
मिर्जापुर।
छानबे विकास खंड अंतर्गत विजयपुर तपोवन स्थित राजा बाबा की बावली (पतरके महादेवन) पर रामनवमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया। नेपाल नरेश स्वामी ओमानंद जी महाराज राजा बाबा की गद्दी पर भव्य सजावट के साथ राजा बाबा का आरती पूजन किया गया।
इस अवसर पर स्वामी मनमोहनानंद जी महाराज उर्फ सुशील बाबा, नोटरी भारत सरकार श्रीश कुमार अग्रहरि, मुन्नी देवी, विमलेश अग्रहरि, शशिकला अग्रहरि, राजा अग्रहरि, हिमांशु अग्रहरि आदि ने संयुक्त रुप से पूजन किया तदुपरांत भक्तों के बीच प्रसाद का वितरण किया गया। इस अवसर पर भंडारे का भी आयोजन किया गया। जिसमें भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया।
दंतकथा है कि जिस ओमानंद जी महाराज राजबाबा के आशीष से विजयपुर निवासी छानबे के आर एस एस के प्रथम खंड कार्यवाह अमरनाथ अग्रहरि को जीवनदान मिला। जब वे बडे हुए तो माता पिता से जानकारी पाते हो उस संत के बारे मे पता करने जबलपुर की टुनटूनिया पहाडी पर पहुच गये। जहा गुफा मे जाने के बाद से राजबाबा अदृश्य हुए थे। यानी यू कहे कि उन्होंने बहुत ही कम अवस्था मे उसी पहाडी के गुफा मे गये और फिर बाहर कभी नही निकले। लोग उसे स्थान पर आध्यात्मिक शक्ति देख पूजा पाठ शुरू कर दिया। स्व0 अमरनाथ की पत्नी शांती देवी बताती है कि वहा से अमरनाथ झूसी आश्रम आये और यही उन्हे राजबाबा की रचित सभी पुस्तके और एक दुर्लभ फोटो जिसमे अपने गुरू और गुरू भाइयो के साथ पेंसिल से बनी फोटो दी गई।
उस समय राजाबाबा के गुरूभाई ने अमरनाथ से कहा था कि फोटो राजाबाबा की गद्दी पर रखकर रामनवमी के दिन पूजा जरूर करना। अमरनाथ फोटो और मात्र एक एक पुस्तक लेकर चले आये। वही फाईल फोटो आपके अवलोकनार्थ लगा है। बताते है कि झूसी से लौटने के बाद उन्होंने राजा बाबा का अकेला फोटो पेंसिल से बनवाया और वह चित्रकार छह महिने मे एक फोटो बनाया। कहा जाता है कि वह चित्रकार जब भी फोटो बनाने बैठता तो उसके घर कुछ न कुछ अनहोनी हो जाती।
इसलिए वह कई बार फोटो बनाने से मना भी किया लेकिन उस जमाने मे फोटो से फोटो वह भी पेन्सिल से बनाने वाला पूरे मिर्जापुर शहर मे कोई नही था। इसलिए किसी तरह अनुनय बिनय करके वह फोटो बनवाया। जो स्व0 अमरनाथ के घर मे संरक्षित है और पेंसिल से बने इसी फोटो से कालान्तर मे फोटो बनवाकर उन्होने अपने भाई मानिकचंद अग्रहरि के साथ ही जबलपुर और गोपालगंज के कई शिष्यो और भक्तो को उपलब्ध कराया। स्व0 अमरनाथ जब तक जीवित रहे।
राजबाबा की गद्दी पर हिसाब उनका फोटो रखकर पूजा पाठ कर प्रसाद वितरित करते रहे। उनके बाद इस परंपरा का निर्वहन लगातार उनके पुत्रगण रवीश अग्रहरि, श्रीश अग्रहरि, राकेश अग्रहरि पुत्रिया मुन्नी, सुनीता, मंजू और तीसरी पीढ़ी के विमलेश अग्रहरी, मिथिलेश अग्रहरि, आनंद अग्रहरि, राजा अग्रहरि आदि करते आ रहे है। हर साल रामनवमी पर राजाबाबा की बावली पहुचते है और स्वामी राजाबाबा के आदर्शो और विचारो को जन जन तक पहुचाने का कार्य कर रहे है। इस अवसर पर राजकुमार बाबा सहित स्थानीय लोग भारी संख्या में मौजूद रहे।











