पटना में जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर को सोमवार को गिरफ्तार करने के बाद पटना पुलिस ने उन्हें सिविल कोर्ट में पेश किया। पेशी के बाद कोर्ट ने पीके को जमानत दे दी है। उन्हें 25 हजार के मुचलके पर जमानत मिली है।
पीके की पेशी के लिए सिविल कोर्ट की सुरक्षा को बढ़ा दी गई थी। सिविल कोर्ट परिसर में चप्पे-चप्पे पर पुलिसकर्मी तैनात रहे। सिविल कोर्ट परिसर छावनी में तब्दील रही। पीके के समर्थक सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते रहे। इससे पहले बीते 02 जनवरी से गांधी मैदान में आमरण अनशन पर बैठे प्रशांत किशोर को आज अहले सुबह चार बजे गिरफ्तार कर लिया गया था।
इस पूरे मामले को लेकर प्रशांत किशोर की टीम का कहना है कि पिछले पांच दिनों से ध्वस्त शिक्षा और भ्रष्ट परीक्षा के खिलाफ आमरण अनशन कर रहे प्रशांत किशोर को चार बजे जबरन गिरफ्तार किया गया। जन सुराज का दावा है कि इस दौरान प्रशांत किशोर को पुलिस ने थप्पड़ भी मारा। इसके बाद पुलिस उन्हें एंबुलेंस में बिठाकर अज्ञात जगह पर ले गई। हालांकि, प्रशांत ने इलाज कराने से इंकार कर दिया और अनशन जारी रखन की बात कही। इसके बाद उनके समर्थकों ने जमकर हंगामा शुरू कर दिया। सड़कों पर हंगामे का वीडियो भी तेजी से वायरल हो रहा है।
इस बाबत पटना के जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि हमने नोटिस दिया था कि ये गैरकानूनी है। पटना हाई कोर्ट से एक निर्धारित स्थल चिह्नित है वहां जाकर धरना प्रदर्शन किया जाए और नहीं मानने पर थाने में प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी। हमने कई बार अनुरोध किया कि यहां से हटकर निर्धारित जगह पर चले जाएं। जब वे नहीं माने तो आज भोर में गिरफ्तारी की गई। हमने 43 लोगों को हिरासत में लिया है और 15 गाड़ियां जब्त की गई हैं। हम सभी लोगों की जांच कर रहे हैं। यह पुष्टि हो गई है कि 43 में से 30 लोग छात्र नहीं हैं। कुछ लोग छात्र होने का दावा कर रहे हैं लेकिन हम जांच कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि प्रशांत किशोर दो जनवरी की शाम से पटना के गांधी मैदान में बापू की प्रतिमा के पास आमरण अनशन पर बैठे थे। उनके इस अनशन को जिला प्रशासन ने गैरकानूनी बताया है। पीके की मांगों में बीपीएससी की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा में हुई अनियमितता और भ्रष्टाचार की उच्चस्तरीय जांच और री-एग्जाम, साल 2015 में सात निश्चय के तहत किए गए वादे के तहत 18 से 35 साल के बेरोजगार युवा को बेरोजगारी भत्ता देने और पिछले 10 सालों में प्रतियोगी परीक्षाओं में हुई अनियमितता और पेपर लीक की जांच और दोषियों पर की गई कार्रवाई पर श्वेत पत्र जारी किया जाना शामिल है।