आजमगढ़। उत्तर-प्रदेश में शराब का अवैध कार्य इस कदर धडल्ले से किया जाता है, कि मानों वो उन्हें रोकने वाला कोई बैठा ही नहीं हैं, बता दें आजमगढ़ जिले में शराब का अवैध कारोबार जबरदस्त तरीके से चल रहा हैं, जहां अब सरकारी ठेके पर भी जहरीली शराब बेचने का खेल चल ही नहीं, बल्कि दौड़ रहा है. इससे पहले भी इस प्रकार की घटना सामने देखने को मिली है, जब ठेके से शराब खरीदकर पीते और उसके बाद से शराब पीने वाले लोगों की मौत हो चुकी हैं, ठेके पर जहरीली शराब की बिक्री की घटनाओं से अब सिस्टम पर भी सवाल उठ रहे हैं, कारण, पिछले वर्ष शराब कांड की जांच में छींटे पुलिस पर भी पड़े थे।
पूर्व में भी इस तरह की घटनाएं हुई हैं, लेकिन तब एक-दो की ही मौत का मामला सामने आता था, पर रविवार की घटना ने सभी की आंखों को चकाचौंद कर दिया, साल 2021 में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान भी जहरीली शराब का खेल शुरू हुआ था, उस समय पवई थाना क्षेत्र के मित्तूपुर में अवैध रुप से शराब के कारोबार का मामला सामने आया था, यहां की शराब पीने से अंबेडकर नगर के लोगों की मौत शुरू हुई थी और फिर पवई क्षेत्र में लोगों के मरने का सिलसिला शुरू हो गया था।
इस घटना में दो दर्जन से अधिक लोगों की मौत हुई थी, पहले इस मामले को दबाने की कोशिश हुई लेकिन मृतकों की संख्या बढ़ी तो जांच शुरू की गयी और सच सामने आ गया था, मित्तूपुर कांड में पवई के तत्कालीन थानाध्यक्ष अयोध्या तिवारी, मित्तूपुर पुलिस चौकी प्रभारी अरुण कुमार सिंह, हेडकांस्टेबल राजकिशोर सिंह की संलिप्ता उजागर हुई तो उन्हें निलंबित किया गया था।
डीएम ने अहरौला थानाध्यक्ष को किया निलंबित
वहीं पुलिस ने शराब तस्कर मोती लाल व उसके गुर्गों के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई की थी, रजनीश नाम का सिपाही सीधा माफियाओं के संपर्क में मिला तो उसे भी जेल भेजा गया था, उस समय सिपाही ने खुद दावा किया था कि यह उसके अकेले का काम नहीं है, शराब माफियाओं के खिलाफ तब से लगातार अभियान चल रहा है लेकिन हालात नहीं बदले हैं, अवैध शराब कारोबार बदस्तूर जारी है, माहुल कस्बें में पुलिस चौकी से पांच सौ मीटर की दूरी पर सरकारी ठेके पर जहरीली शराब की बिक्री एक बार फिर सिस्टम पर सवाल उठा रही है, वैसे तो इस बार प्रशासन ने कार्रवाई में तेजी दिखाई है।
डीएम ने जिला आबकारी अधिकारी और अहरौला थानाध्यक्ष को निलंबित कर दिया है, साथ ही एक शराब माफिया को भी गिरफ्तार किया गया है, लेकिन इस पूरे खेल का मास्टर माइंड कौन है, जो पूरे जिले में इस तरह के शराब की बिक्री कराता है, पुलिस नहीं जान पाई हैं, अगर पुलिस ने मित्तूपुर कांड के बाद ही सरगना तक पहुंच गयी होती तो शायद आज यह नौबत नहीं आती।