पुत्रदा एकादशी : 18 या 19 कब रखें व्रत, जानें कैसे होगी पुत्र प्राप्ति

Seema Pal

साल 2025 की पुत्रदा एकादशी 18 जनवरी को है। यह एकादशी विशेष रूप से संतान प्राप्ति की कामना करने के लिए मानी जाती है और इसे विशेष रूप से संतान सुख की प्राप्ति के लिए व्रत रखा जाता है।

यह एकादशी प्रत्येक वर्ष माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। 2025 में यह एकादशी 18 जनवरी को पड़ेगी। इस दिन व्रति संतान सुख की प्राप्ति के लिए भगवान श्री विष्णु की पूजा करते हैं और व्रत का पालन करते हैं।

पुत्रदा एकादशी की कथा

पुत्रदा एकादशी का विशेष महत्व है क्योंकि यह एक ऐसी तिथि है जब संतान सुख की प्राप्ति के लिए विशेष रूप से पूजा-अर्चना की जाती है। यह एकादशी मुख्य रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है जो संतान प्राप्ति के इच्छुक होते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन श्री विष्णु के व्रत और पूजन से संतान सुख की प्राप्ति होती है और संतान सुख के लिए जो भी बाधाएं हैं, वे दूर हो जाती हैं।

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, एक बार देवर्षि नारद ने भगवान श्री कृष्ण से संतान प्राप्ति के उपाय के बारे में पूछा। तब भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें पुत्रदा एकादशी के व्रत का महात्म्य बताया और कहा कि इस दिन विष्णु भगवान की पूजा करने से न केवल संतान सुख की प्राप्ति होती है, बल्कि संतान से जुड़ी हर समस्या का समाधान भी होता है।

पुत्रदा एकादशी का ऐतिहासिक संदर्भ धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। विशेष रूप से महाभारत में एक कथा दी गई है, जिसमें भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को पुत्रदा एकादशी के व्रत का महत्व बताया। इस व्रत को करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है और जीवन में किसी प्रकार की कोई भी कठिनाई नहीं आती है।

कहा जाता है कि जब युधिष्ठिर ने यह व्रत किया था, तो उन्हें संतान सुख की प्राप्ति हुई और उनके जीवन में सभी कष्ट दूर हो गए। यही कारण है कि इस एकादशी को संतान सुख के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

एकादशी व्रत विधि

पुत्रदा एकादशी का व्रत बड़े श्रद्धा और विश्वास से करना चाहिए। इस दिन व्रति को विशेष रूप से निम्नलिखित उपायों का पालन करना चाहिए:

  1. निश्छल भक्ति और उपवास: इस दिन व्रति को उपवास रखना चाहिए। व्रति को केवल फलाहार या पानी का सेवन किया जा सकता है। पूरी तरह से आहार का त्याग करना शुभ माना जाता है।
  2. प्रात: समय में स्नान और पूजा: इस दिन प्रात: समय में स्नान करके भगवान श्री विष्णु की पूजा करनी चाहिए। विष्णु भगवान के साथ-साथ भगवान श्री कृष्ण, भगवान शिव और देवी लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है।
  3. व्रति कथा सुनना: पुत्रदा एकादशी के दिन विशेष रूप से इस एकादशी की कथा सुननी चाहिए। इसे सुनने से पुण्य की प्राप्ति होती है और मन की शांति मिलती है।
  4. व्रति के दिन रात्रि जागरण: इस दिन रात्रि में जागरण करके भगवान की भक्ति करनी चाहिए। जागरण के दौरान भजन, कीर्तन और हरि नाम संकीर्तन का आयोजन किया जाता है।
  5. धन्य राशि का दान: व्रति के अंत में ब्राह्मणों को दान देना, खासकर आहार और वस्त्र का दान, विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

संतान सुख के लिए उपयुक्त व्रत

पुत्रदा एकादशी विशेष रूप से संतान सुख की प्राप्ति के लिए की जाती है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ देवी लक्ष्मी और भगवान शिव की पूजा भी की जाती है। माना जाता है कि इस व्रत को करने से संतान सुख में आ रही समस्याओं का समाधान होता है और संतान सुख की प्राप्ति होती है। साथ ही, संतान को स्वास्थ्य और सुखी जीवन भी मिलता है।

पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने के लाभ

  1. संतान सुख की प्राप्ति: इस दिन व्रत करने से संतान सुख मिलता है और संतान से जुड़ी कोई भी समस्या हल हो जाती है।
  2. पुत्रों की लंबी उम्र: इस दिन किए गए व्रत से संतान की उम्र लंबी होती है और संतान का जीवन स्वस्थ और सुखमय होता है।
  3. नैतिक और मानसिक शांति: इस व्रत से व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है और उसके जीवन की सारी बाधाएं समाप्त होती हैं।
  4. दीन-दुखियों की सहायता: इस दिन दीन-दुखियों और ब्राह्मणों को दान देने से पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-शांति का वास होता है।

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