संदीप पुंढीर
हाथरस। ब्रज की देहरी हाथरस को मेला और शोभायात्राओं की नगरी भी कहा जाता है। इनमें से एक है श्रीराम नवमी के मौके पर निकलने वाली भगवान श्रीराम की तिमंजिला रथयात्रा। रथयात्रा का अतीत 141 वर्ष पुराना है। इस बार भी कल रविवार को रामनवमी के मौके पर मूछों वाले रामजी तिमंजिला रथ में सवार होकर भक्तों को दर्शन देंगे। रथ यात्रा का शुभारंभ शहर के चामड़ गेट स्थित गमेल वाली बगीची से होगा। इस रथयात्रा का अतीत काफी गौरवशाली है।
शहर के बुजुर्ग बताते हैं कि 141 वर्ष पूर्व शहर के सेठ बैनीराम पोद्दार अपने मित्रों के साथ वृंदावन में रंगनाथ जी की रथयात्रा देखने के लिए गए थे। उनके साथ गए लोगों ने वहां लगी भीड़ में कहा कि हटो-हटो सेठ जी दर्शन करने आ रहे हैं। दर्शन करने आए कुछ लोगों ने कहा कि इतने बड़े सेठ हैं तो अपने शहर में मेला क्यों नहीं निकलवा लेते।
यह बात सेठ बैनीराम पोद्दार को को चुभ गई। सेठजी ने हाथरस आकर दिन-रात मजदूर लगाकर पांच मंजिला रथ तैयार कराया। 1882 से इस रथयात्रा की शुरुआत हुई। इस रथ में मूछों वाले रामजी को विराजमान किया गया। इस वर्ष भी श्रीराम नवमी के दिन इस रथयात्रा को निकालने की तैयारी कर ली गई है। लगातार दो साल तक यह रथयात्रा कोरोना महामारी के चलते नहीं निकल सकी। इस बार इसके लिए तैयारियां जोरों पर हैं।
यह रथयात्रा बैनीराम बाग स्थित श्रीकृष्ण चंद्र महाराज मंदिर के प्रबंधक तुलसी प्रसाद के सानिध्य में शोभायात्रा निकाली जाएगी। ट्रस्टी तरुण पोद्दार ने बताया कि रथ की रंगाई पुताई का कार्य चल रहा है। जो पूर्णता की ओर है। मेले में काली व भैरव के स्वरूपों का प्रदर्शन खास होगा। अखाड़ेबाजी का प्रदर्शन उस्ताद मुन्नालाल शर्मा एडवोकेट के सानिध्य में होगा। रथयात्रा शहर के चामड़ गेट स्थित गमेल बगीची से शुरू होकर सब्जी मंडी, नयागंज, मुख्य बाजारों से होते हुए बैनीराम बाग पहुंचेगी। हाथरस शहर में मूछों वाले रामजी की रथयात्रा 141 साल से निकल रही है।
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