नई दिल्ली भारतीय संस्कृति के अनुसार नववर्ष को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में जिक्र किया। पीएम मोदी ने अंग्रेजी कैंलेडर के इतर भारत के अलग-अलग प्रदेशों में उनकी संस्कृति के अनुसार नववर्ष पर्व को लेकर अपनी बात कही। मोदी ने पंजाब की लोहड़ी, तेलुगु समुदाय के पोंगल, उत्तर भारतीय एवं मराठियों की मकर संक्रान्ति, असम के बीहू सहित तमाम भारतीय नववर्ष पर्वों का जिक्र ‘मन की बात’ में किया।
प्रधानमंत्री ने देशवासियों को उनके नववर्ष पर्व की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि जनवरी में उमंग और उत्साह से भरे कई सारे त्योहार आने वाले हैं- जैसे लोहड़ी, पोंगल, मकर संक्रान्ति, उत्तरायण, माघ बिहू, माघी।
इन त्योहारों के अवसर पर पूरे भारत में कहीं पारंपरिक नृत्यों का रंग दिखेगा, तो कहीं फसल तैयार होने की खुशियों में लोहड़ी जलाई जाएगी, कहीं पर आसमान में रंग-बिरंगी पतंगे उड़ती हुई दिखेंगी, तो कहीं मेले की छठा बिखरेगी, कहीं खेलों में होड़ लगेगी, तो कहीं एक-दूसरे को तिल गुड़ खिलाया जाएगा। लोग एक-दूसरे को कहेंगे-“तिल गुड घ्या –आणि गोड़ -गोड़ बोला।” इन सभी त्योहारों के नाम भले ही अलग-अलग हैं लेकिन सबको मनाने की भावना एक है।
ये उत्सव कहीं-न-कहीं फसल और खेती-बाड़ी से जुड़े हुए हैं, किसान से जुड़े हुए हैं, गांव से जुड़े हुए हैं, खेत खलिहान से जुड़े हुए हैं। इसी दौरान सूर्य उत्तरायण होकर मकर राशि में प्रवेश करता है। इसी के बाद से दिन धीरे-धीरे बड़े होने लगते हैं और सर्दियों की फसलों की कटाई भी शुरू हो जाती है। हमारे अन्नदाता किसान भाई-बहनों को भी खूब-खूब शुभकामनाएं।
रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 51वीं कड़ी का प्रसारण हुआ। प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी ने देश की जनता से संवाद स्थापित करने के लिए रेडियो को अपना माध्यम चुना। पीएम मोदी का कहना है कि आज भी देश के गांवों में रेडियो देश की जनता का साथी है।
मन की बात: गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि होंगे दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहा कि दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा इस साल गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि होंगे। वहीं 15 जनवरी से प्रयागराज में कुंभ मेला शुरू हो रहा है। अब अक्षयवट के द्वार सभी के लिए खोल दिए गए हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि 26 जनवरी गणतंत्र दिवस समारोह को लेकर देशवासियों के मन में बहुत ही उत्सुकता रहती है। इस इस वर्ष हम पूज्य बापू की 150वीं जयंती वर्ष मना रहे हैं। हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति इस साल गणतंत्र दिवस पर भारत आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी का दक्षिण अफ्रीका से एक अटूट संबंध रहा है। यह दक्षिण अफ्रीका ही था जहां से मोहन, महात्मा बन गए। दक्षिण अफ्रीका में ही महात्मा गांधी ने अपना पहला सत्याग्रह आरम्भ किया था और रंग-भेद के विरोध में डटकर खड़े हुए थे। उन्होंने फीनिक्स और टॉलस्टॉय फार्म्स की भी स्थापना की थी जहां से पूरे विश्व में शान्ति और न्याय के लिए गूंज उठी थी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 15 जनवरी से प्रयागराज में कुंभ मेला शुरू हो रहा है। उन्होंने कहा कि कुंभ मेला हमारी महान सांस्कृतिक विरासत है। उन्होंने कहा कि साधु संत अभी से ही प्रयागराज पहुंचने लगे हैं। उन्होंने कहा कि वह स्वयं पिछले दिनों कुंभ की तैयारियों का जायता लेने वहां गए थे। मोदी ने युवाओं से भी कुंभ में पहुंचने की अपील की। उन्होंने कहा कि कुंभ में अक्षयवट का द्वार अब सभी के लिए खोल दिया गया है।
मोदी ने देशवासियों को नए साल की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि 2018 की उपलब्धियों को याद रखना जरूरी है। उन्होंने कहा कि 2018 में भारत जल थल और नभ में परमाणु संपन्न हुआ। इस साल सरदार पटेल को श्रद्धांजलि स्वरूप विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टेच्यू ऑफ यूनिटी और गरीब जनता के लिए विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना आयुष्मान भारत लॉन्च हुई। वाराणसी में देश के पहले जलमार्ग की शुरुआत हुई। हर गांव तक बिजली पहुंची और इतना ही नहीं देश में कारोबार करना आसान हुआ।
प्रधानमंत्री ने बिजनौर के युवा डॉक्टरों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में उपचार करने के कार्य की सराहना की। इसके अलावा उन्होंने स्वच्छता के लिए जबलपुर में किए जा रहे लोगों के प्रयासों की सराहना की। प्रधानमंत्री ने खेलों में भारत के शानदार प्रदर्शन का जिक्र करते हुए उन्होंने कश्मीर की 18 साल की अनाया और पानीपत की रजनी का पदक जीतने का उल्लेख किया। रजनी बॉक्सर है और उसके पिता रेडी पर लस्सी बेचते हैं।
प्रधानमंत्री ने लोहड़ी, पोंगल और मकर संक्रांति की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हमारे त्योहार ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ का संदेश देते हैं।
मन की बात: साइकिल पर दुनिया नापने वाली लड़की को दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 51वें एपिसोड में पुणे की 20 साल की लड़की वेदांगी कुलकर्णी का जिक्र किया। वेदांगी साइकिल पर पूरी दुनिया का भ्रमण करने वाली पहली एशियाई महिला बनी है । इससे पहले पूरे एशिया से किसी महिला ने ये करिश्मा नहीं दिखाया था।
‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि इसी महीने पुणे की एक 20 साल की बेटी वेदांगी कुलकर्णी साइकल से दुनिया का चक्कर लगाने वाली सबसे तेज एशियाई बन गयी हैं। वह 159 दिनों तक रोजाना लगभग 300 किलोमीटर साइकिल चलाती थी। आप कल्पना कर सकते हैं – प्रतिदिन 300 किलोमीटर साइकिलिंग ! साइकिल चलाने के प्रति उनका जुनून वाकई सराहनीय है। क्या इस तरह की एचीवमेंट, ऐसी सिद्धि के बारे में सुनकर हमें प्रेरणा नहीं मिलती। ख़ासकर के मेरे युवा मित्रों, जब ऐसी घटनाएँ सुनते हैं तब हम भी कठिनाइयों के बीच कुछ कर गुजरने की प्रेरणा पाते हैं। अगर संकल्प में सामर्थ्य है, हौसले बुलंद हैं तो रुकावटें खुद ही रुक जाती हैं। कठिनाइयाँ कभी रुकावट नहीं बन सकती हैं। अनेक ऐसे उदाहरण जब सुनते हैं तो हमें भी अपने जीवन में प्रतिपल एक नयी प्रेरणा मिलती है।
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मन की बात: लस्सी बेचने वाले की बेटी बनी बॉक्सिंग चैम्पियन
मन की बात’ की 51वीं कड़ी में इस बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हरियाणा के पानीपत की एक बेटी का जिक्र किया। गरीब परिवार की 16 साल की रजनी ने हाल ही में जूनियर महिला बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीता है। रजनी के पिता पानीपत में एक रेहड़ी लगाकर लस्सी बेचते हैं।
‘मन की बात’ में पानीपत की इस युवा बॉक्सिंग चैम्पियन रजनी के बारे में बताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि 16 साल की एक बेटी रजनी के बारे में मीडिया में बहुत चर्चा हुई है। आपने भी जरूर पढ़ा होगा। रजनी ने जूनियर महिला मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीता है। जैसे ही रजनी ने पदक जीता वह तुरंत पास के एक दूध के स्टॉल पर गई और एक गिलास दूध पीया।
इसके बाद, रजनी ने अपने पदक को एक कपड़े में लपेटा और बैग में रख लिया। अब आप सोच रहे होंगे कि रजनी ने एक गिलास दूध क्यों पीया? उसने ऐसा अपने पिता जसमेर सिंह जी के सम्मान में किया, जो पानीपत के एक स्टॉल पर लस्सी बेचते हैं। रजनी ने बताया कि उनके पिता ने उसे यहाँ तक पहुँचाने में बहुत त्याग किया है, बहुत कष्ट झेले हैं। जसमेर सिंह हर सुबह रजनी और उनके भाई-बहनों के उठने से पहले ही काम पर चले जाते थे। रजनी ने जब अपने पिता से बॉक्सिंग सीखने की इच्छा जताई तो पिता ने उसमें सभी संभव साधन जुटा कर उसका हौसला बढ़ाया। रजनी को मुक्केबाजी का अभ्यास पुराने ग्लोव के साथ शुरू करना पड़ा क्योंकि उन दिनों उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। इतनी सारी बाधाओं के बाद भी रजनी ने हिम्मत नहीं हारी और मुक्केबाजी सीखती रही। उसने सर्बिया में भी एक पदक जीता है। मैं रजनी को शुभकामनाएँ और आशीर्वाद देता हूँ और रजनी का साथ देने और उसका उत्साह बढ़ाने के लिए उसके पिता जसमेर सिंह जी और माता उषारानी जी को भी बधाई देता हूँ।
हरियाणा में लड़के-लड़कियों में बॉक्सिंग को लेकर पिछले कुछ साल से तेजी से जागृति आई है। हरियाणा से कई अंतर्राष्ट्रीय स्तर के बॉक्सिंग खिलाड़ी निकले हैं।