
अमेरिका में नवनियुक्त राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की विवादित आव्रजन नीति और टैरिफ की धमकियों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी 2 दिवसीय यात्रा पर वाशिंगटन डीसी पहुंच गए हैं। यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और ट्रंप के बीच द्विपक्षीय वार्ता होनी है। इस दौरान कई प्रमुख मुद्दों पर चर्चा होगी। दोनों मिलकर एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को भी संबोधित करेंगे। अपने 36 घंटे के प्रवास के दौरान मोदी कुल 6 द्विपक्षीय बैठक करेंगे। मोदी ब्लेयर हाउस में ठहरे हैं।
मोदी की यात्रा का क्या है पूरा कार्यक्रम?
प्रधानमंत्री मोदी बुधवार देर शाम वाशिंगटन डीसी के ज्वाइंट बेस एंड्रयूज पर उतरे। जहां से वह सीधे ब्लेयर हाउस पहुंचे। मोदी की पहली मुलाकात अमेरिका की डायरेक्टर ऑफ़ नेशनल इंटेलिजेंस तुलसी गाबार्ड से हुई। उन्होंने बातचीत में खुफिया जानकारियों के आदान-प्रदान और सुरक्षा पर चर्चा की। ट्रंप ने तुलसी को प्रधानमंत्री मोदी के दौरे से ठीक पहले आधिकारिक से खुफिया प्रमुख के रूप में नियुक्त किया है। ट्रंप ने मोदी के स्वागत में रात्रिभोज रखा है।
ट्रंप कैबिनेट के प्रमुख लोगों से मिल सकते हैं मोदी
मोदी और ट्रंप शुक्रवार को संयुक्त रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करेंगे। इसके बाद मोदी भारत के लिए रवाना हो जाएंगे। प्रधानमंत्री मोदी अपने एजेंडे के तहत 6 द्विपक्षीय बैठकों में अरबपति एलन मस्क के अलावा ट्रंप की कैबिनेट के कई प्रमुख लोगों से मुलाकात कर सकते हैं। मस्क के साथ मुलाकात में मोदी का ध्यान भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियों के बढ़ते बाजार पर होगा। वे ट्रंप के साथ टैरिफ, ऊर्जा और रक्षा उपकरण पर बात कर सकते हैं।
इस मुलाकात का अमेरिका के लिए क्या है मायने?
प्रधानमंंत्री के रूप में मोदी की यह अमेरिका का 10वां दौरा है। मोदी और ट्रंप पहली बार आधिकारिक तौर पर 2017 में वाशिंगटन में मिले थे, जिसके बाद दोनों की दोस्ती बढ़ती दिखी। खासकर, ह्यूस्टन और अहमदाबाद रैली के बाद। अपने दूसरे कार्यकाल के पहले कुछ दिनों में मोदी के साथ बातचीत का फायदा ट्रंप उठाना चाहेंगे। वह भारत से अमेरिकी आयात पर टैरिफ कम करने और अमेरिकी तेल खरीदने का प्रस्ताव दे सकते हैं, ताकि उसका घाटा कम हो।
अमेरिका से तेल खरीदने की क्या है सियासत?
प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान ट्रंप उनके साथ तेल खरीद की बातचीत कर सकते हैं। बता दें कि 2021 में भारत अमेरिकी तेल निर्यात का सबसे बड़ा बाजार कहा जाता था, लेकिन यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में काफी बदलाव दिखा।इस बीच भारत ने अपने करीबी सहयोगी रूस से सस्ता तेल खरीदना शुरू कर दिया। रूस से अलग अमेरिका का तेल महंगा है, ऐसे में यह सौदा उसकी कीमत पर निर्भर करेगा।
अमेरिका दौरे से भारत को क्या हासिल होगा?
ट्रंप की आव्रजन नीति पर भारत ने साफतौर पर कह दिया है कि वह बिना दस्तावेज के अमेरिका समेत किसी भी देश में प्रवास को इजाजत नहीं देता। ऐसे में भारत आवज्रन नीति पर कुछ नहीं कहेगा। हालांकि, आयात पर टैरिफ बढ़ाने की धमकी पर भारत अमेरिका को शांत कर सकता है। साथ ही भारत अमेरिका न्यूक्लियर एनर्जी सेक्टर में निवेश की मांग करेगा। भारत अमेरिका से तकनीकी सहयोग और H1-B वीजा व्यवस्था बनाए रखने की मांग कर सकता है।