है ।बताया गया है कि कुछ दिनों से महिला बैंक प्रबंधक आईं हैं वह कुर्सी पर बैठी ही नहीं दिखती। इस बारे में शाखा प्रबंधक से संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन वह न अपने कार्यालय में मौजूद मिली और न ही उनका मोबाइल मिल सका। कुछ लोगों का यह भी आरोप है कि बैंक वालों ने साइबर कैफे चलाने वालों से सांठगांठ की हुई है वह रुपए लेते हैं और उसी व्यक्ति के अंगूठे आंख की पुतली के मेल खा जाते हैं कंप्यूटर पर जो काम साइबर कैफे पर हो रहा है वह बैंक में क्यों नहीं हो रहा लोगों का यह भी एक बड़ा प्रश्न है समाजसेवी मुनेश जिंदल ने बताया कि ऐसी परेशानी सिर्फ स्टेट बैंक में ही आ रही है और किसी बैंक में कोई दिक्कत नहीं है ।