हादसों का सड़क बना पूर्वांचल एक्सप्रेस वे

एक्सप्रेस वे की टूटी नालियां
  • लोकार्पण के बाद काल के गाल में समा चुके हैं दर्जन भर लोग

जयसिंहपुर-सुलतानपुर। उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल एक्सप्रेस वे राजनीतिक दलों के लिए चुनावी अखाड़ा बन गया है। चाहे वो सत्तारूढ़ दल भाजपा रही हो या उसकी मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी। दोनो राजनीतिक दलों ने बीते दिनों इसी इलाके में ज्यादा जोर दिया है। लेकिन बीते कुछ दिनों से पूर्वांचल एक्सप्रेस वे राजनीति का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है। दोनो दल इसका श्रेय अपने नाम करने से नहीं चूकते  हैं। असल में क्या इसकी स्थित सही है या फिर यह राजनीति के साथ साथ भ्रष्टाचार की भेट चढ़ गई है। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर सफर खतरों से भरा हो गया है। दरअसल, राजनीतिक स्टंट पाने के लिए इसका लोकार्पण तो कर डाला गया। लेकिन कई सारी खामियां यहां अब जानलेवा साबित हो रही है। लोकार्पण के बाद से अब तक इस पर 10 जानें जा चुकी हैं। इन मौतों का मुख्य कारण आवारा पशु बने हुए है। वही दूसरी तरफ एक्सप्रेस वे के किनारे पानी निकासी के लिए बनी नालियां जमीदोज हो गई है। जिससे एक्सप्रेस वे के किनारे की पटरियों में बरसात में ही कटान होना शुरू हो गया। पहली ही बरसात में जल निकासी के लिये बनी पक्की नालियों का उखड़ना शुरू हो गया।

प्रधानमंत्री मोदी ने 16 नवंबर 2021 को कूरेभार के अरवल कीरी स्थित एयर स्ट्रिप के पास पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का लोकार्पण किया था। इसके बाद से ही पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर लोडेड वाहनों से लेकर लग्जरी गाडि़यां और कारें फर्राटा भरने लगीं। लोकार्पण में एयर शो से लेकर सरकारी खर्च कर लाखों की भीड़ जुटाई गई। लेकिन अगर इसके स्थान पर यहां मौजूद खामियों को दूर किया गया होता तो आए दिन हो रही दुर्घटनाओं पर नियंत्रण लगाया जा सकता था। कंटीले तारों के आधे अधूरे कार्य की वजह से एक्सप्रेस वे पर सफर करना जान जोखिम में डालने से कम नहीं है। लखनऊ से गाजीपुर तक हाईवे पर आवारा पशु स्वच्छन्द विचरण कर रहे हैं। कई बार इन आवारा पशुओं के कारण लोग हादसे का शिकार हो जा रहे हैं। लेकिन, इस गंभीर समस्या पर प्रशासन कोई कठोर कदम नहीं उठा रहा है। सवाल यह उठता है कि आखिर यह आवारा पशु इतनी ऊंचाई पर डिवाइडर लगने के बावजूद आते कैसे है। कही न कही कुछ खामियां जरूर है। जयसिंहपुर तहसील क्षेत्र से गुजरी पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के किनारे पानी निकासी के लिए बनी नालियां टूट गई है, तो कई जगह पूरी तरह से जमीदोज हो चुकी है। आश्चर्यजनक यह है कि यह हाल महज एक किलोमीटर के भीतर का है। तो पूरे 340 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेस वे पर कितनी नालिया टूटी होगी। अनुमान लगाया जा सकता है। जिससे 22 हजार करोड़ की लागत से बने इस पुर्वांचल एक्सप्रेस वे का अस्तित्व समय से पहले ही खत्म हो सकता है।

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