मंदसौर : आपने छात्रों को टीचर्स के पैर छूकर आशीर्वाद लेते अक्सर देखा होगा, लेकिन क्या आपने कभी टीचर्स को छात्रों के पैर छूते देखा है। एक ऐसा ही हैरान करने वाला वीडियो मध्य प्रदेश के मंदसौर से सामने आया है, जहां पीजी कॉलेज के प्रोफेसर छात्रों के पैर पड़ते नजर आ रहे हैं। समाज में टीचर्स की गरिमा और सम्मान को देखते हुए यह वीडियो हैरान करता है।
यह वीडियो मध्य प्रदेश के मंदसौर का है, जहां आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर सरगर्मियां तेज हैं। शिक्षक जिन छात्रों के पैर छूने की कोशिश करते दिख रहे हैं वे अखिल भारतीय विद्यार्थी संगठन (ABVP) से संबद्ध बताए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि छात्र क्लासरूम के बाहर नारेबाजी कर रहे थे, जिससे प्रोफेसर ने उन्हें रोका था। नारेबाजी को लेकर प्रोफेसर की मनाही के बाद वहां माहौल गर्म हो गया और छात्र भड़क गए।
#WATCH: A professor of Rajiv Gandhi PG College in Mandsaur tried to touch the feet of students belonging to ABVP, allegedly after they called him anti-national & asked him to apologise for asking them to stop raising slogans outside the classroom. #MadhyaPradesh (26.09.2018) pic.twitter.com/RivV1lzzrY
— ANI (@ANI) September 28, 2018
छात्रों की शिकायत है कि वे ‘भारत माता की जय’ के नारे लगा रहे थे, जिससे प्रोफेसर ने उन्हें रोक दिया। वहीं कॉलेज प्रशासन का कहना है कि छात्रों को ‘भारत माता की जय’ की नारेबाजी से नहीं, बल्कि महज अनुशासनात्मक कारणों से नारेबाजी से रोका गया था, जिससे वे उग्र हो गए और प्रोफेसर को माफी मांगने की जिद पर अड़ गए। बताया जाता है कि इस दौरान छात्रों ने प्रोफेसर को ‘एंटी-नेशनल’ (राष्ट्र विरोधी) भी कहा।
Students are alleging that professor stopped them from raising ‘Bharat mata ki jai’ slogans.However, nothing like that happened.He just stopped them from raising slogans.They even demanded him to apologise: Ravindra Sohni, Rajiv Gandhi PG College Principal,Mandsaur.#MadhyaPradesh pic.twitter.com/V2MG6LkX8E
— ANI (@ANI) September 28, 2018
कहा जा रहा है कि छात्र इस कदर भड़के हुए थे कि प्रोफेसर डर गए और इसी क्रम में उन्होंने अभाविप के छात्रों के पैर छूने की कोशिश की। इस बीच, कॉलेज के प्रिंसिपल रवींद्र सोहनी ने छात्रों के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि प्रोफेसर ने उन्हें बस नारेबाजी करने से रोका था।