प्रयागराज। शिक्षण व्यवस्था में सुधार को लेकर प्रदेश सरकार बेहद गंभीर है। पर यक्ष प्रश्न यह है कि स्कूलों के सकुशल संचालन एवं शिक्षण कार्यो में निरंतर सुधार की जिम्मेदारी जिन कंधों पर विधि के अनुरूप होती है, उनकी कुर्सी विगत कई वर्षो से रिक्त है। गौरतलब है कि प्रदेश लगभग 4512 अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूल संचालित हैं। इनमें से करीब आधे में प्रधानाचार्य की कुर्सी विगत आठ सालों से रिक्त है। लिहाजा शिक्षण संचालन की काम चलाउ व्यवस्था को बनाए रखने के लिए अध्यापकों को ही प्रभार सौंपा गया है। सूत्रों ने बताया कि रिक्त पदों को भरे जाने हेतु दो साल पूर्व अधियाचन की मांग उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड प्रयागराज की ओर जिला विद्यालय निरीक्षकों से की गई।
इसे संज्ञान में लेकर शिक्षाधिकारियों की ओर से प्रधानाचार्य पद हेतु करीब 18 सौ अधियाचन भेंजा जा चुका है। पर कतिपय कारणों से रिक्त पदों को भरे जाने की दिशा में कोई कदम आजतक चयन बोर्ड द्वारा नहीं उठाया जा सका है। ऐसे में संबंधित स्कूलों के किसी न किसी अध्यापक को ही प्रभार सौंपा गया है। इसके चलते शिक्षण व्यवस्था में सुधार की शासकीय कवायद नाकाफी साबित हो रही है।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ एकजुट के प्रदेश संरक्षक डॉ. हरि प्रकाश यादव का कहना है कि प्रदेश के आधे से अधिक विद्यालय कार्यवाहक प्रधानाचार्य के भरोसे चल रहे हैं। शासन की तरफ से शिक्षण व्यवस्था में सुधार की बात तो की जाती है पर शिक्षकों और प्रधानाचार्यों के रिक्त पदों और सुविधाओं पर बात नहीं होती है। स्थाई प्रधानाचार्य के अभाव में विद्यालय के सकुशल संचालन में तमाम तरह की दिक्कतें आती हैं। दो साल पूर्व माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को 18 सौ से अधिक पदों के लिए अधियाचन मिला था।
दो साल में तो यह संख्या 25 सौ के लगभग पहुंच गई होगी। लेकिन दो साल पहले चयन बोर्ड अधियाचन लेने के बाद भूल गया। फिलहाल अभी चयन बोर्ड में प्रधानाचार्य भर्ती का विज्ञापन जारी होने की दूर-दूर तक कोई उम्मीद नहीं दिख रही है। ऐसे में तमाम वरिष्ठ शिक्षक जो प्रधानाचार्य बनने का सपना संजोए हुए हैं, उनके मंसूबे पर पानी फिरता नजर आ रहा है। क्योंकि जब तक विज्ञापन जारी होगा और भर्ती प्रक्रिया पूरी होगी। वह सेवानिवृत्त हो चुके होंगे। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की ओर से प्रधानाचार्य भर्ती के लिए 2013 में विज्ञापन निकाला गया था।
632 पदों के लिए यह भर्ती नौ साल बाद यानी दिसंबर 2022 में पूरी हुई। इस भर्ती प्रक्रिया के पूरा होने में लगभग नौ साल लग गए। चयन बोर्ड के सूत्रों ने बताया कि साक्षात्कार और शैक्षिक मेरिट के आधार पर प्रधानाचार्यो के चयन की वर्षो पुरानी प्रक्रिया में बदलाव करके लिखित परीक्षा की व्यवस्था को लागू किये जाने शासकीस दिशा निर्देशों के अनुपालन में प्रस्ताव बोर्ड द्वारा शासन को भेंजा गया है। प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद ही रिक्त पदों के भरे जाने का कार्य प्रारंभ हो सकेगा।