राजस्थान कांग्रेस में दंगल : गहलोत गुट के कई विधायकों ने किया इस्तीफे का एलान, विधायक दल की बैठक रद्द

हेमेंन्द्र तोमर
जयपुर। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की प्रकि्रया के पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलाेत गुट के विधायक कांग्रेस आलाकमान के खिलाफ एकजुट हो गए हैं। मुख्यमंत्री आवास पर केन्द्रीय पर्यवेक्षक मल्िलकार्जुन खड़गे और अजय माकन के सामने रविवार रात 8:30 बजे से होने वाली बैठक गहलोत गुट के विधायकों के बागी रवैये के चलते शुरू होने से पहले ही रात 9:30 बजे निरस्त कर दी गयी।


मुख्यमंत्री गहलोत हालांकि इस पूरे घटनाक्रम में सामने नजर नहीं आए। लेकिन उनके खास काबीना मंत्री शांति कुमार धारीवाल के बंगले पर जिस तरह से शाम को गहलोत गुट के 80 से ज्यादा विधायक इकट्ठे हुए और एक दूसरे कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के नेतृत्व में मुख्यमंत्री आवास पर निर्धारित बैठक में न जाकर विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोश्ाी के बंगले पर विशेष बस से ये कहकर कूच कर गए कि वे सब कांग्रेस आलाकमान के उस फैसले के विरोध में इस्तीफा देने जा रहे हैं जिसके चलते गहलोत को यहां सीएम पद से हटाकर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के लिए कहा गया है। इन बागी विधायकों का साफ संकेत था कि या तो एक व्यक्ित एक पद के सिद्धांत के आधार पर यदि गहलोत को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाता है तो राजस्थान के मुख्यमंत्री पद पर सचिन पायलट को न बिठाया जाए बल्िक गहलोत गुट के किसी विधायक को ही मुख्यमंत्री बनाया जाए।

उधर सचिन पायलट रात को निर्धारित समय पर मुख्यमंत्री आवास में पर्यवेक्षकों के सामने बैठक के लिए पहुंच चुके थे। जहां उनके गुट के लगभग 40 समर्थक विधायक पहले से ही मौजूद थे। लेकिन इधर गहलोत गुट के विधायकों के ड्रामे के चलते रात 09:30 बजे तक बैठक शुरू नहीं हो सकी और अन्तत: निरस्त कर दी गयी। इस पूरे ड्रामे की वजह से दिल्ली से पहुंचे दोनों पर्यवेक्षक होटल से सीएम आवास नहीं पहुंचे और उधर सीएम आवास में मौजूद सचिन पायलट से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भेंट भी नहीं की। इस तरह सचिन के सीएम के नाम पर उपजा विरोध सीधे तौर पर गहलोत गुट का अपने राष्ट्रीय नेताओं के फैसले पर बगावती हो चुका है। सूत्रों के मुताबिक इस बीच कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने अशोक गहलोत को फोन किया और स्थिति संभालने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने कहा कि अब उनके बस में कुछ नहीं है।