केरल में कुत्ता काटने की घटना बढ़ने और टीका लगने के बाद भी रेबीज से मौत होने पर राज्य सरकार की ओर से केंद्र को चिट्ठी लिख कर कहा गया था कि लोगों में वैक्सीन के प्रति डर सता रहा है। लिहाजा, दोबारा से एंटी रेबीज वैक्सीन की जांच की जाए। राज्य के आग्रह पर केंद्र सरकार ने जांच के बाद बताया कि रेबीज का टीका पूरी तरह प्रभावी है। टीका लगने के बाद भी मौत की वजह इलाज का तौर-तरीका और देरी बताई गई है।
केंद्र की टीम केरल गई, वैक्सीन की जांच हुई
राज्य सरकार के आग्रह पर केंद्र से तीन सदस्यीय जांच टीम केरल गई और कुत्ता काटने के बाद हुई सभी मौतों का चिकित्सीय आकलन किया। इसके बाद टीम की ओर से कहा गया है कि केरल में रेबीज से बचाव के लिए जिस वैक्सीन का इस्तेमाल हुआ है, उसकी सेंट्रल ड्रग्स लेबोरेटरी में दोबारा जांच हुई है। वह पूरी तरह से प्रभावी है। वैक्सीन की प्रभावहीनता की वजह से मरीजों की मौत नहीं हुई है।
इलाज में देरी मौत की बड़ी वजह
टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कुत्ते के काटने के बाद इलाज की प्रक्रिया और देरी की वजह से मरीजों की मौत हुई है। केरल में महज 30 फीसदी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर ही एंटी रेबीज इंजेक्शन पाया गया। साल 2022 में सितंबर तक जिन 21 लोगों की मौत रेबीज से हुई, उनमें से 15 को वैक्सीन नहीं लगी थी।
जबकि जिन छह लोगों की वैक्सीन लगने के बाद भी मौत हुई, उनमें से चार पूरी तरह से वैक्सीनेटेड थे और दो को वैक्सीन के आंशिक डोज लगे थे। कुछ मरीजों की मौत की वजह इलाज में देरी बताई गई, जबकि कुछ मृतकों का रिकॉर्ड ही उपलब्ध नहीं है। कुछ मृतकों के परिजनों को यह याद ही नहीं है कि रेबीज से एक्सपोजर हुआ या नहीं।