
भास्कर समाचार सेवा
नौहझील-दीपावली पर राया के पटाखा बाजार में लगी आग में झुलसकर घायल हुए नौहझील निवासी मोहन सिंह पुत्र हरीशचंद्र ने बीती गुरुवार की रात लगभग 12 बजे दम तोड़ दिया।जिनका इलाज दिल्ली के एम्स अस्पताल में चल रहा था।इलाज के दौरान उन्होंने बीती रात दम तोड़ दिया।इससे पहले इनके बीच के बेटे बुधवार रात दम तोड़ दिया था।जिसका अंतिम संस्कार गुरुवार देर शाम किया गया था। राजेश की चिता की आग ठंडी नहीं पड़ी थी तब तक पिता मोहन सिंह की भी मौत की खबर आ गई। मौत की खबर मिलते ही बुरी तरह चीख-पुकार मच गई अब तो मानो परिवार पर विपत्तियों का पहाड़ टूटता नजर आ रहा है। परिजनों का रो रोकर बुरा हाल है वहीं कस्बा में मातम छाया हुआ है।हर कोई अग्निकांड में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं मगर अब तक अग्निकांड में कोई भी कार्रवाई शाशन प्रशासन द्वारा नहीं की गई है।इस हृदय विदारक घटना से हर कोई स्तब्ध है, वहीं उच्चाधिकारियों ने मौन धारण कर रखा है। राजेश की मौत के बाद भी शाशन प्रशासन का कोई भी अधिकारी परिजनों का ढ़ाढस बंधाने नहीं पहुंचा। जिससे परिजनों सहित कस्बावासियों में रोष व्याप्त है।मोहन सिंह का शव देर शाम घर आया जहां गमगीन माहौल में मृतक का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
दो भाईयों की हालत चिंताजनक
मोहन के बड़े बेटे रिंकू की हालत चिंताजनक बनी हुई है जिसका दिल्ली के एम्स अस्पताल में इलाज चल रहा है। रिश्तेदारों ने बताया कि रिंकू 90 प्रतिशत झुलसा हुआ है।जो कि एम्स में जिंदगी व मौत के बीच जंग लड़ रहा है। वहीं मोहन का तीसरा बेटा जतिन का भी उपचार एम्स में जारी है।जो कि लगभग 75 प्रतिशत झुलसा हुआ है।इस घटना के बाद हर कोई हदप्रद दिख रहा है।
मृतक के आश्रितों को 4-4 लाख मुआवजा

पटाखा अग्निकांड में मृतकों के आश्रितों को प्रशासन 4-4 लाख रुपए मुआवजा देगा। डीएम शैलेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि हादसा बेहद दुखद है।शाशन को इस घटना की गंभीरता से अवगत कराते हुए मृतकों के परिजनों की आर्थिक स्थिति भी बताई गई थी, जिसके बाद शाशन ने मृतक आश्रितों को 4-4 लाख रुपए मुआवजा देने की मंजूरी दे दी है। दैवीय आपदा कोष से इस सहायता राशि को दिया जाएगा।
इन्हीं की दुकान से लगी आग
मोहन व उसके रिश्तेदार राया में 3 दिन आतिशबाजी बेचते हैं।मोहन व उनके बेटे राजेश व जतिन पटाखा बाजार में पटाखा बेच रहे थे।रिंकू कहीं बाहर से घर आया और पटाखा देने अपनी गाड़ी से राया दुकान पर पहुंच गया। वहीं सूत्रों के मुताबिक आग सबसे पहले इनकी दुकान पर लगी जिसमें मोहन का छोटा बेटा जतिन टेबिल के नीचे बचाव को छिप गया इसकी जानकारी होते ही पिता मोहन व भाई रिंकू व राजेश जतिन को बचाने को दौड़ पड़े जिसमें वह जतिन के साथ बुरी तरह झुलस गए। मथुरा से गंभीर हालत के चलते इन्हें दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था।