नई दिल्ली ।आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उ.प्र. की 80 में से केवल 30 सीटों पर केन्द्रित होकर अपना पूरा जोर लगायेगी।इन सीटों को वह जीतने के लिए चुनाव लड़ेगी ।अन्य सीटों पर रणनीतिक गठजोड़ बनायेगी।ऐसा होने पर सपा – बसपा से कांग्रेस के अलग लड़ने का लाभ भाजपा को बहुत नहीं मिल पायेगा। वरिष्ठ पत्रकार ओम प्रकाश का कहना है कि प्रियंका गांधी को कांग्रेस का महासचिव तथा पूर्वी उ.प्र. का प्रभारी बनाने की घोषणा मात्र से ही राज्य के 9 प्रतिशत ब्राह्मणों में उत्साह आ गया है। अनुमान है कि अब राज्य में ब्राह्मणों के लगभग 60 प्रतिशत वोट कांग्रेस की तरफ चले जायेंगे ।
एक सर्वे एजेंसी के निदेशक का कहना है कि कांग्रेस उ.प्र. में अकेले लड़ी तो भी लोकसभा चुनाव में केवल प्रियंका के कारण ही पहले से आठ और सीटें जीतेगी। यानि केवल प्रियंका के कांग्रेस की राजनीति में आ जाने मात्र से ही उ.प्र. में पार्टी को 8 लोकसभा सीटों का फायदा हो रहा है। इसका असर अन्य राज्यों पर भी पड़ेगा। यदि अब सपा-बसपा-कांग्रेस-रालोद का गठबंधन हो जाये तब तो उ.प्र. की 80 सीटों में से यह गठबंधन 76 सीटें तक जीत सकता है। यही वजह है कि सत्ताधारी पार्टी के रणनीतिकार परेशान हो गये हैं।
यदि कांग्रेस अकेले लड़ेगी तो भाजपा , बसपा के वोट अधिक काटेगी। भाजपा का अगड़ा वोट तथा मायावती के गैर जाटव वोट काटेगी । मुस्लिम वोट भी काटेगी। हालांकि भाजपा के रणनीतिकारों को लगता है कि इससे भाजपा , सपा-बसपा व कांग्रेस में जो तिकानी लड़ाई बनेगी उसका लाभ भाजपा को मिलेगा। लेकिन कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि भाजपा वाले ऐसा ही छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भी सोच रहे थे। वहां सुपड़ा साफ होने के बाद भी उ.प्र. के बारे में भी यही सोच रहे हैं।