योगेश श्रीवास्तव
लखनऊ। हर बार की तरह इस बार भी विधानसभा चुनाव में एक ही परिवार के कई सदस्य अलग-अलग दलों से चुनाव मैंदान में है। कई जगह तो आलम यह है कि एक ही परिवार दो सदस्य आमने-सामने है। हालांकि यह कोई नयी बात नहीं है। पहले भी इस तरह के उदाहरण मिलते रहे है। कई राजनीतिक परिवारों के सदस्य जहां अलग-अलग दलों से चुनाव लड़ रहे है तो कुछ अपने ही दूसरे दलों परिवार के सदस्यों के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है। इस चुनाव में घरेलू अन्र्तकलह मैंदान से लेकर सार्वजनिक मंचों तक दिख रही है। बुधवार को समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णायादव भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गयी।
हालांकि अपर्णा यादव की राजनीति में यह कोई पहली इंट्री नहीं है इससे पूर्व वे समाजवादी पार्टी के टिकट पर २०१७ के विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार रह चुकी है। अपर्णा यादव मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता की पुत्रवधू और प्रतीक यादव की पत्नी है। अपर्णायादव की भाजपा में ज्वाइनिंग निश्चित रूप से समाजवादी पार्टी के लिए बड़ा झटका हो सकती है। इस बार के चुनाव में भले चाचा भतीजे मिल गये हो लेकिन अपर्णा के इस पैतरे ने पूरे यादव कुनबे की पेशानी पर बल डाल दिया है। हालांकि इससे पहले २०१९ के लोकसभा चुनाव में यादव कुनबे की अन्र्तकलह चरम पर थी। समाजवादी पार्टी से अलग होकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी(लोहिया) का गठन करने वाले शिवपाल यादव ने अपने ही भतीजे अक्षय यादव के खिलाफ चुनाव मैंदान में थे। यही नहीं उन्होंने मुलायम सिंह यादव को छोड़कर परिवार और सपा के हर उम्मीदवार के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारे थे । समाजवादी परिवार की अन्र्तकलह का ही नतीजा यह रहा है कि विधानसभा के चुनाव में सपा 47 सीटों पर ही सिमट गयी थी। इस बार के चुनाव में एक बार फिर पूरा कुनबा एक साथ नहीं लेकिन अलग-अलग दलों के साथ मैंदान में उतरने जा रहा है।
राजनीति में एक ही परिवार के सदस्यों का अलग-अलग दलों से चुनाव लडऩा या आमने सामने होना कई बात नहीं है। इस तरह की कई मिसाले राष्टï्रीय राजनीति ही नहीं प्रदेश में देखने को मिलती है।
गांधी परिवार: इंदिरा गांधी के निधन के बाद ही गांधी परिवार के सदस्यों ने अपनी राहे अलग कर ली थी। बड़ी बहू सोनिया गांधी ने जहां अपनी सास और पति की राजनीतिक विरासत संभाली तो उनकी देवरानी मेनका गांधी ने पहले संजय विचार मंच बनाया फि र जनता दल में गयी और इस समय भाजपा की राजनीति कर रही है। इसमें उनके पुत्र वरूण गांधी भी उनके साथ है। इस बार दोनों मां बेटे ने अपना निर्वाचन क्षेत्रों में अदला बदली की है। जबकि कांग्रेस की सोनिया और राहुल ने अपना दल और निर्वाचन क्षेत्र यथावत रखा है।
पटेल परिवार: अपना दल के अध्यक्ष सोने लाल पटेल ने 1995 में दल का गठन किया था। उनके न रहने के बाद उनकी राजनीतिक विरासत उनकी बेटी अनुप्रिया पटेल ने संभाली और 2012 के विधानसभा चुनाव में निर्वाचित होकर पहुंची। इसी बीच उनकी पार्टी का भाजपा से एलायंस हो गया और मिर्जापुर से चुनाव जीतकर संसद पंहुची और मोदी के मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री बन गयी। यह सब उनकी कृष्णा पटेल और बहन पल्लवी पटेल को नागवार गुजरा तो उनकी मां ने इसी नाम से दूसरे दल का गठन किया और इस बार वे समाजवादी पार्टी साथ है। अब अपना दल के दोनों घटको के उम्मीदवार चुनाव मैंदान में जोरआजमाइश में लगे है।
अमेठी परिवार: प्रदेश और केन्द्र में मंत्री रहे डा: संजय सिंह जो लोकसभा चुनाव में सुल्तानपुर से कांग्रेस के उम्मीदवार थे। उनकी पहली पत्नी गरिमा सिंह भारतीय जनता पार्टी की विधायक है संजय सिंंह के पुत्र अनंत विक्रम सिंह भी अपनी मां के साथ भाारतीय जनता पार्टी में ही है। जबकि संजय सिंह की दूसरी पत्नी और पूर्ववर्ती सरकार में राज्यमंत्री रही अमिता सिंह संजय सिंह के साथ ही कांग्रेस में है। वे पिछले विधानसभा चुनाव में संजय सिंह की पहली पत्नी गरिमा सिंह से चुनाव हार गयी थी।