क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान में प्रकृति आंकलन शिविर का पंजीकरण 15 अक्टूबर से, अपने शरीर का रोग पहचनवाने का मिलेगा मौका

लखनऊ। ‘प्रकृति’ एक आयुर्वेदीय सिद्धान्त है, जिससे व्यक्ति का स्वाभाव (शारीरिक एवं मानसिक) परिभाषित होता है। मनुष्य प्रकृति सात प्रकार की होती है: वातज, पित्तज, कफज, वात-पित्त्तज, वात-कफज, पित्त-कफज एवं समसन्निपातज । प्रकृति जान और समझकर व्यक्ति तदनुसार अपने आहार विहार, जीवनशैली, दिनचर्या और ऋतुचर्या में परिवर्तन कर स्वस्थ एवं निरोगी रह सकता है । प्रकृति के अनुसार भविष्य की बीमारियों की उन्मुखता / संवेदनशीलता को समझते हुए बीमारियों से बचाव हेतु पथ्य-अपथ्य अपनाया जा सकता है । और यदि आप रोगग्रस्त हो भी जाते हैं, तो रोगी प्रकृति का ज्ञान चिकित्सा निर्धारण करने में उपयोगी साबित होता है।


इन्दिरा नगर, सेक्टर-25 स्थित क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान, लखनऊ आयुर्वेद दिवस (जो कि 29 अक्तूबर 2024 को मनाया जाएगा) के उपलक्ष्य में प्रकृति आकलन शिविर का आयोजन कर रहा है। संस्थान में दिनाँक 15 अक्तूबर 2024 तक प्रतिदिन, ज़ाहिर तौर पर स्वस्थ प्रतिभागियों का प्रकृति आकलन कर प्रकृति कार्ड दिया जाएगा। इच्छुक प्रतिभागी संस्थान में आकर प्रकृति आकलन हेतु नामांकन करवा सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए 0522-2717801 पर संपर्क करें।

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